अमेरिका ने बुधवार को तुर्की को चेतावनी दी कि यदि वह रूस से एस-400 समझौते को रद्द नहीं किया तो तुर्की असल और बेहद नकारात्मक परिणाम भुगतेगा। अमेरिका ने रूस के हथियार के खरीद-फरोख्त पर प्रतिबन्ध थोप रखे हैं। यही समझौते भारत ने भी बीते वर्ष रूस के साथ किया है।
राज्य विभाग ने कहा कि “हमने कहा था कि एस-400 रक्षा प्रणाली की ख़रीद से तुर्की के साथ अमेरिका और नाटो के संबंधों को खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ सकते है। हम स्पष्ट तौर पर उनसे बातचीत के इच्छुक है और समझौते पर अपनी चिंताओं के सम्बन्ध में वार्ता जारी भी रखेंगे। लेकिन अगर यह समझौता संभव हुआ तो इसका नतीजा बेहद भयावह हो सकता है।”
तुर्की ने अमेरिका ने एस-400 समझौते को रद्द करने और अमेरिकन पेट्रियट बैटरी की खरीद के अल्टीमेटम को हमेशा खारिज किया है। बहरहाल रूस के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने अमेरिका के अल्टीमेटम की बुधवार को आलोचना की है और इसे स्वीकृत कहा है।
दिसंबर 2017 में रूस और तुर्की ने एस-400 रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इसके बाद से अमेरिका और नाटो ने तुर्की के कदम की आलोचना की है। इसमें उन्होंने सुरक्षा कारणों और नाटो की हवाई रक्षा प्रणाली के साथ बेजोड़ता का तर्क दिया है।
अमेरिका ने इससे पूर्व तुर्की को प्रतिबन्ध लगाने की धमकी दी थी और कहा कि वह अंकारा को एफ-35 विमान की डिलीवरी में देरी या इसे रद्द कर सकता है। तुर्की उन सात देशों में शुमार है जिन्होंने एफ-35 के कार्यक्रम में भाग लिया था।
तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्डोगन ने बीते शनिवार को कहा था कि रूस के साथ समझौता हो चुका है और अब इसमे कोई बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि “एस-400 के समझौते से पलटने का कोई सवाल ही पैदा ही नहीं होता है। यह समझौते हो चुका है। तुर्की और रूस मिलकर एस-500 रक्षा प्रणालियों का उत्पादन करेंगे।”