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    तिब्बत में प्रदर्शन

    चीन ने तिब्बत में विदेशी पत्रकारों और राजनयिकों की यात्रा पर रोक लगा रखी है। अमेरिका ने चीन की आलोचना करते हुए कहा कि “वह तिब्बत में प्रतिबन्ध लगाकर यथाक्रम हमारी पंहुच पर बाधा डाल रहा है।” चीन ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हमारे आंतरिक मामलों में अमेरिका की दखलंदाज़ी द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पंहुचा सकती है।”

    रेसिप्रोकाल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट को दिसंबर में द्विदलीय सहयोग से पारित कर दिया था।

    एबीसी न्यूज़ के मुताबिक इस रिपोर्ट में कहा गया कि “चीनी सरकार व्यवस्थित ढंग से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और इसके बाहरी इलाकों में भी अमेरिकी राजनयिकों, पर्यटकों, अधिकारीयों और पत्रकारों की यात्रा में बाधा डाल रहा है। अमेरिकी राजदूतों की भी वहां जाने पर पाबंदी है।”

    रिपोर्ट के मुताबिक “चीनी सरकार ने निगरानी रखने वालो को नियुक्त किया है जो हर वक्त अमेरिकी राजनयिकों और अधिकारीयों का पीछा करते हैं। राजनयिकों को स्थानीय लोगों से बातचीत और मुलाकात करने से रोकते हैं, उनसे पूछताछ करते हैं और उन क्षेत्रों में जाने पर बाधा डालते हैं।”

    राज्य विभाग ने कहा कि “चीन ने बीते वर्ष तिब्बत की यात्रा के अमेरिका के नौ अनुरोधों में से पांच को ख़ारिज कर दिया था। बीते वर्ष सिर्फ सात विदेशी पत्रकारों को तिबत में यात्रा की इजाजत दी गयी थी। जबकि इससे वर्ष दर्जनों पत्रकार तिब्बत जाते थे।”

    बीजिंग के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “अमेरिका की रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का सख्ती से उल्लंघन कर रही है।” चीन ने इस रिपोर्ट को खारिज किया और कहा कि “यह तिब्बत की आज़ादी और अलगाववादी ताकतों को गलत सन्देश देगी। यह हमारे सहयोग और आदान-प्रदान के लिए हानिकारक हो सकता है।”

    उन्होंने कहा कि “यह रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपाती और तर्कहीन है। हम कभी इसे स्वीकार नहीं करेंगे। मैं जोर देकर कहता हूँ कि तिब्बत का मामला पूरी तरह चीन का आंतरिक मसला है और किसी बाहरी देश को दखलंदाज़ी की अनुमति नहीं देते हैं। चीन का तिब्बत सभी देशों के लोगों के लिए खुला है। तिब्बत की भूगौलिक और जलवायु हालातों के कारण चीनी सरकार ने विदेशी सैलानियों की यात्रा पर सुरक्षा और प्रबंधन के लिए कुछ उपाय में अमल में लायी है।”

    गेंग शुआंग ने कहा कि “यह पूर्ण तरह जरुरी था। हमारी स्थिति कभी नहीं बदलेगी। हम तिब्बत में विदेशियों का स्वागत करते हैं लेकिन शर्त है कि वे चीनी नियमों और कानूनों को मानेगे और सम्बंधित प्रक्रिया का का पालन करेंगे। हम अमेरिका से ऐसे अनुचित कृत्य न करने और नकारात्मक प्रभावों को खत्म करने की गुजारिश करते हैं।”

    उन्होंने कहा कि “हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि हमारे आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए तिब्बत जैसे मामलो को न उठाये। यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को नुकसान पंहुचयेगा।”

    “चीन के आंतरिक मसलों में ना दें दखल”

    चीन नें अमेरिका के आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है। चीनी विदेश मंत्रालय नें कहा है कि अमेरिका कई अन्तराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है और किसी भी देश को दुसरे देश के आतंरिक मसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

    चीन नें कहा है कि किसी भी विदेश अधिकारी का तिब्बत में स्वागत है और चीनी सरकार उनके लिए सुरक्षा और अन्य चीजें सुनिश्चित करेगी।

    जाहिर है अमेरिका तिब्बत के मुद्दे पर लगातार चीन को घेरता रहता है।

    जब से चीन नें तिब्बत पर कब्ज़ा किया है, अमेरिका और भारत जैसे देश इसपर सवाल उठाते रहे हैं।

    tibet law
    अमेरिकी संसद में पारित किया गया तिब्बत क़ानून

    अमेरिका नें पिछले साल नवम्बर में तिब्बत पर एक क़ानून को पास किया था, जिसके मद्देनजर तिब्बत के लोगों को उनका अधिकार मिल सके। इस कानून में यह था कि जो अधिकार चीनी अधिकारीयों को तिब्बत में मिलते हैं, वही अधिकारी अमेरिकी अधिकारीयों को भी तिब्बत जाने पर मिल सकें।

    इस क़ानून को संसद में रखने वाले अधिकारी नें इस दौरान कहा था, “मुझे ख़ुशी है कि राष्ट्रपति नें इस क़ानून पर हस्ताक्षर किये हैं। लम्बे समय से चीन नें तिब्बत में हो रहे मानवधिकार के उल्लंघन पर पर्दा डालने की कोशिश की है। लेकिन अब हम उन सभी चीनी अधिकारीयों को जिम्मेदार ठहरायेंगे, जिन्होनें यहाँ नियमों को तोड़ा है।”

    अमेरिकी अधिकारीयों का मानना है कि चीन नें अपनी सेना और आर्थिक सहायता के इस्तेमाल से तिब्बत के लोगों को दबाने की कोशिश की है। अब हालाँकि अमेरिका यह सुनिश्चित करेगा कि तिब्बत के लोग भी सामान अधिकार पा सकें।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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