बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अपने दिल्ली दौरे के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले। इन दोनों अध्यक्षों की मुलाक़ात को भाजपा-जेडीयू संबंधों की नई शुरुआत माना जा रहा है। अब तक यह खबर आ रही थी कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू जल्द ही राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो सकती है। अमित शाह के आवास पर हुई इन दोनों दिग्गजों की मुलाक़ात के बाद इस खबर पर मुहर लग गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने का न्यौता दिया है और उनके साथ में कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। माना जा रहा है कि आगामी 19 अगस्त को पटना में होने वाली जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद नीतीश कुमार जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं। अगस्त के आखिर तक मोदी मन्त्रिमण्डल का विस्तार होना है और जेडीयू को कैबिनेट बर्थ मिल सकती है।
कल JD(U) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @NitishKumar जी से अपने निवास पर भेंट हुई। मैंने उन्हें JD(U) को NDA में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
— Amit Shah (@AmitShah) August 12, 2017
अगर ख़बरों की मानें तो ना केवल जेडीयू एनडीए में शामिल हो सकती है बल्कि नीतीश कुमार को भी एनडीए में अहम पद दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को एनडीए में संयोजक की भूमिका सौंपी जा सकती है जो कभी शरद यादव संभालते थे। नीतीश कुमार के भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के बाद से ही शरद यादव खफा चल रहे हैं और उन्होंने बागी तेवर अपनाये हुए हैं। उनपर कार्रवाई करते हुए आज पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता की भूमिका से हटाकर नीतीश कुमार के विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को यह दायित्व सौंप दिया। इससे पहले भी जेडीयू अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर शरद यादव गुट के दो अहम सदस्य पार्टी महासचिव अरुण श्रीवास्तव और राज्यसभा सांसद अली अनवर को बर्खास्त कर चुकी है। माना जा रहा है कि शरद यादव को लेकर भी नीतीश कुमार जल्द ही कोई बड़ा और कठोर कदम उठा सकते हैं।
Met Chief Minister of Bihar Shri @NitishKumar. pic.twitter.com/gUnIRzSxf4
— Amit Shah (@AmitShah) August 11, 2017
बता दें कि नीतीश कुमार के महागठबंधन तोड़ने के बाद से शरद यादव नाराज चल रहे हैं। नीतीश यादव के भाजपा के साथ जाने के फैसले पर शरद यादव ने कहा था कि यह गलत कदम है। यह पार्टी को मिले जनादेश का अपमान है और इससे बिहार की जनता में गलत सन्देश जायेगा। शरद यादव ने अपने सारे विकल्प खुले रखते हुए दिल्ली में विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात की थी। इनमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी और कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी और आरजेडी के कई प्रमुख नेता शामिल थे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तो यह भी कहा था कि वह शरद यादव के साथ हैं और शरद यादव की जेडीयू के साथ उनका गठबंधन जारी रहेगा। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात करने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि शरद यादव अपनी राह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।
शरद यादव इन दिनों बिहार में अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर हैं जिसमें वह राज्य के 7 जिलों में जाकर लोगों से मुलाक़ात करेंगे और उनका मन टटोलने की कोशिश करेंगे। शरद यादव ने 17 अगस्त को दिल्ली में सामान विचार वाले नेताओं की बैठक बुलाई है जिसमें सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के अलावा अल्पसंख्यक और दलित नेताओं के भी शामिल होने की उम्मीद है। यह केंद्रीय महागठबंधन का आगाज माना जा रहा है जिसमें शरद यादव संयोजक की भूमिका निभा सकते हैं। वहीं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इन दिनों नीतीश कुमार के खिलाफ जनादेश अपमान यात्रा पर राज्य के दौरे पर हैं और जनता में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। भाजपा के साथी और दलित नेता जीतनराम मांझी अपने बेटे को बिहार मन्त्रिमण्डल में जगह ना मिलने को लेकर आजकल भाजपा से खफा चल रहे हैं। ऐसे में अगर वह शरद यादव और लालू यादव के साथ आकर नीतीश सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दें तो यह कोई नई बात नहीं होगी। ऐसे में जेडीयू में बगावत और मांझी के खिलाफ जाने की स्थिति में बिहार में अपनी सरकार को बचाने के लिए नीतीश कुमार और भाजपा को सतर्क रहना होगा और अभी से हर मुमकिन प्रयास करने होंगे।