भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरूवार को कहा कि “अफगानिस्तान में जारी शान्ति और सुलह प्रक्रिया के प्रयासों को भारत काफी करीबी से देख रहा है और इस मामले से सम्बंधित सभी पक्षों के साथ निरंतर संपर्क में हैं।” हाल ही में चीन ने अफगानिस्तान शान्ति समारोह की मेजबानी की थी, जिसमे पाकिस्तान भी शामिल हुआ था।
अफगान शान्ति वार्ता पर नजर
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “अफगानिस्तान का नजदीकी दोस्त और महत्वपूर्ण साझेदार होने के नाते हम अफगानिस्तान में सुलह और शाति प्रक्रिया के प्रयासों को करीबी से देख रहे हैं। वक्त-वक्त पर अमेरिका किस बातचीत के बाबत हमें सूचित करता रहता है।”
कुमार ने कहा कि “हम भी इस मामले पर अफगानिस्तान में सक्रिय पक्षों चीन, अफगान, रूस, ईरान, सऊदी अरब और चीन से नियमित बातचीत करते रहते हैं। मंत्रालय ने अफगानिस्तान में जर्मनी के विशेष प्रतिनिधि मार्कुस पोत्ज़ेल के साथ बुधवार कोइस मामले पर मुलाकात की थी।”
कुमार ने कहा कि “भारत अफगान संचालित, अफगान नियंत्रित और अफगान स्वामित्व राष्ट्रीय शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन करता है।” भारत ने अपने मत को बरक़रार रखा कि अफगान शांति प्रक्रिया के तहत किसी भी पहल में अफगानी समाज के सभी वर्गों का शामिल होना जरुरी है, इसमें कानूनी तरीके से चयनित सरकार भी शामिल है।
प्रक्रिया संविधान का करे सम्मान
उन्होंने कहा कि “इस प्रक्रिया को संवैधानिक विरासत और राजनीतिक शासनादेश का सम्मान करना चाहिए और गैर शासित जगहों का नेतृत्व नहीं करना चाहिए, जहां आतंकवादी और उनके सहयोगी विस्थापित हो सकते हैं।”
क़तर की राजधानी दोहा में दो दिनों तक अफगानी अधिकारीयों और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण मामलो पर चर्चा हुई थी। दोनों पक्षों ने नागरिक हताहत को शून्य करने के लिए कार्य करने की जरुरत पर जो दिया है।
साथ ही महिलाओं की राजनीति, सामाजिक, अर्थव्यवस्था, शैक्षणिक, सांस्कृतिक मामलो में भागीदारी को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया है। हालाँकि तालिबान ने अफगान सरकार के साथ सीधे बातचीत से इंकार कर दिया था। तालिबान के मुताबिक अफगानी सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है।
तालिबान ने ऐलान किया था कि अफगानी सरकार के साथ बातचीत तभी शुरू होगी जब अमेरिका अफगानिस्तान की सरजमीं से विदेशी सैनिको की वापसी की समयसीमा का ऐलान करेगा।