सुबह या शाम के शिफ्ट में नौकरी करना, वेतन में सालाना इनक्रीमेंट, बोनस, एरियर आदि जैसी बातें आने वाले कुछ ही सालों में एक याद बनकर रह जाएंगी। अब जॉब्स की नियुक्ति और कार्य करने के तरीके में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जिस तरीके से कंपनियां अपनी लागत घटाने तथा आॅटोमेशन जैसी तकनीकों पर जोर दे रही है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि अब कुछ ही सालों में स्थायी नौकरी या फिर कुछ सालों के कॉन्ट्रैक्ट्स वाली परपंरा इतिहास बनकर रह जाएगी।
केलीओसीजी ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि देश की 56 फीसदी कंपनियों में करीब 20 फीसदी कर्मचारी काम के समय—सीमा पर ही नियुक्त किए गए हैं। इस तरह की नियुक्तियों को करीब 71 प्रतिशत कंपनियां अगले दो सालों के लिए एक्सटेंशन देने के मूड में हैं।
आपको जानकारी के लिए बतादें कि आईटी,स्टार्टअप्स और शेयर्ड सर्विस सेंटर्स में ज्यादातर लोगों की नियुक्तियां समय—सीमा के आधार पर ही की गई है। इन नियुक्तियों में कर्मचारियों को क्रमश: टेंपरेरी, फ्रीलांसर्स, सर्विस प्रोवाइडर्स, कंसल्टेंट्स और आॅनलाइन टैलेंट कम्यूनिटीज तथा अलॉनी बतौर शामिल किया गया है।
इस प्रकार की जॉब्स मॉडल को गिग इकॉनोमी कहा जा रहा है। क्योंकि इन कंपनियों में परर्मानेंट नहीं बल्कि अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है। इस गिग इकॉनोमी में तेज तर्रार कर्मचारी अपनी मांग और पसंद के हिसाब से प्रोजेक्ट्स और संगठनों में काम करते हैं। गिग इकॉनोमी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अर्थव्यवस्था में मंदी आने के बावजूद भी गिग कंपनियां अपने स्टॉफ की लागत कम कर विभिन्न प्रकार की प्रोफैशनल सेवाएं लेने में सक्षम हो जाती हैं।
गिग कंपनियां मार्केट के हिसाब से अपने कर्मचारियों के सामने रीस्क्लि करने की चुनौती पेश कर सफल हो जाती हैं। इस प्रकार बड़ी संख्या में अस्थाई नौकरियां गिग कंपनियों का हिस्सा बन जाती हैं। गिग वकर्स को काम करने के समय में आजादी मिलती है क्योकि इनकी नियुक्तियां ही किसी खास प्रॉजेक्टस के लिए ही की जाती हैं। इन गिग वकर्स को सैलरी और तोहफे भी काम के आधार पर ही दिए जाते हैं ना कि घंटों के आधार पर।
गौरतलब है कि जैसे—जैसे देश की इकॉनोमी का मिजाज बदल रहा है, उसी हिसाब से जॉब्स करने और उनकी नियुक्तियों के तरीके में भी तेजी से बदलाव महसूस किए जा रहे हैं। इस नए जमाने के युवा ऐसी जॉब्स को पसंद तो अवश्य कर रहे हैं लेकिन उनके रोजगार की अनिश्चिता भी तेजी से बढ़ रही है।