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    अखिलेश यादव: सपा-बसपा गठबंधन तय हो चुका है, नहीं आएगी सीटों के बटवारे से संबधित कोई समस्या

    समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा कि सपा-बसपा गठबंधन तय हो चुका है और आगामी लोक सभा चुनावों में सीटों के बटवारे से संबधित कोई समस्या नहीं आएगी।

    PTI को राष्ट्रिय अध्यक्ष ने बताया-“हमारा बसपा, रालोद और निषाद पार्टी जैसी छोटी पार्टियों से गठबंधन तय हो चुका है और सीट-बटवारा दिक्कत की वजह नहीं बनेगा। जल्द ही इस पर काम किया जाएगा। हम राज्य में एक ताकतवर बल के रूप में उभर कर आये हैं जिसने भाजपा के स्वर को बदल दिया है, जिनके नेताओं ने हमारे खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।”

    लोक सभा चुनावों के लिए कांग्रेस को बाहर करने पर उन्होंने कहा-“हमारी कांग्रेस से कैसे समझ हो सकती है? ये एक राष्ट्रिय पार्टी है। हमने उन्हें दो सीटें दे दी हैं। वर्तमान में, मेरा ध्यान उत्तर प्रदेश की तरफ है। मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में भी, सपा अपने एक या दो ताकतवर उम्मीदवारों को उतारेगा और बाकियों से गठबंधन के विकल्प तलाशेगा।”

    जब उनसे रालोद नेता जयंत चौधरी से हुई मीटिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा-“हमारा गठबंधन तय हो चुका है। कैराना में, हमने सपा के टिकेट पर रालोद नेता तबस्सुम हसन को उतारा है। हम उन्हें मथुरा और बाघपत दे देंगे जो वे चाहते हैं। अब गठबंधन में कोई समस्या नहीं है।”

    हालांकि यादव ने, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से पुरानी दोस्ती और क्या उनके चाचा और प्रतिगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव को भाजपा द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है, इस पर टिपण्णी करने से मना कर दिया।

    भाजपा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने बहुत से वादे किये थे मगर एक को भी पूरा नहीं किया और इसलिए जनता अन्य विकल्प देख रही है और कहा कि उनके पास केवल उम्मीद है और वो है सपा-बसपा गठबंधन।

    खनन घोटाला पर बात करते हुए यादव ने कहा कि वे तब जवाब देंगे जब सीबीआई उनसे सवाल पूछेगी। उनके मुताबिक, “ये भाजपा की चुनाव से पहले चाले हैं।” प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रेत खनन मामले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है, जिसमें सीबीआई सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके पूर्व कैबिनेट सहयोगी गायत्री प्रजापति की कथित भूमिकाओं की जांच करेगी।

    अपनी पत्नी और कन्नौज सांसद डिंपल यादव के लोक सभा चुनाव लड़ने की संभावना पर उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते हैं वे इस बार चुनाव लड़े क्योंकि उन्हें तीन बच्चो की परवरिश करनी है और उनका स्कूल घर से दूर पड़ता है। मगर उन्होंने बाद में ये भी कहा कि अंतिम फैसला उनका ही होगा।

    उनके मुताबिक, “उन्होंने (भाजपा सरकार ने) हमारे घर के निर्माण के लिए नक़्शे को भी मंजूरी नहीं दी है। वे परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं समझते हैं क्योंकि उनका है ही नहीं।”

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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