अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder): उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल में एक युवती की हत्या की घटना ने एक बार फिर सरकार के “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” वाले दावों के साथ-साथ सम्पूर्ण समाज और व्यवस्था को खोखली साबित कर दिया है।
शिवालिक के पवित्र पहाड़ो में बसे एक गाँव मे अंकिता भंडारी के पिता और परिवार ने बेटी को बचाया भी और पढ़ाया भी; लेकिन उस पढ़ाई के बाद जब उस बेटी ने घर से बाहर नौकरी के कदम रखे तो समाज के रसूखदार दरिदों से ना वह खुद को बचा सकी न ही अंधी-गूंगी व्यवस्था ने उसका साथ दिया।
अंकिता भंडारी अपने परिवार के आर्थिक हालात में सहयोग करने वास्ते नौकरी करने घर से निकली थी मगर यह समाज और व्यवस्था उसके योग्यता, क्षमता, हिम्मत और मेहनत की कद्र करने के बजाए रिजॉर्ट के मालिक ने, जिसमें वह रिसेप्शनिस्ट (जैसा कि कई मिडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है) की नौकरी कर रही थी, उसे अवैध और अनैतिक व्यवसाय में झोंकने की कोशिश की।
जाहिर है, एक बहादुर पढ़ी लिखी लड़की ने मना किया होगा। नतीजतन, जैसा कि आरोप लगा है, रिजॉर्ट के मालिक ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उसकी निर्मम हत्या कर दी।
Ankita Bhandari murder case | Merrut, UP: I joined Vanantara resort, Rishikesh in May but left job there in July. Ankit Gupta (accused) & Pulkit Arya (main accused) misbehaved & verbally abused girls. They used to bring girls,VIPs came there too: Former employee, Vanantara resort pic.twitter.com/xGplsQT1VB
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 27, 2022
समूची व्यवस्था और प्रशासन पर सवालिया निशान
बात यहीं तक सीमित होती तो चंद सिरफिरे रसूखदार सत्ता-मद में चूर विकृत मानसिकता वाले दरिंदो के कारण पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा नहीं किया जाता; असल मे इस घटना के बाद भी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने और बड़े रसूखदार आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा सही समय पर कार्रवाई करने में टालमटोल किया जाता रहा।
जब मामला तूल पकड़ने लगा और स्थानीय से बढ़कर राष्ट्रीय मुद्दा बन गया तो आनन-फानन में रिजॉर्ट के उस हिस्से पर बुलडोजर चलवा दिया गया जिसमें अंकिता रहती थी। इस से पहले की प्रशासन त्वरित कार्रवाई का दम्भ भरती, वह अपने ही जाल में फंस गई क्योंकि सवाल उठने लगा कि बुलडोजर चलाने से वह सारे सबूत नष्ट हो गए जो अंकिता के दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने में मददगार साबित होते।
Uttarakhand | Ankita Bhandari murder case: Visuals from Vanatara resort in Rishikesh that was owned by BJP leader Vinod Arya’s son Pulkit Arya who allegedly murdered Ankita Bhandari pic.twitter.com/cKHcdrfHqx
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 24, 2022
फौरन प्रशासन इस तथ्य से इनकार करने लगी कि बुलडोजर वाली कार्रवाई प्रशासन के कहने पर नही हुई। लेकिन इसके बाद अगला सवाल उठता है कि, फिर किसने बुलडोजर चलवाई? स्थानीय प्रशासन के पास इस सवाल के जवाब ना थे ना शायद आगे होगा।
जाहिर है कोई तो है जिसे बचाने के लिए प्रशासन पर भारी दवाब है। आखिर कौन है वह VIP जिसके लिए अंकिता भंडारी जैसी लड़कियों को जबर्दस्ती “खास सर्विसेज” देने को कहा जा रहा था?
आपको बता दें, वनान्तरा रिजॉर्ट जहाँ अंकिता भंडारी नौकरी करती थी, उसका मालिक पुलकित आर्य है। पुलकित आर्य उत्तराखंड सरकार में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता विनोद आर्य का बेटा है। पुलकित का बड़ा भाई भी बीजेपी नेता बताया जाता है और बीजेपी की पुष्कर धामी सरकार का करीबी बताया जाता है।
घटना के तूल पकड़ते ही भाजपा ने इन नेताओं को पार्टी से निकाल दिया मगर यह महज एक औपचारिकता ही कही जाएगी। क्योंकि जिस तेजी से सबूत मिटाने, पटवारी को छुट्टी पर भेजने और प्रशासन का ढुलमुल रवैया सामने आया है, फिलहाल राज्य की बीजेपी सरकार कार्रवाई में वह सख्ती नहीं दिखा पाई है।
आखिर इन रसूखदारों और राजनीति के खिलाड़ियों को इतना हौसला कैसे आता है? आज एक नेता विनोद आर्य कोउसके बेटे के कृत्य के लिए निकाल दिया जाता है, लेकिन वहीं लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदने वाले अपराधी के पिता को केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री के पद पर बने रहने दिया जाता है। शायद यही दोहरी नीति जिम्मेदार है इन अपराधियों के बुलंद हौसलों के पीछे; वह मान बैठे हो कि कोई भी कुकृत्य करें, कुछ होने वाला नही है।
निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि इस पूरे घटनाक्रम में मृत्यु सिर्फ एक लड़की की हुई है पर मृत शरीर जैसी निष्ठुरता पूरे प्रशासन और पूरी व्यवस्था ने दिखाई है जबकि उस मासूम लड़की की चीखें आज भी उन पहाड़ों में न्याय की गुहार लगा रही है, जो शायद बहरी हुई व्यवस्था को सुनाई न दे।
सिर्फ एक अंकिता भंडारी की व्यथा नहीं…
अंकिता (भंडारी)- यह नाम अभी जरूर उत्तराखंड के संदर्भ में चर्चा में है लेकिन मत भूलिए कि महज एक-दो हफ्ते पहले ही झारखण्ड के दुमका में भी एक अंकिता (सिंह) को ऐसी ही घटना का शिकार होना पड़ा था जब उसके द्वारा एक सिरफिरे लड़के के प्रेम-प्रस्ताव को नकार दिया था।
फिर आप बेटियों के नाम बदलते जाइये, शहर बदलते जाइये, दिन बदलते जाइये पर हमारी बेटियों के साथ अंजाम एक ही मिलेगा। निर्भया कांड के बाद एक उम्मीद थी कि शायद हमारी बेटियों और महिलाओं को एक सुरक्षित समाज मिल सकेगा पर राजनीति और समाज का दब्बूपन, व्यवस्था की उदासीनता और सत्ता का रसूख के आगे सब नाकाफ़ी साबित हुआ है।
अव्वल तो यह कि सजायाफ्ता कैदियों को भी बलात्कर और हत्या जैसे संगीन अपराध के बावजूद बस राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए उन्हें फूल माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर खूब शोर शराबे से स्वागत करते हैं और सरकार इसका बचाव करती है।
हम एक तरफ़ “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा बुलंद करते हैं वही दूसरी तरफ़ हमारा समाजिक ढाँचा ही महिला-सुरक्षा के ख़िलाफ़ होते जा रहा है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड ने एक और पहलू को उजागर किया है कि हम एक ऐसा समाज बनाने में नाकामयाब है जहाँ पढ़ी लिखी बेटियां भी बच सके दरिदों के नजर से। क्या “विशाखा गाइडलाइंस” जैसी कोई व्यवस्था MNC से बाहर छोटे-छोटे कंपनियों और रिजॉर्ट, ढाबों आदि जैसे जगहों पर भी लागू नहीं होनी चाहिए?
सवाल अनेकों हैं, जवाब सारे गौण हैं।
व्यवस्था अपंग है, समाज में सब मौन है।
रोज होती है कोई ‘अंकिता’ शिकार दरिंदो के,
मेरे सरकार बताओ ना, कातिल कौन है?
You presented your ideas and thoughts really well…#Justice For Ankita Bhandari