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    जानिए स्मृति ईरानी का मशहूर टीवी अभिनेत्री से लोकप्रिय राजनीतिक चेहरा बनने तक का रोमांचक सफर

    स्मृति ईरानी आज राजनीती में जितना बड़ा चेहरा हैं, एक ज़माने में उससे भी लोकप्रिय अभिनेत्री हुआ करती थीं। एकता कपूर के आइकोनिक शो ‘क्यूंकि सास भी कभी बहु थी’ से घर घर का नाम बनने वाली स्मृति ने 2003 में राजनीती की दुनिया में प्रवेश किया।

    हालांकि आधिकारिक तौर पर, ईरानी 2004 में भाजपा की महाराष्ट्र यूथ विंग में शामिल हुई थी, उन्होंने कपिल सिब्बल के खिलाफ उस वर्ष के आम चुनावों में कड़ी टक्कर दी, लेकिन अंततः हार गईं। हार के बावजूद, स्मृति निर्धारित थी और विपक्ष में मजबूत बनी रही।

    SMRITI AS ACTRESS

    2010 की तरफ बढ़ते हुए, स्मृति महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए खड़ी हुई और फलस्वरूप उन्हें भाजपा की महिला विंग- महिला मोर्चा की अखिल भारतीय अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद, उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करना जारी रखा और जनता की नज़र में एक लोकप्रिय नेता बन गईं।

    स्मृति को 2011 में गुजरात से राज्य सभा के सदस्य के रूप में चुना गया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में, स्मृति ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन जीत नहीं पाई। हालांकि, उस वर्ष नरेंद्र मोदी भारत के प्रधान मंत्री बने और स्मृति को कैबिनेट में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

    SMRITI AS LEADER

    2016 में, एक राजनीतिक विवाद के बाद, स्मृति से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नेतृत्व को छीन लिया गया और उन्हें वस्त्र मंत्रालय दिया गया। स्मृति ने देश की भलाई के लिए अपना काम करना जारी रखा, और इसलिए जब 2017 में, एम. वेंकैया नायडू ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस्तीफा दिया, तो ईरानी को उसका प्रभार सौंप दिया गया।

    पिछले साल, यही पोर्टफोलियो अन्य नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को सौंपा गया था। इस वर्ष, स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गाँधी के खिलाफ फिर से चुनाव लड़ रही थीं, एक ऐसी जगह जहाँ गांधी परिवार ने हमेशा नेतृत्व किया है। हालांकि, आने वाले परिणामों के अनुसार, स्मृति ईरानी अमेठी से राहुल गांधी को पीछे छोड़ते हुए नज़र आ रही हैं।

    SMRITI

    टीवी शो में आदर्श बहु तुलसी के किरदार से सभी का दिल जीतने के बाद, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक मशहूर राजनीतिक चेहरा बनने तक, स्मृति ने लम्बा सफर तय किया है। उन्होंने साबित किया है कि अगर एक महिला कुछ ठान ले तो पूरा करके ही मानती हैं। अपने 17 सालो के राजनीतिक करियर में, स्मृति ने राजनैतिक दायरे में अपने गहरी छाप छोड़ दी है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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