विषय-सूचि
सूर्य के बारे में जानकारी (information about sun in hindi)
सूर्य सौर मंडल के मध्य में मौजूद तारा है एवं सबसे भारी पिंड है। यह गर्म प्लाज्मा वाला क्षेत्र है।
यह सौर मंडल के 99.8 प्रतिशत भाग के बराबर है और इसका व्यास (diameter) पृथ्वी के मुकाबले 109 गुना ज्यादा है। इसके अंदर करीब एक मिलियन पृथ्वी आ सकते हैं।
सूर्य का जो भाग दिखता है उसका तापमान 5500॰ सेल्सियस है और न्यूक्लिअर प्रक्रियाओं के कारण उसके कोर भाग का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
वैज्ञानिक ऐसा कहते हैं कि सूर्य के जितनी ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए 100 बिलियन टन का डायनामाइट हर सेकंड विस्फोटित करना होगा।
सूर्य मिल्की वे आकाशगंगा के 100 बिलियन तारों में से एक है। यह मिल्की वे के केंद्रीय भाग जिसे गैलेक्टिक कोर कहा जाता है, उससे 25000 प्रकाश वर्ष दूर परिक्रमा करता है एवं एक परिक्रमा पूरी करने में इसे लगभग 250 मिलियन वर्ष का समय लगता है।
सूर्य एक युवा तारा है एवं तारों कि उन पीढ़ी में आता है जिनको Population I वर्ग में डाला गया है। इनमे वह गैस पाए जाते हैं जिनका भार हीलियम से ज्यादा हो।
इससे पुराने तारे Population II वर्ग में आते हैं एवं तारों का Population III वर्ग भी है जो नष्ट हो चुके हैं और इसके अंतर्गत आने वाले मौजूदा तारों की जानकारी नहीं है।
सूर्य कैसे बना (Formation of Sun in Hindi)
सूर्य की उत्पत्ति लगभग 4.6 बिलियन साल पहले हुई थी। ज्यादातर वैज्ञानिक यह मानते है कि एक बहुत बड़े घूमते हुए गैस एवं धूल के बादल जिनको सोलर नाब्युला कहा जाता है, उनसे सूर्य और बाकि सौर मंडल के ग्रहों का जन्म हुआ था।
गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नाब्युला में बहुत तेज भूचाल आया और वह और तेजी से घूमने लगा जिससे उसकी आकृति एक डिस्क के समान चपटी हो गई। फिर मध्य की तरफ बहुत ज्यादा खिंचाव हुआ जिससे आगे चलकर सूर्य का जन्म हुआ।
सूर्य में अभी इतना ज्यादा न्यूक्लिअर ईंधन है कि वह अगले 5 बिलियन सालों तक अपने वर्तमान रूप में निर्वाह कर सकता है। इसके बाद यह फुल कर एक red giant का रूप ले लेगा।
उसके बाद इसकी बाहरी परत नष्ट होने लगेगी जिससे इसके आंतरिक भाग ढह कर सफ़ेद ड्वार्फ बन जाएगा। इसके बाद अंतिम चरण में पहुँच कर यह कम टिमटिमाने वाला ठंडा पिंड बन जाएगा जिसे ब्लैक ड्वार्फ भी कहते हैं।
सूर्य का आंतरिक भाग एवं वायुमंडल (Internal Structure & Atmosphere of Sun in Hindi)
सूर्य एवं उसके वायुमंडल को कई जोन एवं परत में विभाजित किया गया है। अंदर से बाहर तक solar interior भाग कोर, विकिरण जोन एवं संवहनी (convective) जोन में विभाजित किया गया है।
इसके ऊपर पाए जाने वाले सौर वायुमंडल की परतें इस प्रकार हैं – फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर, संक्रमण (transition) जोन एवं कोरोना। इसके बाद सौर हवा बहती है जो कोरोना से निकलते हुए गैस से बनती है।
सूर्य का कोर भाग मध्य से शुरू होता है एवं सतह तक मौजूद रहता है। हालाँकि यह सूर्य के आयतन का सिर्फ दो प्रतिशत है, यह lead के घनत्व से 15 गुना ज्यादा है एवं पृथ्वी का लगभग आधा भार इसके तहत आता है।
इसके बाद विकिरण या radiative जोन आता है जो कोर से शुरू हो कर सतह के 70 प्रतिशत भाग में आता है। इसके तहत सूर्य का 32 प्रतिशत आयतन एवं 48 प्रतिशत भार आता है।
कोर से आने वाला प्रकाश विकिरण जोन में आकर फ़ैल जाता है। इससे एक अकेले फोटोन को यहां से निकलने में एक मिलियन साल तक लग जाता है।
फोटोस्फेयर सूर्य के वायुमंडल का सबसे निचला परत है, इससे वह रौशनी निकलती है जिसको हम पृथ्वी से देख पाते हैं। इसकी मोटाई लगभग 500 किमी तक है।
इसके ऊपरी भाग का तापमान 6125॰ सेल्सियस है और ऊपरी भाग का 4125॰ सेल्सियस तक है। यह कंटीले संरचनाओं से बना हुआ है जिसको spicules कहा जाता है। संक्रमित (transition) क्षेत्र वाला भाग से प्रकाश के रूप में ज्यादातर समय पैराबैंगनी (ultraviolet ) किरणें निकलती रहती हैं।
कोरोना सूर्य का सबसे गर्म भाग है जिसका तापमान 50000॰ सेल्सियस से 6 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है और जब सौर भूचाल आता है तो यह दसों मिलियन डिग्री तक गर्म हो जाता है।
सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field of Sun in Hindi)
साधारण स्थितियों में सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र पृथ्वी के मुकाबले सिर्फ दुगुना ज्यादा है, लेकिन कुछ जगहों पर जब यह कुछ ज्यादा ही केंद्रित होता है तो यह 3000 गुना तक तेज हो जाता है।
इस प्रकार के बदलाव होने के कारण सूर्य अपने इक्वेटर भाग की और ज्यादा झुका हुआ है और सतह के मुकाबले इक्वेटर भाग की तरफ होकर जल्दी घूम जाता है।
इसके कारण सूर्य के सतह पर बहुत से धब्बे दिखाई देते हैं।
सूर्य के अंदर मौजूद गैस (Gases of Sun in Hindi)
बाकि तारों की तरह सूर्य में भी हाइड्रोजन और हीलियम गैस काफी अधिक मात्रा में है। इसके अलावा ऑक्सीजन, कार्बन, नियोन, नाइट्रोजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम जैसे मौजूद हैं।
सूर्य में मौजूद हर एक मिलियन हाइड्रोजन अणु के मुकाबले 98000 हीलियम के कण, 850 ऑक्सीजन, 350 कार्बन, 110 नाइट्रोजन, 40 मैग्नीशियम, 35 आयरन एवं 35 सिलिकॉन के कण हैं। सब अणुओं को मिलकर हाइड्रोजन सबसे हल्का अणु है एवं सूर्य के भार का 72 प्रतिशत है। हीलियम सूर्य के भार का 27 प्रतिशत है।
सूर्य पर दिखने वाले धब्बे एवं सोलर भूचाल (Sunspots & Solar cycles in Hindi)
सूर्य पर दिखने वाले धब्बे गोलाकार, गहरे रंग के एवं थोड़े ठन्डे होते हैं।
जब सूर्य के आंतरिक भाग से मैग्नेटिक फील्ड निकलते हुए सतह से होते हुए वायुमंडल की तरफ पहुँचता है तब यह नजर आते हैं।
हर साल लगभग 250 धब्बे दिखते हैं। आज से 11 साल पहले सूर्य के सतह पर सोलर भूचाल आया था।
सूर्य पर किये गए शोध (Observations about the Sun in Hindi)
सबसे पहले सूर्य के बारे में शोध करने के लिए राकेट भेजे गए। उसके बाद नासा ने पृथ्वी से ही सूर्य पर शोध करना चालू किया। 1962 से 1971 के बीच सूर्य की परिक्रमा करने वाले छह राकेट भेजे गए।
उन्होंने सूर्य के कई आंतरिक चित्र खिंचकर भेजे जिससे सूर्य के बारे में काफी कुछ पता चला। साल 1990 में नासा एवं यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सूर्य के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए Ulysses मिशन भेजा।
इसके बाद 2007 में STEREO A और B मिशन भेजा गया। इसमें से मिशन B नष्ट हो गया था एवं A अभी भी वैज्ञानिकों के संपर्क में है।
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सुयॅ स्थिर है की सुयॅ घुमता है
सूर्य , आकाश गंगा के केंद्र के चारों ओर 251 किमी ./ सै. की गती से चक्कर लगा रहा है ओर सूर्य को एक चक्कर पूरा करने में 22 – 25 करोड़ वर्षो का समय लगता है ! साथ ही सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर भी घूमता है , इसका मध्य भाग 25 दिनों में तथा ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक चक्कर पूरा कर लेता है !