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    केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक भारत के तीन पड़ोसी देशों -पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश- में काफी मुश्किल हालातों में रह रहे और धार्मिक प्रताड़ना झेल कर यहां आने वाले, लेकिन नागरिकता प्राप्त नहीं कर पाने वाले अल्पसंख्यकों के लिए उम्मीद की एक किरण है। शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को ऊपरी सदन में पेश करते हुए कहा, “स्वतंत्रता के बाद, इस बात की उम्मीद थी कि पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक नागरिकों को सभी अधिकार दे दिए जाएंगे और वह सम्मान के साथ जीएंगे। उनकी संस्कृति और धर्म की रक्षा की जाएगी। उनके परिवार सुरक्षित रहेंगे।”

    मंत्री ने कहा कि दशकों बीत जाने के बाद वास्तविकता बिल्कुल अलग है।

    उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकार को छीन लिया गया। जब बांग्लादेश का गठन हुआ था, पहले अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ख्याल रखा गया, लेकिन इन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों के 20 फीसदी आबादी को समाप्त कर दिया गया। या तो उनका धर्मातरण कर दिया गया या उन्हें मार दिया गया।”

    मंत्री ने कहा कि धार्मिक प्रताड़ना की वजह से कई अल्पसंख्यक भारत आ गए। यहां भी उनका ख्याल नहीं रखा गया। भारत में भी वे मूल अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। यह विधेयक उन लोगों को राहत देगा, जिन्होंने धार्मिक प्रताड़ना झेली है।

    शाह ने स्पष्ट किया कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी ने एक घोषणा पत्र जारी किया था और लोगों के साथ इसे साझा किया था।

    गृहमंत्री ने कहा, “संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली में, घोषणा पत्र उन नीतियों का आईना होती है, जिसे एक पार्टी को लागू करना होता है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में बताया था कि धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।”

    लोगों का दावा है कि भाजपा ऐसा वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रही है। इस पर मंत्री ने कहा, “मैं यह कहना चाहता हूं कि हमने इस मुद्दे को लोगों के समक्ष रखा और उन्होंने इसका समर्थन किया और हमें सत्ता दिलाई। उन्होंने हमपर विश्वास किया कि हम धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले लोगों के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक लाएंगे। हम उनके अधिकारों और अपने वादे के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

    उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार पूर्वोत्तर के लोगों की चिंताओं के निराकरण के लिए भी प्रतिबद्ध है।

    शाह ने कहा, “हम पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति और रीति-रिवाज को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने इसके सभी पहलुओं को देखा है और तब विधेयक लेकर आए हैं।”

    शाह ने कहा, “ऐसे बहुत लोग हैं, जो इस बारे में गलत सूचना फैला रहें हैं कि यह विधेयक भारत के मुस्लिमों और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध है। मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस विधेयक का मुस्लिमों से कुछ लेना-देना नहीं है। यह विधेयक तीन पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यकों के बारे में है।”

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