Fri. Mar 29th, 2024
    सूडानी सैन्य अधिकारी

    सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात रविवार को सूडान को तीन अरब डॉलर की रकम भेजने को रज़ामंद हो गए हैं। मुल्क में अभी सैन्य हुकूमत का शासन है। राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को जन प्रदर्शन के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।

    दोनों खाड़ी देश सूडान के केंद्रीय बैंक में 50 करोड़ डॉलर जमा करेंगे और शेष राशि को भोजन, दवाइयां और पेट्रोलियम पदार्थ के रूप में भेजेंगे। नागरिक सरकार को सत्ता का हस्तांतरण करने के लिए सेना सैन्य परिषद् और जनता के बीच ठनी हुई है।

    11 अप्रैल को बशीर के सत्ता से बेदखल होते ही प्रदर्शनकारी रक्षा मंत्रालय के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। पिछले तीन हफ़्तों में उन्होंने कई प्रदर्शन किये हैं और और जल्द ही सत्ता को नागरिक सरकार के सुपुर्द करने के लिए दबाव बनाया है। ट्रान्सिस्शनल मिलिट्री कॉउन्सिल की भूमिका विद्रोह और क्रांति के पूरक है और हम सत्ता जनता को सौंपने के लिए प्रतिबद्ध है।

    प्रदर्शनकारियों और विपक्षी समूहों के एक गठबंधन ने कहा कि “टीएमसी नागरिकों को सत्ता सौंपने के लिए गंभीर नहीं है। यह परिषद् पूर्ववर्ती सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही है। हमने सैन्य परिषद् के खिलाफ प्रदर्शन क बढ़ाने का निर्णय लिया है और हम इसकी वैधता को मान्यता नहीं देंगे और सड़कों पर प्रदर्शन करना जारी रखेंगे।”

    कोबर जेल

    बुरहान ने पहली दफा बशीर और अधिकारीयों को उच्च सुरक्षा वाले जेल में रखे जाने की बात कबूल की है। इसमें पार्टी प्रमुख अहमद हारून और पूर्व पहले उपराष्ट्रपति अली ओस्मान ताहा भी है। उन्होंने कहा कि “यह सभी कोबर जेल में कैद हैं। विभागों ने बशीर के घर से 78 लाख डॉलर बरामद किये थे जो पिछली बार से कुछ ज्यादा थे।”

    सऊदी अरब और यूएई की तरफ से सूडान को खाड़ी देशों से सहायता की पहली बार सार्वजानिक तौर पर घोषणा की गयी है। सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक, यह उनकी वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने के लिए हैं, सूडानी पौंड पर दबाव को कम करने और विनिमय दर में बढ़ती स्थिरता के लिए हैं।

    सूडान की स्टेट एजेंसी के मुताबिक, सेंट्रल बैंक ने सूडानी पाउंड को मज़बूत किया है। खाड़ी देशों के बुरहान और उसके सहयोगी मोहमद हमदान डागलो से करीबी सम्बन्ध है क्योंकि वह यमन में सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के भागीदार है। सूडान अभी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है जिसके कारण नकदी की कमी और बेकरी व पेट्रोल स्टेशन पर लम्बी लाइन लगी हुई है।

    जानकारों के अनुसार, यह संकट आर्थिक कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण हुआ है। साथ ही साल 2011 में दक्षिणी सूडान के अलग हप जाने से तेल के व्यापार पर कभी प्रभाव पड़ा है। अक्टूबर 2017 में सूडान से अमेरिका ने कई व्यापार और आर्थिक प्रतिबन्ध हटा लिए थे। लेकिन अमेरिकी की सूची में हमेशा सूडान आतंकवाद का प्रायोजक देश रहा है।

    बुरहान ने बताया कि “इस सूची से सूडान बाहर निकालने के लिए अमेरिका के साथ चर्चा करने को कमिटी यात्रा कर सकती है।” वांशिगटन ने कहा कि “सूडान में जब तक सत्ता पर सेना का शासन है इस सूची से सूडान का नाम नहीं हटाया जायेगा। इसके बाबत नवंबर में अमेरिका बशीर की सरकार से वार्ता को तैयार था लेकिन कोई समाधान नहीं निकला था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *