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    पेगासस जासूसी मुद्दे और तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर विपक्षी सदस्यों द्वारा जारी विरोध के बीच संसद के दोनों सदनों ने बुधवार को बिना बहस के महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कर दिया गया।

    लोकसभा में कागजों को फाड़ने और उन्हें अध्यक्ष की कुर्सी और ट्रेजरी बेंच की ओर फेंकने की वजह से अनियंत्रित हंगामा हुआ। लोकशाभा ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021 और अनुदान की अनुपूरक मांग और विनियोग विधेयक (संख्या 3 और 4) बिना किसी बहस और ध्वनिमत से से पारित कर दिए।

    हालांकि स्पीकर ओम बिरला हंगामे के बीच प्रश्नकाल आयोजित करने में कामयाब रहे। लेकिन मौजूदा सत्र में पहली बार जैसे ही भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल स्पीकर की कुर्सी पर बैठे, विरोध तेज हो गया और विपक्षी सदस्यों जैसे कांग्रेस के गुरजीत औजला, टी.एन. प्रतापन और हिबी ईडन के साथ-साथ कुछ अन्य लोगों ने कागजात फाड़ दिए और उन्हें हवा में फेंक दिया।

    ट्रेजरी बेंच ने अध्यक्ष का अनादर करने के लिए गुरजीत औजला, टी.एन. प्रतापन, मनिकम टैगोर, जोथिमणि सेनिमलाई और कांग्रेस के अन्य सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मुद्दे पर लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी से बात की। अधीर रंजन श्री चौधरी ने जवाब दिया कि विपक्ष के पास विशिष्ट मुद्दे और मांगें थीं और विरोध उन मांगों के लिए था। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने संबंधित सांसदों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की लेकिन कोई कार्रवाई तय नहीं की गई।

    राज्यसभा में भी किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 बिना बहस के पारित हो गया और सदन दोपहर 3 बजे से पहले दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। जब महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रस्तावित संशोधनों की व्याख्या की, तब भी पेगासस मुद्दे और कृषि कानूनों पर सदन में विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

    विधेयक के पारित होने के बाद भी सदन को कई बार स्थगित किया गया। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदस्यों से तख्तियां लहराना बंद करने का आग्रह किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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