Sat. Apr 20th, 2024

    दोनों सदनों की कार्यवाही का जनता तक सीधा प्रसारण करने वाले लोक सभा टीवी (LSTV) व राज्य सभा टीवी (RSTV) का विलय कर दिया गया है। अब दोनों चैनलों को मिलाकर एक ही चैनल पर प्रसारित किया जाएगा। इस नए चैनल का नाम संसद टीवी होगा। संसद टीवी पिछले वर्ष नवंबर में प्रस्तावित की गई थी। इसके लिए राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने एक टीम का गठन किया था। इस टीम को सोच विचार करने और अंत में एक सही निष्कर्ष देने का काम सौंपा गया था। इस संबंध में इस टीम की सिफारिश के बाद अब इन दोनों चैनलों का विलय कर दिया गया है।

    दोनों चैनलों को मिलाकर संसद टीवी बना दिया गया है। इसके सीईओ के तौर पर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रवि कपूर 1 साल के लिए नियुक्त किए गये हैं। सोमवार को राज्यसभा सचिवालय के द्वारा आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा की गई है। नए चैनल सांसद टीवी के लांच होने के बाद अब लोकसभा व राज्यसभा, दोनों सदनों की कार्यवाही को एक ही चैनल पर प्रसारित किया जाएगा। इससे पहले LSTV पर लोकसभा और RSTV पर राज्यसभा की कार्यवाही प्रसारित की जाती थी।

    संभावना जताई जा रही है कि संसद टीवी को भी दो हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है। एक भाग में अंग्रेजी और एक भाग में हिंदी में सदन की कार्यवाही प्रसारित की जा सकती है। इसके अलावा संसद टीवी पर समाचार और करंट अफेयर्स के कार्यक्रम भी हिंदी और अंग्रेजी में चलेंगे। वास्तव में इस योजना के लिए साल 2019 से ही प्रस्तावना दी जा रही थी। दोनों चैनलों का विलय कर के एक चैनल लाने के पीछे लागत में कटौती करना, प्रबंधन को व्यवस्थित करना, अधिकतम विज्ञापन लाना व कुछ प्रशासनिक उद्देश्य थे।

    संसद टीवी के लिए सीईओ नियुक्त किए गए रिटायर्ड आईएएस रवि कपूर इस जिम्मेदारी से पहले भी सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे 1986 असम मेघालय बैच के कैडेट रह चुके हैं। पहले दर्शकों को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही देखने के लिए दो अलग अलग चैनलों का रुख करना पड़ता था। लेकिन अब से एक ही चैनल पर दोनों सदनों की कार्यवाही लोग देख सकते हैं। इस से एक तरफ जहां सरकार का पैसा और श्रम शक्ति बचेगी, वहीं दूसरी तरफ प्रबंधन भी आसानी और बेहतरी के साथ हो पाएगा। दर्शकों को भी काफी सुविधा मिलेगी। सरकार के व्यय में कटौती होगी। संसद टीवी पर लोग दोनों सदनों की कार्यवाही देख पाएंगे।

    चैनलों के विलय का फैसला लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति के संयुक्त निर्णय के चलते लिया गया है। भारत में लोकसभा टीवी की शुरुआत 1989 और राज्यसभा टीवी की शुरुआत 2011 में दोनों सदनों की कार्यवाही का प्रसारण जनता तक करवाने के उद्देश्य से की गई थी। इन चैनलों पर ज्यादातर सरकारी कार्यक्रम, राजनीतिक कार्यक्रमं करेंट अफेयर जैस प्रोग्राम दिखाए जाते थे। संसद टीवी का प्रारूप भी ऐसा ही होने की संभावना है। साल 2019 में दोनों चैनलों के विलय के उद्देश्य से कमेटी गठित की गई थी, लेकिन अब जाकर चैनलों का विलय हो पाया है।

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