अभी तो फिल्म “ठाकरे” की कामयाबी का जश्न मनाया भी नहीं और उसके निर्माता और शिवसेना सांसद संजय राउत एक और बायोपिक बनाने की योजना बना रहे है। ये बायोपिक, अनुभवी ट्रेड यूनियन नेता और राजनेता जॉर्ज फर्नांडिस की ज़िन्दगी पर आधारित होगी जिनकी इसी मंगलवार को म्रत्यु हुई है।
विचारधारा में इतना बड़ा अंतर होने के बावजूद भी, सेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे और फर्नांडिस के बीच गहरे सम्बन्ध थे और खासतौर पर तब, जब जॉर्ज कमाल की मराठी भाषा बोलते थे।
और फिल्म “ठाकरे” में भी, एक द्रश्य में फर्नांडिस जिनका किरदार प्रकाश बेलावादी ने निभाया था, वे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अभिनीत बालासाहेब से मिलने पुणे की जेल में जाते हैं।
राउत के मुताबिक, “अब मैं जॉर्ज फर्नांडिस के ऊपर बायोपिक बनाऊंगा। इसमें ज्यादातर, मुंबई के 1950 के मध्य से लेकर आपातकाल तक का पीरियड दिखाया जाएगा और जो अहम भूमिका उन्होंने गठबंधन-युग की राजनीती में निभाई।”
फर्नांडिस ने एक यूनियन लीडर डी’कॉस्ट के किरदारों को अरुण साधु के विख्यात मराठी उपन्यास-‘मुंबई दिनंक’, और जब्बार पटेल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सिम्हासन’ में भी प्रेरित किया था।
अपने करीबी व्यक्तिगत संपर्क के अलावा, फर्नांडीस, ठाकरे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक और जुनून साझा किया – देश के पहले विमान वाहक पोत, विक्रांत (पूर्व में आईएनएस विक्रांत) को भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी समुद्री संग्रहालय में बदलने के लिए।
इस मृतक तिकड़ी ने इस दिशा में पहली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के दौरान उन्मत्त प्रयास किए थे, जिसमें ठाकरे ने वाजपेयी और फर्नांडीस को परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया था।