यह फ़िल्म एक बड़े व्यवसाई की कहानी है जो अपनी आराम की ज़िन्दगी और अय्याशी में इतना मशगुल रहता है कि वह न छोटी बातों को महत्त्व देता है और नाही छोटे लोगों को।
अभिनय की बात करें तो स्वरा भास्कर ने हाउसकीपर का यह किरदार बड़े ही सलीके से किया है। ज्यादा डायलॉग नहीं होने के बावजूद भी स्वरा जब तक स्क्रीन पर रहती हैं उन्हें देखने का मन करता है। इसके साथ ही स्वरा के किरदार की कई परते भी हैं।
घमंडी व्यवसाई के रूप में रणवीर शोरे अपने किरदार के साथ न्याय करते नज़र आते हैं। सभी भावनाओं और अनुवादों को रणवीर ने बखूबी निभाया है।
सयानी गुप्ता जिन्होंने व्यवसाई की प्रेमिका का किरदार निभाया है, काफी प्रतिभावान अभिनेत्री हैं और उनसे और भी अच्छा काम लिया जा सकता था पर जितना भी उन्हें करने के लिए दिया गया है सयानी ने सलीके से किया है।
तारा शर्मा कहीं गायब सी हो गईं थीं और उनकी इस वापसी पर हम यह उम्मीद कर रहे थे कि वह पर्दे पर इस बार कुछ दिलचस्प और देखने लायक लेकर आएंगी पर उन्होंने हमें निराश किया है। इस फ़िल्म में भी तारा कुछ वैसा ही अभिनय कर रही थीं जैसा उन्होंने 2003 में आई फ़िल्म ‘साया’ में किया था।
फ़िल्म की कहानी साधारण है पर इसमें ज़िन्दगी से जुड़ी बड़ी बात छिपी हुई है। यह फ़िल्म हमें एहसास दिलाती है कि किस तरह से हर छोटी-छोटी बातें हमारी ज़िन्दगी में मायने रखती हैं और किस तरह से कोई बात हमारे लिए हो सकता है कि बहुत छोटी हो पर वह किसी और की ज़िदगी के सबसे बड़ी बात हो सकती है।
इसके साथ ही फ़िल्म मनुष्य में छिपी हुई असुरक्षा की भावना और आत्मविश्वास की कमी को लेकर भी एक बड़ा सन्देश देती है। ‘शेम’ कहने के लिए एक शॉर्ट फ़िल्म है पर इसको देखने का आपका अनुभव बिल्कुल एक फुल हिंदी फ़िल्म की तरह ही होगा। फ़िल्म अंत में आपको दुविधा या रहस्य में नहीं छोड़ती है।
टिपण्णी – हम यह अब तक समझ नहीं पाए हैं कि फ़िल्म का नाम शेम क्यों रखा? फ़िल्म में यह एंगल तो है कि किस तरह से हाउसकीपर अपने आप को लेकर असुरक्षा की भावना में रहती है और बाद में वह असुरक्षा ख़त्म हो जाती है।
और फ़िल्म में दूसरा एंगल यह है कि किस प्रकार बड़े लोग गरीब लोगों को अपनी चीजों के आस- पास भी फटकने नहीं देते क्योंकि उनको शर्म आती है।
पर इन एंगल को लेकर यदि फ़िल्म का नाम ‘शेम’ रखा गया है तो फ़िल्म के क्लाइमेक्स में तीसरा बड़ा एंगल क्यों रखा गया है जो फ़िल्म के नाम से बिल्कुल मेल नहीं खाता।
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Wow.. Such a beautiful description. Please write more about short films. Nice work!
जरूर!
Great work ????????
धन्यवाद!