Sun. Nov 10th, 2024
    एआईएडीएमके

    तमिलनाडु की राजनीति में मचा संग्राम अब एक नए स्तर पर पहुँच गया है। एआईएडीएमके के दोनों धड़ों के एक होने के बाद आज मंगलवार को बुलाई गई संयुक्त बैठक में पार्टी महासचिव शशिकला को महासचिव पद से हटाने का फैसला किया गया। शशिकला को ना केवल पार्टी महासचिव पद से हटाया गया वरन साथ-साथ उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया गया। इसके साथ ही पार्टी महासचिव पद संभालने के बाद शशिकला द्वारा लिए गए सारे फैसले अब मान्य नहीं होंगे। मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम गुट की जनरल कॉउन्सिल की बैठक में यह प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव के पास होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि टीटीवी दिनाकरन का पत्ता भी अब एआईएडीएमके से कट गया है क्योंकि उन्हें शशिकला ने ही उप महासचिव का पदभार सौंपा था।

    एआईएडीएमके के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार जनरल कॉउन्सिल की बैठक में यह भी तय किया गया कि एआईएडीएमके में अब अंतरिम महासचिव पद नहीं रहेगा। अब पार्टी के दोनों धड़े एक हो चुके हैं ऐसे में एआईएडीएमके चुनाव आयोग जाकर अपना चुनाव चिन्ह “दो पत्ती” पर फिर से दावा करेगा। दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता पार्टी की स्थायी महासचिव बनी रहेंगी। जयललिता द्वारा नियुक्त सभी पदाधिकारी अपने पदों पर बने रहेंगे। शशिकला के साथ-साथ दिनाकरन की भी बर्खास्तगी हो गई है और अब उनका कोई भी ऐलान पार्टी के लिए मान्य नहीं होगा। अपनी बर्खास्तगी से तिलमिलाए दिनाकरन ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को कहा है कि अगर उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है तो चुनाव में उतरने की हिम्मत करें। साथ ही उन्होंने तमिलनाडु सरकार को गिराने की धमकी भी दी है।

    बदलेगा एआईएडीएमके का स्वरुप

    आज एआईएडीएमके की जनरल कॉउन्सिल की बैठक में यह तय किया गया कि एआईएडीएमके का पुराना स्वरुप अब बदला जाएगा। पार्टी “अम्मा” के सिद्धांतों पर ही चलेगी। स्वर्गीय जयललिता एआईएडीएमके की स्थायी महासचिव बनी रहेंगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम एआईएडीएमके के मुख्य संयोजक बनेंगे वहीं मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी संयुक्त संयोजक की भूमिका में रहेंगे। माना जा रहा है कि शीघ्र ही एआईएडीएमके भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए में शामिल हो सकती है। एआईएडीएमके के दोनों धड़ों के विलय में भाजपा ने अहम भूमिका निभाई थी। अब जब शशिकला को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और हालात सामान्य होते दिख रहे हैं ऐसे में मुमकिन है जल्द ही भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन की खबर सुनने को मिले।

    मदुरै एयरपोर्ट पर हुई थी दिनाकरन-पन्नीरसेल्वम समर्थकों में झड़प

    कुछ दिनों पूर्व ही मदुरै एयरपोर्ट पर दिनाकरन और पन्नीरसेल्वम के समर्थकों के बीच झड़प देखने को मिली थी। तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम गुरूवार शाम को मदुरै एयरपोर्ट पहुँचे थे। उनके साथ उनके कुछ समर्थक भी एयरपोर्ट पर मौजूद थे। वही एयरपोर्ट पर पहले से ही दिनाकरन गुट के समर्थक मौजूद थे। उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को देखकर उन्होंने नारेबाजी करनी शुरू कर दी थी। उन्होंने जेल में बंद एआईएडीएमके महासचिव शशिकला के समर्थन में भी नारेबाजी की थी। उस वक्त पन्नीरसेल्वम के साथ सेल्लुर राजू भी मौजूद थे जो कभी दिनाकरन के करीबी माने जाते थे।

    नारेबाजी को लेकर दोनों गुटों के समर्थकों में विवाद बढ़ गया था और नौबत हाथापाई तक आ गई थी। विवाद को बढ़ता देख पुलिस ने मामले में दखल दिया था और दोनों गुटों के विधायकों को एयरपोर्ट से खदेड़ा था। स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा था। इस हंगामे की वजह से एयरपोर्ट पर मौजूद लोगों को काफी परेशानी हुई थी। ऐसे में अब शशिकला और दिनाकरन को पार्टी से निकाले जाने के बाद उनके समर्थकों का विरोध-प्रदर्शन कब हिंसक रूप अख्तियार कर ले यह कहना जरा मुश्किल होगा।

    अल्पमत में है ई पलानीस्वामी की सरकार

    हाल ही तमिलनाडु के सत्ताधारी दल एआईएडीएमके के दोनों धड़े एक हुए थे। इन्हें साथ लाने में भाजपा ने महती भूमिका निभाई थी। दोनों गुटों के एक होने के बाद लग रहा था कि अब तमिलनाडु में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो जाएगी। लेकिन एआईएडीएमके महासचिव शशिकला के भतीजे दिनाकरन के गुट के 19 विधायकों ने मुख्यमंत्री से अपना समर्थन वापस लेने की बात कह दी। उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी में उनका विश्वास नहीं है। इससे पलानीस्वामी सरकार पर विधानसभा में बहुमत साबित करने का संकट उत्पन्न हो गया है। तमिलनाडु विधानसभा में कुल 233 सीटें हैं और एआईएडीएमके के कुल 134 विधायक हैं। दिनाकरन गुट के 19 विधायकों के समर्थन वापसी के बाद यह आंकड़ा घटकर 115 पर आ जाता है जो बहुमत के लिए जरूरी 117 विधायकों के समर्थन के आंकड़ें से कम है।

    भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद और एआईएडीएमके से निष्कासित पूर्व अंतरिम महासचिव शशिकला को खुद को पार्टी से किनारे किया जाना नागवार गुजरा है। शशिकला समर्थकों को कहना है कि मुख्यमंत्री पलानीस्वामी शायद यह भूल रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री किसने बनाया था। अगर तमिलनाडु विधानसभा पर गौर करें तो यहाँ कुल 233 सीटें हैं। एआईडीएमके के कुल 134 विधायक हैं। मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद 1 सीट रिक्त है। विपक्षी दल डीएमके के पास 89 विधायक हैं वहीं कांग्रेस के 8 विधायक हैं। क्षेत्रीय दल आईयूएमल का 1 विधायक है। तमिलनाडु की मौजूदा सरकार अल्पमत में हैं और 19 विधायकों की समर्थन वापसी के बाद मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के लिए बहुमत साबित करना बहुत मुश्किल होगा।

    एआईएडीएमके से गठबंधन का भाजपा को मिलेगा दोहरा फायदा

    भाजपा-एआईएडीएमके गठबंधन से भाजपा को दोहरा फायदा मिलना तय है। वैंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने दक्षिण में अपना आधार जमाने की जो कोशिश की है वह रंग लाती दिख रही है। तमिलनाडु की राजनीति में भाजपा पहली बार महत्वपूर्ण भूमिका में दिख रही है। देश को भगवामय करने का मोदी-शाह का सपना और मजबूत होता दिख रहा है। वहीं अगर केंद्र की बात करें तो एआईएडीएमके भाजपा और कांग्रेस के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा दल है। लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर पार्टी के कुल 50 सांसद हैं और यह आंकड़ें भाजपा को और मजबूती देंगे। दक्षिण भारत के सबसे बड़े दल से जुड़ने के बाद दक्षिण में भाजपा की पकड़ निश्चित रूप से मजबूत होगी और बहुत मुमकिन है कि भाजपा के मिशन साउथ में यह गठबंधन एक निर्णायक भूमिका अदा करे।

    भाजपा एआईडीएमके के दोनों धड़ों को साथ लाने के लिए बहुत समय से प्रयासरत था। इसलिए उसने तमिलनाडु में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को निर्देश दे रखे थे और पार्टी महासचिव मुरलीधर राव को विशेष तौर पर इस काम की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। एआईएडीएमके के साथ गठबंधन भाजपा के लिए हर तरफ से फायदे का सौदा साबित होगा। भाजपा पिछले काफी समय से तमिलनाडु की राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने को आतुर है। ऐसे में मौजूदा हालात उसके माकूल है। अभी तक कोई गैर द्रविड़ पृष्ठभूमि पर आधारित दल तमिलनाडु की राजनीति में अपना पाँव जमाने में सफल नहीं रहा है। ऐसे में यह भाजपा के लिए सुअवसर साबित हो सकता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।