Mon. Dec 23rd, 2024

    Tag: भारत-रूस सम्बन्ध

    भारत रूस सम्बन्ध

    भारत और सोवियत रूस ने शीत युद्ध के दौरान एक बेहद करीबी सैन्य, रणनीतिक और आर्थिक संबंधों का आनंद लिया। 90 के दशक में यानि शीत युद्ध के बाद भी आपसी संबंधों में कोई उतार नहीं देखा गया परन्तु आर्थिक मोर्चे पर एक किस्म की ठंडक बनी रही।

    वर्ष 2017 के दौरान भारत और रूस के संबंधों में दोबारा एक गर्मी देखने को मिली। दोनों देशों के बीच व्यापार ने 22 प्रतिशत का स्वस्थ उछाल देखा।

    इसके पहले रूस के सबसे बड़े तेल उत्पादक, रोज्नेफ्ट ने भारत की सबसे बड़ी निजी तेल रिफाइनरी एस्सार की 12.9 बिलियन डॉलर में खरीद पूरी की। भारत को सेंट पीटर्सबर्ग इकोनोमिक फोरम में एक प्रमुख अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया।

    रूस के वर्त्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एवं भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आपस में सौहार्दपूर्ण संबंध साझा करते हैं।

    भारत रूस संबंध का इतिहास

    आधिकारिक प्रदर्शन से अलग तस्वीर कुछ और ही बयान देती है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आ रहे भूराजनैतिक बदलाव नए समीकरण बना रहे हैं जिससे दोनों देशों के बीच के पुराने संबंध कमज़ोर पड़ते दिखाई देते हैं।

    चीन की बढ़ती धमक, रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध और इससे लगातार जूझते रुस के आर्थिक हालात भारत-रूस रिश्तों में आने वाले निकट बदलावों की ओर इशारा करते हैं।

    मॉस्को ने नई दिल्ली को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की सदस्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसका ज़ोर इस समूह में चीनी वर्चस्व को कम करने का था उसने चीन-रूस-भारत के त्रिपक्षीय मोर्चे को मज़बूत करने के भी कदम उठाये।

    रूस ऐसी बैठकों और मुद्दों को अपने वैचारिक एजेंडा के तहत आगे बढ़ाने के लिए जोर लगाता रहता है जिससे वह पूर्व के वर्चस्व का मुक़ाबला कर सके। पर भारत अपने लिए व्यावहारिक स्तिथि बनाये रखना चाहता है।

    नई दिल्ली ने हमेशा बदलते राजनैतिक माहौल में अपने आप को ढालने की निपुणता का प्रदर्शन किया। 1971 में भारत ने सोवियत यूनियन के साथ मित्रता और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किये जिससे अमरीका-पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों के बीच संतुलन बनाया जा सके।

    शीत युद्ध ख़त्म होने के बाद उसने अपनी रूस से दोस्ती को आगे बढ़ाकर अमेरिका की भारत के परमाणु कार्यक्रम के ख़िलाफ़ रणनीति का सामना किया।

    अब दोबारा क्षेत्र की भूराजनैतिक स्तिथियाँ बदल रही हैं। कमज़ोर होता रूस चीन के ऊपर ज़्यादा निर्भर हो रहा है, ऐसे समय में भारत भी अपनी प्राथमिकताओं के मद्देनज़र दूसरे देशों की तरफ़ देख रहा है।

    चीनी पहलू:

    इस वक्त चीन भारत के सामने सबसे बड़ा ख़तरा बना हुआ है। दोनों देश आपस में विवादित सीमारेखा साझा करते हैं और अभी हालिया दोकलाम विवाद एक बड़े सैनिक संघर्ष में बदलने से रह गया। चीन का पाकिस्तान में लगातार बढ़ता निवेश भारत के लिए पहले से ही सरदर्द का कारण है।

    चीन आज भारत से 4 गुनी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और उसका रक्षा बजट भारत से लगभग 3 गुना ज़्यादा है। चीन-भारत के बीच आज मज़बूत आर्थिक संबंध तो हैं पर ये संदेह से भरे हुए हैं।

    इसी बीच नई दिल्ली और वाशिंगटन एक दूसरे के करीब आये हैं। वाशिंगटन भारत के लिए सुरक्षा परिषद और और न्युक्लीअर सप्लायर ग्रुप(एनएसजी) में पूर्ण सदस्यता की वकालत करता रहा है वहीँ चीन हर तरीके से इसके ऊपर विरोध जता चुका है और इसे रोकने की कोशिश की है।

    चीन और रूस के मज़बूत होते संबंध किसी भी प्रकार के भारत-चीन संघर्ष के दौरान रुसी सहायता पर प्रश्नचिन्ह हैं।

    पाकिस्तान से बढ़ती करीबी:

    शीत युद्ध में प्रतिद्वंद्वी रहे रूस और पाकिस्तान के बीच जमी बर्फ भी अब पिघलती दिख रही है।

    पिछले महीने ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ़ ने मॉस्को का रूसी विदेश मंत्री के निमंत्रण पर 4 दिवसीय दौरा किया। इस घटनाक्रम को ज़ाहिर तौर पर नई दिल्ली ने सकारात्मक रूप से नहीं देखा।

    2015 में पहली बार रूस ने पाकिस्तान को सैन्य करार में 4 उन्नत लड़ाकू हेलिकॉप्टर Mi-35 बेचे और साथ ही दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास को लेकर भी समझौता हुआ।

    भारत से बढ़ती दूरियां

    जहाँ रूस ने पाकिस्तान और चीन के साथ अपने संबंध मज़बूत किये हैं वहीँ दूसरी तरफ़ भारत ने अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ मिलकर भारतीय महासागर और प्रशांत क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है।

    भारत ने जापान के साथ बेहद मज़बूत संबंध बना लिए हैंI ये साफ़ तौर पर दिखलाता है कि भारत अमरीका के नेतृत्व वाले गठबंधन की तरफ़ झुका है।

    भारत दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा उत्पादों को आयात करने वाला देश है और पिछले दशक के दौरान भारत ने रूसी निर्भरता कम करने के उद्देश्य से अपनी हथियारों की ख़रीद अमरीका और इसराइल जैसे देशों के साथ बढ़ाई है।

    फ्रांस जोकि नाटो देशों का सदस्य है, उसके साथ भी भारत ने पनडुब्बियों समेत लड़ाकू जहाज़ खरीदने के बड़े करार किये हैं।

    और जहाँ अमरीका, जापान जैसे देशों के साथ भारत की बड़ी मात्रा में आर्थिक गतिविधियाँ हैं वहीँ रूस के साथ व्यापर मोटे तौर पर रक्षा उत्पादों के आयात पर टिका है।

    इन सबके बावजूद 2012-2016 के बीच भारत का 68 प्रतिशत रक्षा आयात रूस से किया गया जो अमरीका के साथ किये 14 प्रतिशत और इसराइल के 8 प्रतिशत से कहीं ज़्यादा है।

    भारत को रूसी दोस्ती से कई बड़े लाभ हुए हैं, चाहे वह परमाणु पनडुब्बी की सप्लाई हो या ब्रह्मोस जसी उन्नत तकनीक की मिसाइल का साझा विकास।

    इस वक्त आत्मनिर्भर होता चीन अपने हथियारों का आयात रूस से कम कर रहा है। वहीँ कच्चे तेल के अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में गिरे दाम और आर्थिक प्रतिबंध रूस की आर्थिक स्तिथि को बिगाड़े हुए हैं।

    भारत भी अब रूस से दोगुनी बड़ी अर्थव्यवस्था है और  लगातार बढ़ती आर्थिक शक्ति से हथियारों का बाज़ार खोने का जोख़िम रूस के ऊपर भारी पड़ सकता है।

    रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा – 2018

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 अक्टूबर 2018 को भारत दौरे पर आये। पुतिन नें यहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और दोनों नेताओं नें कई मुद्दों पर बातचीत की।

    पुतिन के इस भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच करीबन 19 समझौतों पर हस्तक्षर हुए, जिनमें रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा आदि शामिल हैं।

    भारत रूस संबंध से जुड़ी खबरें:

    पुलवामा हमले की अमेरिका, इजराइल समेत 48 देशों ने की निंदा, जानिए देशों की राय

    विश्व के अधिकतर देशों ने पुलवामा हमले की निंदा की है और आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए भारत का समर्थन करने का वादा किया है।  जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अंजाम…

    अमेरिका, रूस, पाकिस्तान ने पुलवामा आतंकी हमले की आलोचना की

    अमेरिका, पाकिस्तान सहित विश्व के कई देशों ने कश्मीर में हुए पुलवामा आतंकी हमले की आलोचना की है। जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अंजाम दिए इस हमले में सीआरपीएफ के 44 सैनिक शहीद…

    अमेरिकी-तालिबानी शांति समझौते से भारत की परेशानी बढ़ी

    अफगानिस्तान की सरजमीं से अमेरिका वापसी के लिए शांति प्रस्ताव पर रज़ामंदी दे रहा है। भारत ने इसे देखते हुए अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू कर दी…

    रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने राष्ट्रपति कोविंद और प्रधानमन्त्री मोदी को दी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं

    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के 70 वें गणतंत्र दिवस के समारोह में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री व्लादिमीर पुतिन के जनता को हार्दिक बधाई दी है। व्लादिमीर…

    आर्थिक द्विपक्षीय वृद्धि के लिए रूस संसद के अध्यक्ष ने की भारत की यात्रा

    भारत और रूस के मध्य द्विपक्षी संबंध काफी मज़बूत होते जा रहे हैं। रूस ने तो यह तक कहा था कि भारत से साथ ल्करीबी संबंधों को ताक पर रखकर…

    भारत-रूस दिपक्षीय रिश्तों की मजबूती के लिए रुसी दौरे पर जायेंगे नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा

    भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा तीन दिवसीय यात्रा 26 से 29 नवम्बर तक रूस की यात्रा पर जायेंगे। इस यात्रा का मकसद द्विपक्षीय रसखा समझौतों को मजबूत करना…

    भारत और रूस ने किये 500 मिलियन डॉलर के नौसेना समझौते पर हस्ताक्षर

    भारत और रूस ने गोवा में दो युद्धपोतों के निर्माण के लिए 500 मिलियन डॉलर के समझौते पर दस्तखत किये हैं। ख़बरों के मुताबिक इन युद्धपोतों को डिलीवरी साल 2027…

    तालिबान के साथ अगली बैठक में अधिक सक्रिय रहे भारत: रूस

    आतंकी समूह तालिबान के साथ सुलह प्रक्रिया के लिए रूस ने एक बैठक का आयोजन किया था। रूस ने तालिबान के साथ अफगानिस्तान के भविष्य से संबंधित बातचीत की थी।…

    भारत में विभिन्न विकास योजनाओं में रूस करेगा निवेश: सुरेश प्रभु

    केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि रूस ने दिल्ली-मुंबई उद्योगिक गलियारे और स्मार्ट शहरों में निवेश करने के लिए रुझान दिखाया है। उन्होंने कहा कि 23 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय…

    भारत ने युद्धपोत के लिए रूस के साथ 950 मिलियन डॉलर की डील पर किये हस्ताक्षर

    रूस ने भारत के साथ 950 मिलियन डॉलर के दो युद्धपोतों के सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं। भारत की नौसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के…