Sat. Nov 23rd, 2024

    Tag: भारत-नेपाल सम्बन्ध

    केपी ओली- पीएम मोदी

    पिछले कई सालों से भारत का सबसे मजबूत व विश्वास मित्र-राष्ट्र नेपाल है। भारत व नेपाल के बीच में द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत बने हुए है।

    भारत व नेपाल के बीच में सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व व्यापारिक रूप से मजबूत संबंध है। साल 1950 में भारत व नेपाल के बीच में शान्ति तथा मैत्री संधि की गई थी। इस संधि के बाद ही दोनों देशों ने शांति और मित्रता के साथ अपने रिश्ते की शुरूआत की।

    यह संधि दोनों देशों के व्यापार को नियंत्रित भी करता है। तत्कालीन भारतीय सरकार और नेपाल के राणा शासकों के बीच हुई संधि के मुताबिक अगर दोनों देशों के बीच में गहरे मतभेद या गलतफहमी हो जिसका रिश्तों पर बुरा असर पड़ सकता हो तो एक-दूसरे को सूचित करना आवश्यक है।

    इसके कई अनुच्छेदों मे नेपाल व भारत के बीच समझौते का वर्णन किया गया है। इसमें नेपाल की सुरक्षा व व्यापारिक शर्तों का भी उल्लेख है। इस संधि ने भारत और नेपाल के बीच एक “विशेष संबंध” की स्थापना की।

    ये संधि दोनों देशों को पड़ोसी मित्रता के प्रतीक स्वरूप एक-दूसरे के नागरिकों को अपने सीमा क्षेत्र में उद्योग एवं आर्थिक विकास में समान नागरिक व्यवहार प्रदान करते हुए भागीदारी का अधिकार प्रदान करता है। दोनों देश के नागरिकों को आपस में व्यापार करने व एक-दूसरी जगह पर स्वतंत्रता के रूप में आने जाने का भी प्रावधान है।

    यह भी पढ़ें: साल 2017 में देखी गई भारत-नेपाल रिश्तों में मजबूती

    गौरतलब है कि भारत व नेपाल के बीच मजबूत संबंधों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दोनों देशों की सीमा आपस में खुली हुई है। नेपाली और भारतीय नागरिक पासपोर्ट या वीज़ा के बिना सीमा पार आसानी से जा सकते है और दोनों देश में रहकर काम कर सकते है। हालांकि भारतीय नागरिकों के ऊपर कुछ प्रतिबंध लगे हुए है।

    भारतीय नागरिकों को नेपाल के किसी भी सरकारी संस्थानों में काम करने की अनुमति नहीं है जबकि नेपाली नागरिकों को भारत के सरकारी संस्थानों (सिविल सेवाओं जैसे आईएफएस, आईएएस और आईपीएस) को छोड़कर काम करने की अनुमति है।

    इतिहास

    साल 1950 के दशक में नेपाल के राणा शासकों ने भारत के साथ करीबी रिश्ते का खुले तौर पर स्वागत किया। क्योंकि राणा शासकों को चीन समर्थित कम्युनिस्टों का डर था। इसलिए ही इन्होंने भारत के साथ संधि की। नेपाल में राणा शासन साल 1950 के शांति और मैत्री की भारत-नेपाल संधि पर हस्ताक्षर करने के 3 महीने के भीतर गिर गया।

    साल 1952 के नेपाली नागरिकता अधिनियम ने भारतीय नागरिकों को आसानी से उनके देश में बसने व नागरिकता देने की अनुमति प्रदान की।

    साल 1962 में भारत-चीन सीमा युद्ध के बाद नेपाल व भारत के बीच रिश्ते महत्वपूर्ण हुए।

    साल 1975 में नेपाल के राजा बिरेन्द्र बीर विक्रम शाह देव ने सिक्किम पर भारतीय कब्जे की पृष्ठभूमि में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘शांति के क्षेत्र’ के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव किया। इस पर नेपाल की बुरी नजर थी। नेपाल के प्रस्ताव को तुरंत रूप से पाकिस्तान और चीन से समर्थन मिला, लेकिन भारत से नहीं मिल पाया।

    साल 1990 में भारत व नेपाल के बीच विशेष सुरक्षा संबंधों को तत्कालीन नेपाल के प्रधान मंत्री कृष्णा प्रसाद भट्टराई और भारतीय प्रधान मंत्री वी.पी. सिंह ने बैठक के जरिए पुनर्स्थापित किया।

    भारत नेपाल चीन

    नेपाली माओवादियों ने संधि में संशोधन की मांग की

    भारत व नेपाल के बीच मजबूत रिश्तों में तनाव साल 2014 में आया। दोनो देशों के बीच हुई संधि को संशोधित करने के लिए नेपाल के माओवादी नेताओं ने जोर दिया। इस संधि के लिए कहा गया कि यह संधि एकपक्षीय है, नेपाल की सार्वभौमिकता के लिए खतरा है और  इससे भारत के विस्तारवाद को बल मिलेगा। लेकिन भारत ने कभी भी इस संधि में संशोधन के लिए मना नहीं किया है।

    साल 2015 मे भी नेपाल व भारत के बीच में राजनीतिक मुद्दों और सीमा विवादों ने रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है। भाषायी, वैवाहिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों के बावजूद भी नेपाल व भारत के बीच तनाव बढ़ा हुआ है।

    नेपाल में केपी ओली सरकार के सत्ता में आने के बाद ही ये सब हुआ है। अब एक बार से केपी ओली नेपाल के प्रधानंमत्री बनने वाले है। दोनों देशों के बीच सीमा विवादों की वजह से, दोनों देशों  सरकार द्वारा एक सीमा समझौते की पुष्टि नहीं की गई है।

    भारत-नेपाल सीमा विवाद

    भारत व नेपाल के बीच में सीमा विवाद ब्रिटिश शासन की देन है। भारत और नेपाल के क्षेत्रीय विवादों में कालापानी मुख्य रूप से शामिल है।

    पश्चिमी नेपाल में भारत-नेपाल-चीन त्रिकोणीय जंक्शन और दक्षिणी नेपाल में सुस्ता की तरह ये है। नेपाल का दावा है कि कालापानी क्षेत्र नेपाल का है। भारत का कहना है कि कालापानी के पश्चिम में नदी मुख्य काली नदी नहीं है इसलिए यह हमारा क्षेत्र है।

    भारत नेपाल सम्बन्ध से जुड़ी खबरें:

    दिसम्बर से शुरू होगी भारत और नेपाल के बीच रेलयात्रा

    भारत और नेपाल के मध्य संबंधों को सुधारने के लिए एक यात्री ट्रेन की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया है। रेलवे के मुताबिक इस वर्ष दिसम्बर में भारत और…

    अयोध्या से श्रीराम की बारात लेकर नेपाल जायेंगे पीएम नरेन्द्र मोदी

    नेपाल ने गुरूवार को ऐलान किया कि बिबाह पंचमी के शुभ अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया जायेगा। पीएम केपी ओली के वरिष्ठ सलाहकार बिष्णु रिमाल ने…

    भारत और नेपाल के बीच गैस पाइपलाइन को दिखाई हरी झंडी

    वामपंथी समर्थक खड़क प्रसाद ओली के नेपाल के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ काठमांडू के रिश्तों में खटास आयी है। खैर ताली एक हाथ से नही बजती, भारत…

    नेपाल-भूटान भारत से अलग नहीं हो सकते: जनरल रावत

    आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने बीते रविवार को बिम्सटेक मिलेक्स-18 सैन्याभ्यास समारोह में शिरकत की। उन्होंने सम्मलेन में कहा कि नेपाल व भूटान अपनी भौगोलिक संरचना के कारण खुद…

    नेपाल नें दिया भारत और एक और झटका, सेना प्रमुख नें भारत आने से किया इंकार

    भारत के साथ युद्धाभ्यास करने के लिए मना करने के कुछ दिन के भीतर ही नेपाल नें भारत को एक और झटका दिया है। इस बार नेपाल के सेना प्रमुख…

    नेपाल नें छोड़ा भारत का साथ, चीन के साथ मिलकर करेगा युद्धाभ्यास

    भारत के बहुत लम्बे समय से मित्र रहे नेपाल नें भारत को करार झटका दिया है। दरअसल हाल ही में नेपाल नें भारत के साथ मिलकर एक युद्धाभ्यास करने की…

    प्रधानमंत्री मोदी करेंगे नेपाल का दौरा, पड़ोसियों से सुधारेंगे संबध

    चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान शहर में सफल “अनौपचारिक वार्ता” करने के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश पर ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं।…

    नेपाली प्रधानमंत्री का भारत दौरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात

    नेपाल के प्रधानमंत्री श्री के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार को अपने तीन दिवसीय भारत दौरे की शुरुआत की। गृहमंत्री राजनाथ सिंह उनके स्वागत के लिए गए थे। शाम मे…

    इंडियन करेंसी बैन करते ही भूटान-नेपाल का बिगड़ा हैपिनेस इंडेक्स

    भारत में नोटबंदी की घोषणा करते ही भूटान तथा नेपाल में अफरा तफरी मच गई, दक्षिण एशिया ई देशों की इकॉनोमी पर इसका सीधा असर पड़ा