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    आंध्र प्रदेश से अलग हो कर बने तेलंगाना में केसीआर (के चंद्रशेखर राव) की ऐसी आंधी चली कि उसमे योगी-मोदी और महागठबंधन सब उड़ गए।

    अभी तक मिले रुझानों में 119 सदस्यीय विधानसभा में केसीआर की पार्टी टीआरएस 80-90 सीटों के बीच जीतती दिख रही है जबकि कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी का महागठबंधन 20-25 सीटों के बीच हासिल करता दिख रहा है। हालांकि ये अंतिम परिणाम नहीं हैं और वोटों की गिनती जारी है।

    तेलंगाना में टीआरएस की एकतरफा जीत ने ये साबित कर दिया है कि केसीआर सरकार की जनकल्याण योजनाओं का जनता ने खूब लाभ उठाया है और उनको एक और मौका देने का फैसला किया।

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    तेलंगाना में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आक्रामक और तीखे चुनाव प्रचार का राज्य की जनता पर कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने भाजपा को बुरी तरह नकार दिया। रुझानों में भाजपा 1-3 सीटें ले जाती दिख रही है।

    बेहद आक्रामक चुनाव प्रचार में योगी ने ओवैसी के खिलाफ खूब तीखे बयान दिए और शहरों के नाम बदलने का भी लालच दिया लेकिन केसीआर की जनकल्याण योजनाओं और घोषणाओं के आगे सब फीके पड़ गए।

    टीआरएस को हराने के लिए कांग्रेस और तेलुगी देशम पार्टी अपने सारे मतभेदों को भुला कर एक साथ आये और सीपीआई और तेलंगाना जन समिति के साथ प्रजाकुट्टामि (महागठबंधन) बनाया। तमाम सर्वेक्षणों में इस इस महागठबंधन को फायदा पहुँचने की बात की गई हालाँकि कई एग्जिट पोल ने  वापसी  लगाया था लेकिन इतनी बड़ी जीत का अंदाजा किसी को नहीं था।

    टीआरएस ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की कि सारे समीकरण, सर्वेक्षण और अनुमान धरे के धरे रह गए।

    टीआरएस के अलावा केसीआर के साथ दोस्ताना सम्बन्ध रखने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी चुनावों में अच्छी सफलता हासिल की। पार्टी ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे जिनमे से 7 सीटों पर ओआरटी को सफलता मिलती दिख रही है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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