Fri. Oct 4th, 2024

    जब से तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हुआ है, इस तटवर्ती राज्य की राजनीति में तूफान सा उठ गया है। जब कभी भी सरकार स्थिर दिखती है कोई लहर आकर उसे झकझोर जाती है। हाल के कुछ महीने तमिलनाडु और यहाँ की राजनीति के लिए अच्छे नहीं गुजरे। “अम्मा” कही जाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनकी विश्वासपात्र “चिनम्मा” शशिकला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को अपदस्थ कर अपने शागिर्द ई पलानीस्वामी को राज्य का नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। उनके इस निर्णय के बाद तमिलनाडु का सत्ताधारी दल एआईएडीएमके दो गुटों में बँट गया था। एक गुट का नेतृत्व ओ पन्नीरसेल्वम कर रहे थे जिसे ओपीएस कहा गया वहीं दूसरे गुट का नेतृत्व ई पलानीस्वामी कर रहे थे जिसे ईपीएस कहा गया। इस अलगाव से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया था।

    ओ पन्नीरसेल्वम और ई पलानीस्वामी
    साथ आये एआईएडीएमके के दोनों धड़े

    भाजपा पिछले काफी समय से तमिलनाडु में पाँव जमाने का प्रयास कर रही थी और 2014 के लोकसभा चुनावों में उसे कन्याकुमारी में विजय भी मिली थी। ऐसे में तमिलनाडु की राजनीतिक अस्थिरता ने राज्य में अपनी जमीन बनाने के लिए भाजपा को स्वर्णिम अवसर दे दिया था। राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीएमके कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी थी और एआईएडीएमके के दोनों गुट भाजपा से गठबंधन करना चाहते थे। भाजपा ने गठबंधन के लिए दोनों गुटों के एक होने की शर्त रखी और आखिरकार दोनों गुट एक हो गए। ई पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बने रहे और ओ पन्नीरसेल्वम पार्टी ने राज्य के उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला।

    दिनाकरन ने पलटा पासा

    दोनों गुटों के एक होने के बाद लग रहा था कि अब तमिलनाडु में राजनीतिक अस्थिरता समाप्त हो जाएगी। लेकिन एआईएडीएमके महासचिव शशिकला के भतीजे दिनाकरन के गुट के 19 विधायकों ने मुख्यमंत्री से अपना समर्थन वापस लेने की बात कह दी। उन्होंने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी में उनका विश्वास नहीं है। इससे पलानीस्वामी सरकार पर विधानसभा में बहुमत साबित करने का संकट उत्पन्न हो गया है। तमिलनाडु विधानसभा में कुल 233 सीटें हैं और एआईएडीएमके के कुल 134 विधायक हैं। दिनाकरन गुट के 19 विधायकों के समर्थन वापसी के बाद यह आंकड़ा घटकर 115 पर आ जाता है जो बहुमत के लिए जरूरी 117 विधायकों के समर्थन के आंकड़ें से कम है।

    भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद एआईएडीएमके महासचिव शशिकला को खुद को पार्टी से किनारे किया जाना नागवार गुजरा है। शशिकला समर्थकों को कहना है कि मुख्यमंत्री पलानीस्वामी शायद यह भूल रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री किसने बनाया था। अगर तमिलनाडु विधानसभा पर गौर करें तो यहाँ कुल 233 सीटें हैं। एआईडीएमके के कुल 134 विधायक हैं। मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद 1 सीट रिक्त है। विपक्षी दल डीएमके के पास 89 विधायक हैं वहीं कांग्रेस के 8 विधायक हैं। क्षेत्रीय दल आईयूएमल का 1 विधायक है। तमिलनाडु की मौजूदा सरकार अल्पमत में हैं और 19 विधायकों की समर्थन वापसी के बाद मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के लिए बहुमत साबित करना बहुत मुश्किल होगा।

    राष्ट्रपति से मिलेगा विपक्षी प्रतिनिधिमंडल

    आज विपक्ष के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इस सन्दर्भ में मुलाक़ात करेगा। वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने की बात कह सकता है। बता दें कि तमिलनाडु के पास अपना राज्यपाल नहीं है और महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव इस समय दोनों राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। राष्ट्रपति से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के आनंद शर्मा, लेफ्ट से डी राजा, सीताराम येचुरी समेत अन्य कई लोगों के शामिल होने की संभावना है। इस प्रतिनिधिमंडल में तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीएमके भी शामिल होगी।

    विधानसभा प्रमुख ने माँगा जवाब

    मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी से समर्थन वापसी को लेकर दिनाकरन गुट के 19 विधायकों ने तमिलनाडु के राज्यपाल विद्यासागर राव को अपना ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी से अपना बहुमत साबित करने की मांग की थी। पार्टी विधायकों के इस रवैये से नाराज एआईएडीएमके के मुख्य सचेतक एस राजेंद्रन ने विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल से मुख्यमंत्री का विरोध करने वाले इन 19 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की मांग की थी। इसके कुछ ही देर बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों को नोटिस जारी कर कहा है कि वो इस बात का कारण बतायें कि आखिर क्यों ना उन्हें अयोग्य करार दिया जाए? उन्होंने 1 सप्ताह के भीतर विधायकों को इसका जवाब देने को कहा है।

    राजनाथ सिंह से मिला एआईएडीएमके प्रतिनिधिमंडल

    तमिलनाडु में एआईएडीएमके के दोनों धड़ों को एक करने में भाजपा ने अहम भूमिका निभाई थी। उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही एआईएडीएमके एनडीए में शामिल हो जायेगा। लेकिन दिनाकरन गुट के विधायकों के बागी रुख अपनाने के बाद पुनः तमिलनाडु में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया है। इस सन्दर्भ में एआईएडीएमके के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की। उन्होंने गृह मंत्री को तमिलनाडु के मौजूदा हालातों से अवगत कराया। पहले यह संभावना बन रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले मंत्रिमंडल विस्तार हो जायेगा। पर अब तमिलनाडु के हालातों में स्थिरता आने तक इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।