सत्ता से बर्खास्त हुए पूर्व प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना संविधान से सम्बंधित निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति को कहा कि हिटलर या अन्य तानाशाहों की तरह व्यवहार न करें। पूर्व प्रधानमन्त्री ने कहा कि संसदीय बहुमत यह निर्णय लेता है कि प्रधानमंत्री कों बनेगा, राष्ट्रपति नहीं कह सकता है कि वह क्या चाहता है। उन्होंने कहा कि सभी को संविधान का पालन करना होगा।
प्रधानमन्त्री के आधिकारिक निवास टेम्पल ट्रीज में पत्रकारों से बातचीत की थी। राष्ट्रपति द्वारा सत्ता के बेदखल करने के बावजूद भी रानिल विक्रमसिंघे ने अधिकारिक निवास त्यागने से इनकार कर दिया था।
राष्ट्रपति सिरिसेना ने विदेशी प्रनितिधियों से मुलाकात के बाद बर्खास्त प्रधानमन्त्री की आलोचना करते हुए कहा था कि वह बहुत बड़े भ्रष्टाचारी हैं। उन्होंने कहा कि यदि रानिल विक्रमसिंघे के दल के समक्ष बहुमत है, फिर भी मैं उन्हें मेरे रहते हुए प्रधानमन्त्री पद पर नहीं बैठने दूंगा, मैं विक्रमसिंघे को प्रधामंत्री पद पर नहीं स्वीकार करूँगा।
राष्ट्रपति सिरिसेना ने मंगलवार को एक सम्मेलन के दौरान कहा कि रानिल विक्रमसिंघे देश की कमान सँभालने के योग्य नहीं है। रानिल विक्रमसिंघे और महिंदा राजपक्षे दोनों प्रधानमन्त्री पद त्यागने को तैयार नहीं है। श्रीलंका में अभी कोई आधिकारिक प्रधामंत्री कार्यरत नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय श्रीलंका के बढ़ते कर्ज और अस्थिरता को लेकर चिंतित है। राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा कि वह रानिल विक्रमसिंघे के भ्रष्टाचारों की जांच के लिए एक समिति का गठन करेंगे, जो विक्रमसिंघे ने जनवरी, 2015 से किया है।
26 अक्टूबर को राष्ट्रपति ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री पद से बर्खास्त कर, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश की कमान सौंप दी थी। हालांकि मंगलवार को राष्ट्रपति ने कहा कि यह राजनीतिक संकट सात दिनों में खत्म हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अमिने हमेशा देश और आवाम के हित में फैसले लिए हैं। हाल ही में श्रीलंका के संजातीय समूह तमिल नेशनल अलायन्स के सांसदों ने रानिल विक्रमसिंघे को समर्थन दिया था।
शुक्रवार को श्रीलंका की संसद के 122 सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजक्षे को अदालत में चुनौती दी थी। उन्होंने आदालत में याचिका दायर की कि दो दफा संसद में मतदान प्रक्रिया में हारने के बावजूद वह प्रधानमंत्री पद पर बने हुए हैं। इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
अदालत ने महिदा राजपक्षे के कार्यकाल पर फौरन अंकुश लगाया है। 122 सांसदों द्वारा सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद अदालत ने कैबिनेट को अपने पद के तरीके के संचालित करने पर रोक लगाई है। अदालत इस मसले पर 12 और 13 दिसम्बर को सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान उपस्थित वकील ने बताया कि महिंदा राजपक्षे और उनकी विवादित सरकार को प्रधानमंत्री, मंत्री और कैबिनेट मंत्री की तरह कार्य करने पर पाबंदी लगा दी है। अदालत ने कहा कि पद पर जबरदस्ती कोई प्रधानमन्त्री और मंत्री आसीन हो तो यह एक अपूरणीय क्षति होती है।
225 सदस्य सीट वाली संसद में दो दफा विवादित प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था हालांकि इस प्रस्ताव को उनके समर्थको ने नकार दिया था। संसद के स्पीकर ने ध्वनिमत के आधार पर राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंज़ूर करने की बात कही थी।
रानिल विक्रमसिंघे की यूएनपी के समक्ष सदन में 106 सीटे हैं जबकि महिंदा राजपक्षे और मैत्रिपाला सिरिसेना के गठबंधन के अमक्षा महज 95 सीट है। श्रीलंका के दोनों विरोध दल सत्ता में बने रहने के लिए सभी पैंतरे आजमा रहे हैं। हाल ही में श्रीलंका के सबसे बड़े संजातीय समूह ने तमिलों के गठबंधन ने रानिल विक्रमसिंघे को अपना समर्थन दिया है। इस गठबंधन के समक्ष 14 सीटें हैं जो विक्रमसिंघे का संसद में बहुमत साबित करती है।
गौरतलब हैं कि श्रीलंका के इस राजनीतिक संकट का अंत करने के लिए विवादित प्रधानमन्त्री राजपक्षे ने देश में नए सिरे से संसदीय चुनाव कराने की मांग की है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा कि वह दोबारा बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री के पद पर नहीं आसीन करेंगे। उन्होंने कहा था कि यदि रानिल विक्रमसिंघे के दल के समक्ष बहुमत है, फिर भी मैं उनसे मेरे रहते हुए प्रधानमन्त्री पद पर नहीं बैठने दूंगा, मैं विक्रमसिंघे को प्रधामंत्री पद पर नहीं स्वीकार करूँगा।