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    राम जन्मभूमि

    राम जन्मभूमि मामले को लेकर आज शिया वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। दायर हलफनामे में शिया वक़्फ़ बोर्ड ने कहा है कि अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर का ही निर्माण होना चाहिए। मस्जिद का निर्माण राम जन्मभूमि के पास स्थित मुस्लिम बाहुल्य इलाके में कराया जाये। लेकिन शिया वक़्फ़ बोर्ड की इस राय पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सहमति नहीं है। अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर के निर्माण की बात शिया वक़्फ़ बोर्ड शुरू से खुले तौर पर कहता रहा है। लेकिन अगर शिया वक़्फ़ बोर्ड की बात पर कोर्ट अमल करे तो कांग्रेस और सपा जैसी मुस्लिम ‘हितैषी’ पार्टियों का उत्तर प्रदेश से जनाधार ही ख़त्म हो जायेगा। अब तक यह दोनों पार्टियां इस मुद्दे को बार-बार ‘राम’ और ‘हिंदुत्व’ से जोड़कर अपना उल्लू सीधा करती रही हैं और साम्प्रदायिकता की आग में अपनी सियासी रोटी सेंकती रही है।

    आज शिया वक़्फ़ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए हलफनामे में बोर्ड अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने कहा कि अगर विवादित जगह पर मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण कराया जाता है तो दोनों समुदायों में संघर्ष की आशंका बनी रहेगी। हमें ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। यह माकूल रहेगा कि विवादित जगह पर राम मंदिर का निर्माण कराया जाये और विवादित जगह से थोड़ी दूर स्थित मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण हो। रिज़वी ने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि 1946 तक इस जमीन पर शिया वक़्फ़ बोर्ड का कब्जा था लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस जमीन को सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया था। शिया वक़्फ़ बोर्ड हमेशा से ही इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में हैं। इस मस्जिद को बनवाने वाला मीर बकी भी शिया ही था। इसलिए इसपर पहला हक़ शिया वक़्फ़ बोर्ड का बनता है।

    इस मांमले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में शिया वक़्फ़ बोर्ड भी पक्षकार था। वहाँ पर शुरूआती दौर में उसने जमीन पर अपना दावा ठोंका था। पर बाद में विस्तृत दलील के दौरान उसकी तरफ से कोई पेश नहीं हुआ था। अब पुनः शिया वक़्फ़ बोर्ड ने इस मामले में हलफनामा दायर कर अपना दावा पेश किया है। शिया वक़्फ़ बोर्ड ने कहा है कि वैकल्पिक जगह मिलने की सूरत में हम विवादित जगह छोड़ने को तैयार हैं। बता दें कि राम जन्मभूमि विवाद पर 11 अगस्त से हर रोज 3 जजों की बेंच प्रतिदिन सुनवाई करेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।