भाजपा जहां साल 2019 के आम चुनावों के लिए फूंक फूंक कर कदम रख रही है वहीं उसके अपनी ही नेता राह का कांटा बनने को अमादा है। चुनाव के टिकट को लेकर हर सियासी दल के बीच विवाद रहता है ऐसा ही कुछ हाल राजस्थान का है। टिकट बंटवारे की प्रक्रिया में परिवर्तन से अमित शाह और वसुंधरा राजे के बीच तनाव उत्पन्न हो गया है। राजस्थान में हुए पोल सर्वेक्षण में भाजपा की हार को देखते हुए अमित शाह ने यह जिम्मा अपने कांधों पर ले लिए है। वसुंधरा राजे द्वारा चयनित 80 उम्मीदवारों की सूची को अमित शाह ने नकार दिया था।
अमित शाह चाहते हैं कि टिकट सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार को दिया जाए, जिसमे जीतने की क्षमता हो वहीं राजे अपने समर्थकों को टिकट दिलवाना चाहती है। राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं। हाल ही में भाजपा आलाकमान ने राजे के वफादार अशोक परनामी को राज्य अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया था। अमित शाह ने साफ किया है कि राजे के समर्थक राज्य अध्यक्ष के पद पर आसीन नहीं होंगे।
वसुंधरा राजे, नए राज्य अध्यक्ष मदन लाल साहनी को नज़रअंदाज़ कर रही है। खबरों के मुताबिक अमित शाह और वसुंधरा राजे के बीच लुका छुपी का खेल चल रहा है। कांग्रेस के राजस्थान के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि मुख्यमंत्री राजे भाजपा की अगस्त में शुरू हुई गौरव यात्रा में भी सम्मिलित नही हुई थी। उन्होंने कहा जब भी शाह राजस्थान आते हैं, राजे कही और चली जाती है। दोनो एक ही जिले साथ आने को तैयार नही है।
अमित शाह के पास कमान
अमित शाह ने राजस्थान में चुनावी रैली के दौरान शेखावत को पार्टी इलेक्शन मैनेजमेंट कमिटी के नेतृत्व सौंप दिया था। शाह का यह निर्णय साबित करता है कि साल 2013 की तरह इस बार भी टिकट बंटवारे में राजे की अनदेखी की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में भाजपा के पोल सर्वे में वसुंधरा राजे की साख कम होती दिखी है। अमित शाह के राजे को दरकिनार करने से राजे के समर्थकों में गुस्सा है। भाजपा ने ऐलान किया था कि यह चुनाव राजे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा लेकिन वसुंधरा राजे ने इस पर चुप्पी साध रखी है।
सभी की निगाहें भाजपा की आगामी केंद्रीय चुनावी बैठक पर जमी हैं। इस बैठक के दौरान अमित शाह और वसुंधरा राजे के बीच शह मात का खेल खेला जाएगा।