Fri. Apr 19th, 2024

    कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में दिहाड़ी पर काम करने वाले पंजीकृत निर्माण श्रमिकों संबल देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के 23.2 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बैंक खातों में 230 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन हस्तांतरित की। प्रत्येक श्रमिक के खाते में 1000 रुपये की धनराशि भरण पोषण भत्ते के तौर पर भेजी गई है। अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने पांच श्रमिकों को खुद 1000 रुपये की राशि के चेक सौंपे। यह राशि देते हुए उन्होंने कहा कि श्रमिक हितों की रक्षा करते हुए कोरोना संक्रमण की चेन को कमजोर करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के पंजीकरण के लिए पोर्टल का शुभारंभ भी किया। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कुछ श्रमिकों से संवाद भी किया।

    अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रमिकों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले सवा साल से कोरोना के खिलाफ लगातार जारी जंग में श्रमिकों ने हमेशा सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इसका मुकाबला किया है। पिछले साल संक्रमण की पहली लहर के कारण घोषित लॉकडाउन की वजह से चुनौती ज्यादा थी। 40 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिक उत्तर प्रदेश में आए थे जिनके भरण पोषण से लेकर रोजगार तक की व्यवस्था सरकार ने की। दुनिया के तमाम संस्थान यूपी के इस सफल मॉडल पर शोध कर रहे हैं। श्रमिकों के हितों का ख्याल रखते हुए हम कोरोना की पहली लहर से पार पा सके।

    सीएम ने कहा कि बीते सवा साल से न केवल प्रदेश बल्कि पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है, लेकिन सामूहिक प्रयास से उत्तर प्रदेश की स्थिति नियंत्रित है। 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य में आज कुल जितने कोरोना मरीज हैं, हमसे आधी आबादी वाले प्रदेशों में हर दिन उतने नए मरीज मिल रहे हैं। यूपी की रिकवरी दर देश में सबसे अच्छी है तो पॉजिटिविटी रेट सबसे कम है। उन्होंने श्रमिकों को टीकाकरण कराने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रेरित भी किया।

    सीएम ने कहा कि दैनिक रूप से काम कर जीविकोपार्जन करने वाले ठेला, खोमचा, रेहड़ी, खोखा आदि लगाने वाले पटरी दुकानदार हों, दिहाड़ी मजदूर हों, रिक्शा/ई-रिक्शा चालक, नाविक, नाई, धोबी, मोची, हलवाई आदि जैसे असंगठित क्षेत्र के श्रमिक हों अथवा औद्योगिक इकाइयों आदि में काम करने वाले संगठित क्षेत्र के मजदूर, अपना पंजीकरण जरूर कराएं। यह पंजीकरण सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए प्रबन्ध करने में मददगार होगा। कोरोना लहर में भी सभी को भरण-पोषण भत्ता दिया जा रहा है। सबके सेवायोजन की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा हर एक श्रमिक को चाहे वह संगठित क्षेत्र का हो या असंगठित क्षेत्र का हो, सामान्य कामगार हो या फिर कहीं एक्सप्रेस-वे पर काम कर रहा हो, उसे मात्र एक रजिस्ट्रेशन के द्वारा 5,00,000 का वार्षिक बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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