Tue. Nov 5th, 2024
    udp protocol in hindi

    विषय-सूचि

    यूडीपी क्या है? (udp definition in hindi)

    परिभाषा – यह एक तरह का अविश्वसनीय और बिना कनैक्शन का प्रोटोकॉल है। यह ज़्यादातर टीसीपी/आईपी प्रोटोकॉल (tcp/ip model) में इस्तेमाल होता है। यह जरूरी नहीं है की डाटा को भेजने से पहले इसका कनैक्शन किया जाये इसमे कनैक्शन को करने की जरूरत नहीं पड़ती।

    टीसीपी (ट्रंजमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) यह यह एक तरह का उच्च दर्जे का प्रोटोकॉल है जो की काफी इंटरनेट सर्विसों में काम आता है। पर इस तरह की सर्विसें हमारी लागत को बढ़ा देती है।

    आजकल की सर्विस जैसे की कम्प्युटर गेमिंग, वॉइस और विडियो वार्तालाप और लाइव कॉन्फ्रेंस आदि के लिए हमें यूडीपी की जरूरत पड़ती है।

    उच्च क्षमता और अच्छे निष्पादन के लिए हमे यूडीपी पैकेट की जरूरत पड़ती है। यूडीपी को चैक करने के लिए हमें कोई परेशानी नहीं होती और यह बैंडविड्थ को भी बचाता है।

    (सम्बंधित लेख – यूडीपी और टीसीपी प्रोटोकॉल में अंतर)

    यूडीपी हैडर (udp header in hindi)

    यूडीपी हैडर 8 बाइट का होता है पर टीसीपी में यह 20 बाइट से 60 बाइट तक बदला जा सकता है। पहले 8 बाइट सब तरह से जरूरी और सहायक हैडर की जानकारी को रखते हैं और बाकी की जगह में डाटा को रखा जाता है।

    यूडीपी के हर एक पोर्ट नंबर 16 बिट्स तक लंबे होते हैं इसलिए इसकी रेंज को 0 से 65535 रखा गया था जिसमे की पोर्ट नंबर 0 सुरक्षित रखा जाता है। पोर्ट नंबर की मदद से हम उपयोगकर्ता की परेशानी को आसानी से हल कर सकते हैं। क्योंकि पोर्ट नंबर से उपयोगी की जानकारी आसान हो जाती है।

    यूडीपी प्रोटोकॉल के कुछ मुख्य पैरामीटर (parameters of udp protocol in hindi)

    1. सोर्स पोर्ट – इस तरह की 16 बिट की जानकारी को हम पैकेट के सोर्स पोर्ट की जानकारी को जानने के लिए करते हैं।
    2. डेस्टिनेशन पोर्ट – इस तरह की 16 बिट की जानकारी को हम एपलिकेशन लेवेल की सर्विस को डेसटिनेशन मशीन की जानकारी को हासिल करने के लिए करते हैं।
    3. लंबाई – यह यूडीपी पैकेट की पूरी लंबाई का अंदाज़ा बताती है। यह एक 16 बिट का फील्ड है जिसकी कम से कम वैल्यू 8 बिट होती है जो की एक तरह से यूडीपी के ही आकार का है।
    4. चैकसम – यह चैकसम वैल्यू को रखने का काम करता है जिस भी तरह की वैल्यू उपयोगकर्ता द्वारा भेजी जाती है वह इसी मे रखी जाती है। आईपीवी 4 में एक विकल्प होता है उसकी मदद से जब भी किसी चैकसम में वैल्यू नहीं होती तो उसे 0 मान लिया जाता है और सारे बिटो को भी ज़ीरो मान लिया जाता है।

    यूडीपी की विशेषताएँ (properties of udp in hindi)

    • यह हमे डोमैन के नाम की सर्विस में मदद करता है।
    • यह सामान्य नेटवर्क के प्रोटोकॉल को संभालने का काम करता है।
    • यह ट्राइवियाल ट्रान्सफर प्रोटोकॉल में मदद करता है।
    • यह रूटिंग इन्फॉर्मेशन प्रोटोकॉल में मदद करता है।
    • यह केरबेरोस में भी मदद करता है।
    • यह नेटवर्क प्रोटोकॉल का एक महतव्पुर्ण अंग माना जाता है।
    • यूडीपी नेटवर्क लेयर से डाटा ग्राम को लेता है और उसे उपयोगी के पास भेज देता है जिससे की यह काफी तेज़ गति से काम कर पाता है।
    • जब भी डाटा की साइज़ छोटा होता है तब यह संपर्क के लिए काम आती है और इसमे संचार करने में भी आसानी होती है।
    • इसमे मल्टीकास्टिंग की भी सुविधा होती है क्योंकि इसमे यूडीपी पैकेटस होते हैं जो की इस काम को करने में काफी उपयोगी होते हैं।
    • यूडीपी राउटिंग अपडेट प्रोटोकॉल में भी काफी काम आते हैं।
    • यह उस तरह के एप्स में भी काफी काम आते हैं जिनमे उपयोगकर्ता को देरी बिलकुल भी पसंद नहीं होती।

    यूडीपी की जरूरत (need of udp in hindi)

    यह जरूर हर किसी की दिमाग में आ रहा होगा की हमें इसकी जरूरत ही क्यूँ पड़ रही है। इसकी जरूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि यह बिलकुल सही हिसाब से डाटा को बेंड्विड्थ इस्तेमाल करने देता है। उदाहरण के तौर पर देखिये जैसे की विडियो स्ट्रीमिंग में हजारों पैकेट उपयोगी के पास पहुंचाए जाते हैं।

    इस प्रक्रिया में काफी पैकेटस खराब होते हैं जिसकी वजह से हमें काफी बेंड्विड्थ का भी नुकसान होता है। तो इस तरह के नुकसान से बचने के लिए हमें यूडीपी की जरूरत होती है। इस तरह के नुकसान को हम अनदेखा भी नहीं कर सकते इसलिए हमें यूडीपी काफी काम आता है और यह इस तरह के काम में काफी क्षमता से भी काम करता है।

    जैसे कि विडियो स्ट्रीमिंग के समय यूजर को हजारों की संख्या में पैकेट्स भेजे जाते हैं। ऐसे में उन सभी को ack करना रिसीवर के बीएस की बात नहीं होती। इसमे काफी दिक्कतें आ जाएँगी और उपर से भारी मात्र में बैंडविड्थ की भी बर्बादी होगी। अंदर के IP प्रोटोकॉल का बेस्ट डिलीवरी सिस्टम ये सुनिश्चित करता है कि पैकेट को डिलीवर करने में अच्छी सी अच्छी सर्विस दी जाये। लेकिन अगर कुछ पैकेट्स विडियो स्ट्रीमिंग में खो जाते हैं तो भी उसका कोई ज्यादा असर नहीं होता और ऐसी छोटी दिक्कतों को नजरअंदाज किया जा सकता है।

    यूडीपी का हेडर (udp header in hindi)

    इसके फंक्शन की तरह ही इसका हेडर भी बिलकुल सिंपल है और आप इसे आसानी से समझ सकते हैं:

    UDP Headerजैसा कि आप देख सकते हैं, UDP के हेडर में चार प्रमुख पैरामीटर हैं। अब हम आपको उन चारों के बारे में एक-एक कर समझाते हैं:

    • Source Port  – इस 16 बिट की सूचना को पैकेट के सोर्स पोर्ट को पहचानने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
    • Destination Port  – ये भी एक 16 बिट की ही सूचना होती है जिसका प्रयोग डेस्टिनेशन मशीन पर एप्लीकेशन लेवल सर्विस को पहचानने के लिए किया जाता है।
    • Length  – लेंथ क्षेत्र पूरे के पूरे UDP पैकेट के आकार को बताता है (हेडर को मिला कर)। ये एक 16 बिट फील्ड है और इसका न्यूनतम मान 8 बाइट का हो सकता है जो कि हेडर का भी आकार होता है।
    • Checksum  – ये क्षेत्र चेकसम मान को सुरक्षित रखता है जो कि सेंडर द्वारा पैकेट भेजने से पहले बनाया जाता है। IPv4 में ये क्षेत्र वैकल्पिक होता है। इसीलिए जबी इस क्षेत्र में कोई भी वैल्यू नहीं हो तब इसे 0 कर दिया जाता है और इसके सभी बिट्स को 0 सेट कर दिया जाता है।

    यूडीपी के फीचर (udp features in hindi)

    UDP के प्रमुख फीचर निम्नलिखित हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए:

    • UDP का प्रयोग तब किया जाता है जब भेजे गये डाटा को ack करने की कोई जरूरत नहीं हो। यानी कि सेंडर को इस बात की गारंटी देने की कोई जरूरत नहीं हो कि भेजा गया डाटा रिसीवर द्वारा प्राप्त किया भी गया है या नहीं।
    • एक दिशा में फ्लो हो रहे डाटा के लिए ये सबसे अच्छा प्रोटोकॉल है। जैसे कि आप जब विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग पर बात कर रहे होते हैं तो डाटा दोनों तरफ लगभग बराबर की मात्रा में ही फ्लो होता है लेकिन अगर आप Youtube पर कोई विडियो देख रहे हैं तो सारा डाटा आपकी तरफ यानी एक ही दिशा में फ्लो हो रहा है।
    • क्वेरी पर आधारित संचार के लिए ये एक सबसे अच्छा विकल्प है।
    • UDP कनेक्शन ओरिएंटेड नही है। यानी कि इसमें डाटा भेजने इ पहले कनेक्शन थापित करने की जरूरत नहीं पड़ती, जिया कि TCP में होता है।
    • ये congestion को नियंत्रित करने के लिए कोई मैकेनिज्म की सुविधा नहीं देता है।
    • ये डाटा के डिलीवर होने की कोई गारंटी नहीं देता।
    • UDP स्टेटलेस है।
    • स्ट्रीमिंग एप्लीकेशन जैसे कि VoIP और मल्टीमीडिया स्ट्रीमिंग के लिए ये सबसे अच्छा प्रोटोकॉल है।

    यूडीपी के फायदे (advantages of udp in hindi)

    • यूडीपी तब इस्तेमाल होता है जब डाटा के महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
    • यूडीपी को एक ही दिशा में डाटा को चलाने के लिए अच्छा प्रोटोकॉल माना जाता है।
    • यूडीपी काफी साधारण है और संचार के लिए भी काफी उपयोगी है।
    • यूडीपी कनैक्शन पर निर्भर नहीं करता।
    • यूडीपी किसी भी तरह के डाटा को भेजने के ज़िम्मेदारी नहीं रखता।
    • यूडीपी स्टेटलेस है।
    • यूडीपी काफी तरह के एप्स जैसे की वीओआईपी, मल्टिमीडिया स्ट्रीमिंग आदि में काफी उपयोगी होता है।

    इस लेख से सबंधित यदि आपका कोई सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    2 thoughts on “यूडीपी प्रोटोकॉल क्या है? परिभाषा, जानकारी”
    1. udp protocol tcp protocol me se better protocol konsa hai and kiska scope in dono protocols mein se zyada hai?

      1. टी सी पी प्रोटोकॉल दोनों प्रोटोकॉल्स में से सबसे अच्छा है क्योंकि ये बाद नया हैं एवं यह ज्यादा विकसित है। यह ज्यादा सुरक्षित भी है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *