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    मोहम्मद शमी

    नई दिल्ली, 6 मई (आईएएनएस)| भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के लिए पिछले 12 महीने काफी उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। जून 2018 में फिटनेस टेस्ट में फेल होने के बाद टेस्ट टीम से बाहर किए जाने से लेकर आगामी विश्व कप के लिए टीम चुने जाने तक, शमी का जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन तेज गेंदबाज को इससे कोई शिकायत नहीं है।

    भारतीय टेस्ट टीम का अभिन्न हिस्सा माने जाने वाले शमी उस समय सुर्खियों में आ गए थे जब वह अफगानिस्तान के साथ होने वाले एकमात्र टेस्ट मैच से पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हुए यो-यो टेस्ट में फेल हो गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने वनडे में शानदार वापसी की।

    शमी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि लोगों ने उनके यो-यो टेस्ट में फेल होने की बात की लेकिन कई लोगों को यह अहसास नहीं हुआ कि उस समय वह मानसिक रूप से मैदान पर उतरने के लिए तैयार नहीं थे।

    शमी ने कहा, “उस समय मेरे साथ कुछ पारिवारिक समस्याएं थी। मेरा फिटनेस टेस्ट अच्छा नहीं हुआ था और मैं इसे स्वीकार करता हूं कि मैं असफल रहा था। लेकिन तब मैं मानसिक रूप से उस स्थिति में नहीं था, जहां मैं अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाले मैच पर ध्यान केंद्रित कर सकता था। मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं था और फिर अचानक उसी समय यो-यो टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिससे मैं हड़बड़ा गया।”

    तेज गेंदबाज ने आगे कहा कि उन्होंने इसे सकारात्मक रूप से लिया और महसूस किया कि आलोचकों को इसका जवाब देने के बजाय उन्हें अपने काम को करना महत्वपूर्ण है।

    उन्होंने कहा, “उस समय दबाव था, लेकिन मैंने खुद से कहा कि मुझे अपनी फिटनेस पर काम करना है और मजबूती से वापसी करनी है। तब मैंने 12 से 14 किलो तक अपना वजन कम किया। अब आप देख सकते हैं कि अब मेरी शारीरिक फिटनस सही है बल्कि अब मेरी गेंदबाजी में भी लय और गति देखने को मिलती है।”

    शमी ने आईपीएल के 12वें सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब की ओर से खेलते हुए 14 मैचों में 19 विकेट लिए हैं। शमी मानते हैं कि उनका वनडे रिकॉर्ड भी टेस्ट क्रिकेट की तरह ही है।

    उन्होंने कहा, “मैं कुछ समय के लिए वनडे क्रिकेट नहीं खेल रहा था। लेकिन आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई सीरीज से आत्मविश्वास काफी बढ़ गया, जिसे मैं आईपीएल में कायम रखना चाहता था। इसके अलावा पंजाब के लिए लगातार खेलने से भी मुझे काफी मदद मिली।”

    तेज गेंदबाज ने कहा, “मैं बस मौके का इंतजार कर रहा था क्योंकि मेरे पास वनडे क्रिकेट में अच्छा रिकॉर्ड था। लगभग दो साल तक इंतजार करने के बाद मैंने सोचा था कि जब मुझे मौका मिलेगा तो मैं बताऊंगा कि मैं क्या कर सकता हूं।”

    यह पूछे जाने कि अचानक रविचंद्रन अश्चिन की कप्तानी में खेलना क्या उनके लिए कुछ अलग था, उन्होंने कहा, “यह मजेदार और अलग था। एक गेंदबाज ही अन्य गेंदबाज को समझ सकता है जबकि एक बल्लेबाज दूसरे बल्लेबाज को ही समझ सकता है।”

    उन्होंने कहा, “हमारे बीच अच्छा तालमेल है क्योंकि हम काफी लंबे समय से साथ खेल रहे हैं और एक दूसरे की ताकत और कमजोरी को अच्छे से जानते हैं। मैं उनके सामने जाकर बेझिझक बात कर सकता हूं।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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