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    भारत और यूएई

    भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यूएई के क्राउन प्रिंस के साथ बातचीत की और इस्लामिक सहयोग संगठन में भारत को बतौर मुख्य अथिति आमंत्रित करने के लिए शुक्रिया अदा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबू दाभी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नाहयान ने द्विपक्षीय सहयोग में वृद्धि पर ख़ुशी जाहिर की थी।

    द्विपक्षीय साझेदारी का विस्तार

    प्रधानमंत्री कार्यालय ने फ़ोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि “दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया था।” 1 मार्च को अबू दाभी में आयोजित ओआईसी की बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बतौर मुख्य अथिति आमंत्रित किया गया था।

    प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक भागीदारी का समान उद्देश्य शान्ति और प्रगति को हासिल करने में योगदान देने की उम्मीद जाहिर की है। भारत ने इतिहास में पहली बात इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लिया था, इसे भारत की कूटनीतिक जीत भी कहा जा रहा है।

    किसी मजहब पर निशाना नहीं

    भारत ने इस बैठक में सन्देश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का मकसद किसी धर्म को निशाना बनाना नहीं है।सुषमा स्वराज ने वैश्विक मंच से कहा कि दुनिया आज आतंकवाद की परेशानी झेल रही हैं और आतंकी संगठनों के वित्तपोषण पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने बगैर किसी देश का नाम लिए कहा कि भारत लंबे समय से आतंक से जूझ रहा है।

    उन्होने कहा कि संस्कृतियों से संस्कृतियों का समागम अवश्य होना चाहिए। सुषमा स्वराज ने कहा कि हमारी लड़ाई मजहब से नहीं बल्कि आतंकवाद से हैं। जिस तरह इस्लाम का पर्याय शांति है, अल्लाह के 99 नामों में से एक का नाम का अर्थ भी हिंसा नहीं है, इसी प्रकार हर धर्म शांति के लिए है।

    भारत की संस्कृति का हवाला देते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत के लिए बहुलता को अपनाना सदैव ही सरल रहा है क्योंकि यह संस्कृति का सबसे पुराने धर्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में भी शामिल भी है और मै वहां से ही इसका उदाहरण ले रही हूं। एकम सत विप्र बहुधा वधंती अर्थात भगवान एक है लेकिन बुद्धिजीवि लोग उनका अलग-अलग तरह से वर्णन करते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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