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    तीन तलाक बिल

    भारत आज अपना 70वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के लाल किले से पुरे देश को सम्बोधित किया। मोदी ने अपने भाषण में देश की सुरक्षा, कानून, अर्थव्यवस्था, शिक्षा आदि से जुडी बहुत सी बातें की। इन बातों के अलावा एक बात जिस पर लोगों ने काफी चर्चा की, वह था ट्रिपल तलाक़ का मुद्दा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन तलाक़ की वजह से देश की मुस्लिम महिलाओं को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी ने कहा है कि कुछ मुस्लिम बहनों ने सरकार को इसे बदलने को कहा है और बहुत जल्द ऐसी बहनों की सहायता की जायेगी।

    क्या है ट्रिपल तलाक़ (तीन तलाक़) :

    ट्रिपल तलाक़ भारत में लागु एक ऐसी तलाक़ की विधि है, जिसके जरिये कोई भी मुस्लिम पति सिर्फ तीन बार तलाक़ कहकर अपनी पत्नी को तलाक़ दे सकता है। इसके जरिये पति को तलाक़ का कारण बताने की भी जरूरत नहीं है। पति तलाक़ की घोषणा लिखकर, बोलकर या और किसी तरह भी कर सकता है। आज के दौर पर तो फोन पर मैसेज करके भी मुस्लिम पत्नी को तलाक़ दिया जा सकता है।

    इस प्रथा को समय समय पर कई महिलाओं और पुरुषों ने चुनौती दी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फैसले में कहा गया था कि कुछ पुरानी प्रथाओं को बदलने की जरूरत है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि बहुत से मुस्लिम देशों जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में इस प्रथा पर रोक लगी है। 13 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ के मुद्दे को तलाक़ की सबसे बुरी प्रणाली बताया। इससे पहले 8 दिसंबर 2016 को अलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन तलाक़ को संविधान के खिलाफ और मुस्लिम महिलाओं के लिए शाप बताया था।

    हालाँकि कुछ मुस्लिम समुदाय जैसे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक़ के मुद्दे को सही ठहराते हैं। ऐसे लोग तीन तलाक़ को शरीयत का हिस्सा बताते हैं। इनका कहना है कि इस प्रथा की वजह से मुस्लिम लोगों में बाकी धर्मों के लोगों के बजाय कम तलाक़ होते हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।