भगोड़े जौहरी मेहुल चोकसी ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है और एंटीगुआ को अपना पासपोर्ट सौंप दिया है। इस कदम को भारत के प्रत्यर्पण से बचने के प्रयास के रूप में देखा जाता है, जहां वह कई एजेंसियों द्वारा ऋण धोखाधड़ी के लिए जाना जाता है।
एंटीगुआ में भारतीय उच्चायोग को उसने पासपोर्ट के साथ साथ 177 डॉलर भी दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि उसने अपना नया पता भी दिया है जो जॉली हारबर मार्क्स है।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मेहुल चोकसी के पास दोहरी नागरिकता हो सकती है। व्यापारी के प्रत्यर्पण की भारतीय मामले की सुनवाई एंटीगुआ में ही हो रही है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा-“हमारी सरकार ने भगोड़े आर्थिक अपराधी बिल पारित किया है। जो भाग गए हैं, उन्हें वापस लाया जाएगा। इसमें थोड़ा वक़्त लग सकता है मगर वे सब वापस लाये जाएँगे।”
भारत और एंटीगुआ में द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन सरकार द्वीप राष्ट्र के एक कानून के तहत एंटीगुआ से हीरे के अरबपति को वापस लाने की कोशिश कर रही है जो इसे एक निर्दिष्ट राष्ट्रमंडल देश में भगोड़ा वापस भेजने की अनुमति देता है।
दिसंबर में, वैश्विक संस्था इंटरपोल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुरोध पर चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया।
चोकसी ने मुंबई की एक अदालत से कहा कि वह भारत की यात्रा नहीं कर सकता है क्योंकि वह अपने खराब स्वास्थ्य के कारण एंटीगुआ से 41 घंटे की यात्रा नहीं कर सकता है। उसने एक लिखित बयान में यह भी कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने उसकी स्थिति को उजागर नहीं करके कि वह बैंकों के संपर्क में थे और अपना बकाया निपटाना चाहते थे, अदालत को गुमराह किया था।