भारतीय नौसेना ने रविवार को खदान में फंसे 15 खनिकों में से एक के विघटित शरीर को निकालने के प्रयास को छोड़ दिया जिसको चार दिन पहले ही देखा गया था। डिप्टी कमिश्नर एफएम दोपथ ने फंसे हुए खनिकों के परिजनों को घटना स्थल पर आकर शरीर को पहचानने के लिए भी कह दिया था।
ऑपरेशन प्रवक्ता आर सुसंगी ने कहा-“नौसेना ने आज अवशेषों को खींचने को निलंबित कर दिया, जो वे कल शाम से ही कोशिश कर रहे थे, क्योंकि बहुत सारे विघटन (शरीर के) आरओवी जबड़े द्वारा खींचे गए थे।” उन्होंने आगे कहा कि वे सरकार के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं।
NDRF के एक अधिकारी ने कहा कि चूँकि मृत शरीर पर अभी फैसला नहीं लिया गया है, नौसेना का एक आरओवी अभी भी देखे गए शरीर से जुड़ा हुआ है। जब तक शरीर को बाहर नहीं निकाला जाएगा, आरओवी इस रैट-होल के अंदर जाकर बाकी खनिकों की खोजबीन नहीं कर सकता।
इस दौरान, नौसेना दुसरे रैट-होल में दुसरे आरओवी से स्कैन कर रही है। NDRF-“रैट-होल में प्रवेश करते ही यह सुरंगों का चक्रव्यूह है। वे हर दस फीट पर शाखा लगाते हैं। किसी ऐसे व्यक्ति के बिना करना आसान नहीं है, जिसने वहां काम किया हो।”
चेन्नई से एक आरओवी ऑपरेटर आस-पास की खदानों में बचाव कार्य पर लगे हुए हैं और कोल इंडिया आस-पास की दो परित्यक्त शाफ्ट से शनिवार की शाम से ही लगातार पानी बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले 46 घंटों में उन्होंने 52 लाख लीटर से ज्यादा पानी निकाल लिया है मगर फिर भी पानी का स्तर इतनी भी कम नहीं हुआ जिससे बचाव कार्य पूरा किया जा सकें।
खनिकों के परिजनों ने कहा है कि उन्हें बस शरीर लाकर ही दे दे ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें।
इस दौरान, जिला एसपी को एक और खनिक के फंसे होने की खबर मिली है और वे इन दावों की पड़ताल कर रहे हैं। इससे फंसे हुए खनिकों की संख्या 16 हो जाएगी।
इस घटना को घटे हुए एक महीने से ज्यादा हो गया है मगर अभी तक बचाव कार्य जारी है और एक का भी शरीर खदान से बाहर नहीं आ पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए, मेघालय सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि वे गंभीरता से बचाव कार्य नहीं कर रहे हैं।