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    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को महंगाई जनित सुस्ती (स्टैगफ्लेशन) पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने सुना है कि इस तरह की बातें चल रही हैं, मगर मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती।

    यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था महंगाई जनित मंदी के एक चरण में प्रवेश कर रही है, वित्त मंत्री ने कहा, “मैं इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हूं कि अर्थव्यवस्था कहां है। मैं चीजों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने में दिलचस्पी रखती हूं।”

    गुरुवार को आधिकारिक आंकड़ों से पता चला कि खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में 5.54 फीसदी हो गई है, जिसमें पिछले महीने की मुद्रास्फीति की संख्या से 92 आधार अंक की वृद्धि देखी गई है। यह आंकड़ा आने के बाद कई अर्थशास्त्रियों ने चिंता व्यक्त की है।

    स्टैगफ्लेशन बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ धीमी आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है, जिस पर कई अर्थशास्त्रियों द्वारा आशंका जताई जा चुकी है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले कहा था कि भारत को इस तरह के जोखिमों को देखना चाहिए।

    नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर एन. आर. भानुमूर्ति ने आईएएनएस से कहा, “स्टैगफ्लेशन एक टेक्स्टबुक केस प्रतीत होता है, लेकिन मौजूदा वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में वृद्धि के कारण है।”

    पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनाब सेन ने कहा, “सीपीआई के आंकड़ों में हालिया वृद्धि एक अल्पकालिक प्रवृत्ति है और मैं इसे अभी स्टैगफ्लेशन नहीं कहूंगा।”

    क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी. के. जोशी ने आईएएनएस को बताया कि सीपीआई संख्या पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है।

    जोशी ने कहा, “अगर आप बाजार में जाएंगे तो आपको महसूस होगा कि सब्जी की कीमतें वास्तव में बहुत अधिक हैं। यही मुद्रास्फीति में वृद्धि का मुख्य कारण है।”

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