अमेरिका ने मंगलवार को कहा कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की फेरहिस्त में शामिल न कर पाना क्षेत्रीय स्थिरता और शान्ति के खिलाफ होगा। मंगलवार को शाम को यूएन सुरक्षा परिषद् इस महत्वपूर्ण निर्णय लेगा।
मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी सूची में शामिल करना
50 वर्षीय मसूद अज़हर की जेईएम पर भारत में कई आतंकी हमलों का आरोप लगा है। वह भारतीय संसद, पठानकोट, उरी व जम्मू के शिविरों, एयरफोर्स बेस और हाल ही में किये गए पुलवामा आतंकी हमलों में भी शामिल था। इस हमले 40 सीआरपीएफ के सैनिकों की मृत्यु हुई थी।
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 सैनिकों की मृत्यु हो गयी थी। यूएनएससी के तीन स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए यूएन में प्रस्ताव रखा था। जिसके तहत अज़हर पर सख्त प्रतिबन्ध लगाए जायेंगे।
चीन ने तीन बार मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल करने पर अड़ंगा लगाया है। संयुक्त राष्ट्र नें जैश-ए-मोहम्मद को साल 2001 में वैश्विक अन्तराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था। भारत के मुताबिक यूएन में मसूद अज़हर को बचाने वाला मात्र चीन ही है। मसूद अज़हर को 13 मार्च को यूएन वैश्विक आतंकी की सूची में शामिल कर देगा यदि कोई सदस्य इस पर आपत्ति दर्ज नहीं करेगा।
अमेरिका का बयान
मंगलवार को अमेरिका के प्रवक्ता रोबर्ट पालडिनो ने पत्रकारों से कहा कि “ट्रम्प प्रशासन के समक्ष मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत है। मसूद अज़हर जेईएम का संस्थापक और सरगना है। जेईएम कई आतंकी हमलों में शामिल है और यह क्षेत्रीय स्थिरता और शान्ति के लिए खतरा है।”
भारत और अमेरिका आतंक विरोधी प्रयासों को अंजाम देने के लिए एकजुटता से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “जैश ए मोहम्मद और उसके संस्थापक के लिए हमारे विचार स्पष्ट है। यूएन के विचार विमर्श गोपनीय होते हैं, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूँ। लेकिन हम सैंक्शन कमिटी के साथ सूची को अपग्रेड करने के लिए कार्य करते रहेंगे।”