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    मधुबाला की 86वी जन्मतिथि: ख़ूबसूरत, कामयाब, और करोड़ो दिलों की धड़कन, फिर भी क्यों रही ज़िन्दगी भर तन्हा?

    हिंदी सिनेमा ने कुछ ऐसे सितारें लोगों को दिए हैं जिनकी एक झलक ही लोगों को दीवाना बनाने के लिए काफी थी। और ऐसी ही अभिनेत्री थी मधुबाला। मुमताज जहान बेगम देहलवी नाम से पैदा हुई अदाकारा के हमेशा दुनिया छोड़ कर जाने के इतने दशकों बाद भी, वे आज भी अपने चाहनेवालों के दिलों में ज़िंदा हैं।

    1942 में फिल्म ‘बसंत’ से बाल कलाकार के रूप में सिनेमा में कदम रखने वाली मधुबाला ने पहली बार 14 साल की उम्र में 1947 में आई फिल्म ‘नील कमल’ में मुख्य किरदार निभाया। और तभी शुरू हुआ, ‘द ग्रेट मधुबाला’ का सफ़र जिन्होंने अपनी मौत तक बॉलीवुड पर रानी बन पर राज़ किया। बला की खूबसूरत, इतनी कामयाब, करोड़ो उन पर जान निसार करने वाले, बड़े बड़े सुपरस्टार उन पर जान छिड़कने वाले, फिर भी अभिनेत्री ने तन्हाई में अपना जीवन गुज़ार दिया। फिल्मों में कई रोमंक्टिक किरदार निभाने के बाद भी, उन्हें असल ज़िन्दगी में कभी प्यार में सुख नहीं मिला और 36 की उम्र में ही दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

    तो आइये देखते हैं उन्होंने अपने छोटे से जीवन में किन किन लोगों से प्यार किया और फिर उन्हें खोया-

    मधुबाला और दिलीप कुमार उस ज़माने के राज और सिमरन थे। उन दोनों के देखकर लगता था कि भगवान ने ही ये जोड़ी बनाकर भेजी मगर अफ़सोस, प्यार में पड़ने के बाद भी दोनों शादी नहीं कर पाए।

    दोनों की मुलाकात फिल्म ‘तराना’ (1951) के सेट पर हुई और तभी से दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। दोनों के विपरीत व्यक्तित्व होने के बावजूद भी, दोनों एक दूसरे की तरफ खिंचे चले आये। उसके बाद, दोनों ने तीन और फिल्मों में काम किया-‘संगदिल’, ‘अमर’ और सबसे आइकोनिक फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’। दोनों पूरी तरह से एक दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे हालांकि, मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान के कारण ये मुमकिन नहीं हो पाया।

    दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा ‘दिलीप कुमार:द सब्सटांस एंड द शैडो’ में बताया कि जो खूबियाँ वो उस वक़्त एक महिला में चाहते थे वो सब मधुबाला में थी। वो काफी जीवंत थी और उन्होंने ही दिलीप कुमार को उनके अकेलेपन से बाहर निकाला। दर्शकों ने भी उनकी जोड़ी को खुले दिल से स्वीकार किया। कुमार के दिल में जो खाली जगह थी वो उन्होंने भर दी थी।

    इस बात का प्रमाण शम्मी कपूर ने भी दिया। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि जब फिल्म ‘नकाब’ की शूटिंग के वक़्त कुमार पूना में थे, तो वे अक्सर बॉम्बे जाते थे मधुबाला से मिलने। जब वे शूटिंग करती तो बिना उन्हें परेशान किये, उन्हें दूर से ही देखते रहते।

    हालांकि, 1956-57 में चीज़े बदल गयी। उन दोनों की प्रेम-कहानी में दूरियां तब आई जब नया दौर कोर्ट मामले में, कुमार ने निर्देशक बीआर चोपड़ा के लिए, मधुबाला और उनके पिता के खिलाफ गवाही दी।

    दरअसल, चोपड़ा ने अपनी फिल्म ‘नया दौर’ के लिए, दिलीप कुमार और मधुबाला को साइन किया था और उन्हें शूटिंग के लिए 40 दिनों के लिए ग्वालियर जाना था मगर अताउल्लाह ने अपनी बेटी की सुरक्षा के कारण चोपड़ा को फिल्म को मुंबई में ही शूट करने के लिए कहा। चोपड़ा नहीं माने और उन्होंने मधुबाला की जगह वैजंतीमाला को ले लिया। तब अताउल्लाह ने चोपड़ा के खिलाफ कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने के कारण मामला दर्ज़ कराया। इस मामले में, दिलीप ने चोपड़ा का साथ दिया था।

    मगर अताउल्लाह उन दोनों की शादी के खिलाफ नहीं थे। दिलीप कुमार ने बताया कि वे उन दोनों की शादी से भी व्यापार उद्यम बनाना चाहते थे। उस वक़्त, अताउल्लाह खान की खुद की एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी थी और वो चाहते थे कि दोनों कुमार और मधुलाबाला उसी बैनर तले काम करे जो कुमार को मंजूर नहीं हुआ।

    कुमार ने इस बारे में लिखा कि आसिफ (मुग़ल-ए-आज़म के निर्देशक) दोनों के बीच सब सुलझाना चाहते थे। उन्होंने बताया कि फिल्म के मध्य ही दोनों ने एक दूसरे से बातचीत बंद कर दी थी। वो प्रसिद्ध दृश्य जिसमे दोनों के होठों के बीच एक पंख होता है, उस शॉट के वक़्त दोनों ने एक दूसरे से अभिवादन करना तक छोड़ दिया था। मगर काम के प्रति दोनों की प्रतिबद्धता और समर्पण के कारण दोनों ने ऐसे शूटिंग की जैसे दोनों के बीच कभी कुछ हुआ ही ना हो।

    मधुबाला की छोटी बहन मधुर ब्रिज मोहन ने फिल्मफेयर को बताया कि दोनों के बीच अहंकार आ गया था। जहाँ एक तरह दिलीप कुमार उन्हें कहते-‘अपने पिता को छोड़ दो और मैं तुमसे शादी कर लूँगा’ वही दूसरी तरफ मधुबाला कहती-‘मैं तुमसे शादी कर लुंगी बस तुम घर आ जाओ, उनसे मांफी मांगो और उन्हें गले लगाओ’।

    1950 तक, दोनों का रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका था।

    ऐसा कहा जाता है कि टूटे दिल को जोड़ने के लिए, मधुबाला ने किशोर कुमार से रिश्ता जोड़ लिया था और दोनों का अफेयर फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘हाफ टिकेट’ तक भी चलता रहा था। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, किशोर के जीवंत व्यक्तित्व ने मधुबाला को राहत दी थी। उस वक़्त खुद किशोर अपनी एक्स-वाइफ रुमा देवी गुहा ठाकुरता के साथ तलाक ले रहे थे। उनके तलाक के बाद, दोनों ने 1960 में शादी कर ली मगर किशोर के परिवारवालों की मर्ज़ी के खिलाफ। अतालुल्लाह भी जोड़े के खिलाफ थे मगर तब तक वे अपनी इच्छाशक्ति खो चुके थे।

    उनके शादी के तुरंत बाद, दोनों अपना हनीमून मनाने लंदन चले गए जहाँ मधुबाला की तबियत खराब हो गयी। वहाँ उनको अभिनेत्री की हालत के बारे में पता चला। डॉक्टर ने बताया कि उनके पास केवल दो साल बचे हैं। उसकी हृदय की स्थिति, वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (उसके दिल में छेद), का मतलब था कि उनका शरीर अतिरिक्त रक्त का उत्पादन करेगा और उनकी नाक और मुंह से खून आएगा।

    उनके लौटने के बाद, चीज़े कभी पहले जैसी नहीं हुई। भले ही दोनों नौ सालों तक शादीशुदा थे मगर मधुबाला ज्यादातर अपने पिता के घर ही रहती थी।

    ज्यादा लोगों को नहीं पता है कि मधुबाला का पहली बार दिल दिलीप कुमार पर दिल नहीं आया था। वे ऋषि कपूर के मामा प्रेमनाथ के प्यार में खोयी हुई थी मगर दोनों का रिश्ता केवल छह महीने ही चला क्योंकि प्रेमनाथ ने उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए कहा और मधुबाला ने मना कर दिया।

    वैसे उनकी अदायों के कायल तो अभिनेता शम्मी कपूर भी थे। उन्होंने रेडिफ.कॉम को बताया-“जब मैं उनसे पहले बार ‘रेल का डिब्बा’ के सेट पर मिला था, तो मैं उनसे अपनी आँखें नहीं हटा पाया था। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर बिजली गिर गयी हो।”

    वह इतनी सुंदर थी कि आत्मविश्वास और घुड़सवार रवैये के बावजूद, कपूर अपनी लाइनें भूल जाते थे। उनके मुताबिक-“मैं इतना घबरा गया था कि मैं अपनी लाइनें भूल गया था। और वह मेरे ऊपर होने वाले प्रभाव के बारे में पूरी तरह से अवगत थी और वे इसका पूरे वक़्त आनंद उठा रही थी।”

    आज मधुबाला की 86वी जन्मतिथि है। इतने दशक गुज़र जाने के बाद भी, उनकी खूबूसरती और अदाएं आज की अभिनेत्रियों को भी टक्कर देती हैं। हिंदी सिनेमा केवल एक ही मधुबाला बना सकता था जो उसने बना दिया। उनके बाद, उनके जैसा अभी तक कोई पैदा नहीं हुआ।

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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