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    भारत में सामाजिक कुरीतियाँ

    भारत मे बहुत सारी सामाजिक समस्याएँ और कुरीतियाँ है। इन्हें हमे दूर करना होगा और विकास की ओर कदम बढाने होंगे। इस लेख के जरिये हम आधुनिक भारत की कुछ बड़ी सामाजिक समस्याओं के बारे में चर्चा करेंगे। इसके अलावा इन्हें हल करने पर भी चर्चा करेंगे।

    सामाजिक समस्याएँ, सामाजिक भेदभाव इत्यादि आधुनिक भारत मे बड़ी मात्रा में पनप रही है। कुरीतियाँ वे होती है जो पुराने समय से समाज में घर किये हुए है। ये वह बाते है जिन्हे किसी तबके के ऊपर जोर जबरदस्ती से लगाया जाता है।

    कुरीतियाँ समाज द्वारा और कुछ विशेष लोगो द्वारा लगाई जाती है। समाजिक कुरीतियो के चलते कई लोगो को बुरी परिस्थतियो का सामना करना पड़ता है। सामाजिक कुरीतियाँ समाज और उसके लोगो के लिए बेहद हानिकारक है।

    विषय-सूचि

    आधुनिक भारत मे भी बहुत सी कुरीतियाँ है जैसे कि महिलाओ को कमजोर समझना और भेदभाव करना, भ्रुण हत्या, बाल विवाह, बाल मजदूरी, दहेज प्रथा और अंधविश्वास। परंतु दूसरी ओर भारत मे समय के साथ स्थितिया बदली भी है। पहले सती प्रथा भारत मे चलन मे थी परंतु अब यह लुप्त हो चुकी है। हमारे देश मे पहले छुआछूत की समस्या थी परन्तु समय के साथ इसमे भी कमी आई है।

    बाल रोजगार

    बाल मजदूरी का मतलब है बाल श्रम। जब छोटे बच्चो को आर्थिक गतिविधि मे पैसो के लिए शामिल करते है उसे बाल श्रम कहते है। बाल मजदूरी की जड़ों मे पूरा देश जकड़ा हुआ है। भारत के प्रमुख सामाजिक मुद्दे में से यह एक है।

    बाल रोजगार भारत

    बाल श्रम की वजह से बच्चो के बचपन पर प्रभाव पडता है। बाल मजदूरी का एक कारण देश की गरीबी भी है। परिवार वालो का पेट भरने के लिए बच्चो का जीवन बाल मजदूरी की आग मे झोक दिया जाता है। बाल श्रम के चलते देश के बच्चो को कई बार मूल शिक्षा भी नही मिल पाती है। बच्चो को मजदूरी के लिए पैसे भी मिलते है। हमारे देश मे बाल मजदूरी के विरूद्ध कई कानून भी है, जिनमे कड़ी सजा का प्रावधान है।

    कारण

    बाल श्रम के कई कारण है पर कुछ प्रमुख कारण हैं, असाक्षरता, गरीबी, और जागरूकता की कमी।

    गरीबी के कारण बच्चो को बचपन मे ही काम करने भेज दिया जाता है। भारत मे एक कहावत है कि जितने ज्यादा हाथ होंगे, उतना पेट भरेगा। अगर घर मे काई बड़ा बिमार है या काम कमाने वाले सदस्य कम है तो बाल मजदूरी को बढ़ावा मिलता है। गरीबी के चलतेे और आर्थिक तंगी के कारण बच्चो को पुरी शिक्षा भी नही मिल पाती है।

    प्रभाव

    बाल मजदूरी के कारण बच्चो का मानसिक और शारीरिक विकास रूक जाता है। इसके कारण कई बिमारियो का जन्म होता है। बच्चे शिक्षित नही हो पाते है। जैसा कि हमे पता है कि युवा देश का भविष्य है पर अगर युवा शिक्षित नही होगा तो देश कैसे प्रगति करेगा?

    कई बिमारियो के कारण बच्चो की मृत्यु भी हो जाती है। जो बच्चे बाल श्रम के शिकार होते है वे कई बार आम जिंदगी जीने मे असर्मथ होते है। ऐसे बच्चो के जीवन मे दोस्त कम होते है और ये बच्चे ज्यादा समय काम मे बिताते है।

    हल

    माता पिता को जागरूक करके इस बड़ी समस्या का हल हो सकता है। माता पिता को यह बताने की जरूरत है कि बाल श्रम के दुष्प्रभाव क्या है और आपके बच्चे की जिंदगी पर उसका क्या प्रभाव होगा?

    बच्चो को जागरूक करके भी इस समस्या का समाधान हो सकता है। अगर बच्चे शिक्षित होंगे तो बच्चो के जीवन का स्तर भी सुधरेगा और उन्हे अच्छी नौकरी भी मिलेगी। सरकार को कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है। गरीब परिवार वाले लोगो की आर्थिक रूप से मदद करनी होगी, जिससे बच्चे पढ़ सके।

    अपराध

    भारत मे रोजाना युवाओ द्वारा अपराध किए जाते है। ऐसे अपराधो को बाल अपराध की श्रेणी मे रखा जाता है। इन अपराधो के लिए हमारे देश मे अलग कानून है। बाल अपराधीयो के लिए एक तय उम्र है। बाल अपराधो मे लड़के और लड़किया दोनो शामिल होते है।

    अपराध भारत

    अगर कोई बच्चा अपराध करता है और उस अपराध के बारे मे उसे जानकारी नही है तो उसकी सजा का प्रावधान अलग होगा। वही अगर बच्चा जुर्म करके भाग जाता हे तो अलग कानूनी धाराएं उस पर लगेगी।

    दुप्रभाव

    समाज मे होने वाले जुर्म के कारण युवाओ और परिवार वालो पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। बाल अपराध का एक कारण यह भी है कि बच्चो को मूल शिक्षा नही मिलती है। बाल अपराध के कारण कई बार परिवार वालो को लज्जित होना पडता है। आज कल बाल अपराध मामूली हो गए है। रेप, चोरी, अपहरण जैसे कुछ अपराध बच्चों द्वारा आम तौर पर किए जाते है।

    कारण

    परिवार के माहौल के कारण भी बहुत से जुर्म होते है। जब बच्चो को परिवार की ओर से मानसिक तनाव होता है तो वो अपराधी बन जाते है। नकारात्मक विचार भी बच्चो को अपराध करने पर मजबूर करते है।

    सामाजिक गतिविधयो का भी बेहद असर होता है बच्चो के दिमाग पर। युवा जो देखते है वैसा ही करने की कोशिश करते है। आज के समय मे ज्यादातर फिल्मो मे खून खराबा और अपराधो को देख कर बच्चे उसकी नकल करने की कोशिश करते है।

    हल

    कई सामाजिक संस्थान इस विषय पर काम कर रहे है और युवाओ की मानसिक स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रहे है। कई सरकारी संस्थाए भी इस विषय पर काम कर रही है।

    जो बच्चे अपराध करते है, उनके लिए विशेष बहाली केंद्र बनाए गए है और वहा पर उनके कार्यो पर नजर रखी जाती है। वहां बच्चो को मूल शिक्षा भी दी जाती है। हमारे देश मे कानून के अंदर यह प्रावधान है कि अगर कोई बच्चा कोई जुर्म करता है, तो पुलिस कार्यवाही के बाद उसे उसके परिवार को सौप देगी।

    बाल विवाह

    बाल विवाह का तात्पर्य है कम उम्र में बच्चे की शादी करना। अगर कानूनी रूप से तय की हुई उम्र से पहले शादी होती है तो वह गैरकानूनी है और बाल विवाह की श्रेणी में आती है।

    बाल विवाह भारत

    सरकार ने शादी के लिए लड़के की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष रखी है वही लड़की के लिए यह उम्र 18 है। अगर उपरोक्त उम्र सीमा से पहले कोई परिवार विवाह कराता है तो यह गैरकानूनी होगा। यह उम्र स्वास्थ और मानसिक विकास को ध्यान मे रख कर रखी गई है।

    कारण

    सबसे बडा कारण है दहेज प्रथा। परिवार वाले शिक्षित नही होते है इस कारण लड़की को बोझ समझते है। गरीबी को भी हम एक बड़ा कारण मान सकते है। भारत के कई हिस्सो में यह प्रथा विलुप्त हो चुकी है और कई जगह यह अभी भी चल रही है। बाल विवाह के कारण लड़कियो के स्वास्थ पर बेहद बुरा असर पड़ता है। राजस्थान और हरियाणा में यह स्थिति काफी गंभीर है।

    दुष्प्रभाव

    बचपन मे शादी के कारण लड़की पेट से हो जाती है और उसके शरीर को बेहद पीड़ा झेलनी पडती है। कई बार ऐसे मे बच्चे और मां दोनो की मौत हो जाती है। स्वास्थ के संबंध मे बाल विवाह बहुत खतरनाक है।

    बाल विवाह के कारण शादी करने वाले लड़के और लड़की की पढाई रूक जाती है। वो अनपढ रह जाते है इसी कारण वे अपने बच्चो को भी अच्छी तरह शिक्षित नही कर पाते।

    हल

    समाज को, परिवार को और युवाओ को शिक्षित कर हम इस प्रथा को खत्म कर सकते है। हमारे देश मे जमीनी स्तर पर बहुत सी ऐसी संस्थाए है जो बाल विवाह के खिलाफ है और काम कर रही है।

    महिलाओ और नौजवानो को पढाने से यह समस्या खत्म हो सकती है। समान दर्जा देकर इस समस्या को हल किया जा सकता है। कानूनी रूप से बाल विवाह गलत है और इसमे शामिल होने वालो के खिलाफ कड़ी सजा भी है। अगर एक लडकी शिक्षित होगी तो उसे सही गलत का फर्क पता होगा। गलत चीज के खिलाफ आवाज उठा पाएंगी और इसके कारण एक अच्छे समाज का निर्माण होगा।

    जातिवाद

    भारत मे सदियो पहले से काम के आधार पर जातियो का विभाजन होता रहा है। यह विभाजन आज के आधुनिक भारत मे भी कायम है। किसी बच्चे के पैदा होने के पहले से ही उसके परिवार के आधार पर उसकी जाति बता दी जाती है।

    जातिवाद भारत

    आने वाले समय मे वह क्या काम करेगा यह भी उसकी जाति ही निश्चित करती है।

    कारण

    काम के आधार पर जाति बनाना इस प्रथा का मुख्य बिंदु है। हर जाति के लिए एक काम निश्चित किया जाता था। जैसे कि ब्रहामण – यह सबसे उत्तम धर्म की जाति है, इसमे पूजा पाठ से जुड़े काम होते है। ब्राहमणो को बुद्धिमान माना जाता है। ये लोग पंडित का काम करते है और मंदिरो और घरो मे पूजा कराते है।

    क्षत्रिय – यह जाति युद्ध मे लड़ने वालो के लिए बनाई गई थी। इस जाति मे मुख्यतर सैनिको का वास है। यह जाति ब्राहमणो से निचले तबके की है।

    वैष्या – इस जाति मे वह लोग आते है जो मुख्य तौर पर खेती, बिजनेस का काम करते है। इन लोगो को भी निचले दर का दर्जा दिया जाता है। ये लोग समाज की वृद्धि के लिए काम करते है।

    शुद्र – ये जाति निम्न स्तर की है इसमे सफाई करने वाले, घर मे काम करने वाले लोग शामिल है। इनक साथ भेदभाव होता है और ये छुआछूत के भी शिकार होते है।

    दुष्प्रभाव

    जातिवाद छुआछूत को बढावा देता है। जातिवाद के कारण लोगो को कुछ विशेष प्रकार के ही अवसरो की प्राप्ति होती है। जातिवाद असामानता को बढावा देता है। जाति के कारण उच्च और निम्न जाति के लोगो मे भेदभाव होता है। जाति के कारण सदियो से लोगो के व्यवसाय पहले से ही निर्धारित कर दिए जाते है। जैसे उच्च जाति वाले व्यक्ति ही अच्छी नौकरी करेगे वही निम्न स्तर वालो को छोटी नौकरी मिलेगी। देश की संप्रभुता के लिए भी जातिवाद हानिकारक है।

    हल

    लोगों को शिक्षित करना और जागरूकता फैलाने से इस बड़ी समस्या का अंत हो सकता। समाज मे बदलाव लाने के लिए और जातिवाद खत्म करने के लिए मूल शिक्षा का पाठ अनिवार्य है। अंधविश्वास की प्रकिया को खत्म करना भी एक हल है। अगर हर किसी की आर्थिक रूप से वृद्धि होगी तो यह प्रथा विलुप्त हो सकती है।

    मदिरापान

    मदिरापान को शराब पीना भी कहते है। एक तय सीमा से ज्यादा शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है और अधिक सेवन से शराब पीने वाले की मृत्यु हो जाती है। मदिरापान मे व्यक्ति का ज्यादा शराब पीना भी शामिल है।

    शराब पीना

    मदिरापान एक बिमारी है। शराब पीना स्वास्थ के लिए खतरनाक है और इससे दिमागी संतुलन भी खराब होता है।

    कारण

    शराब पीने के कई कारण होते है। आसानी से शराब मिलने पर व्यक्ति शराब का सेवन करता है। मानसिक तनाव की स्थिति भी शराब पीने का एक अहम कारण है। अगर आपके आस पास शराब का अत्यधिक सेवन होता है तो ऐसे हो सकता है कि आप भी शराब पीना शुरू दे। बचपन मे माता पिता मे से अगर कोई शराब पीता था तो उनके प्रभाव मे भी शराब पी जा सकती है। संगती का असर एक सबसे बड़ा कारण है, नशा करने का।

    दुष्प्रभाव

    शराब पीने से मानसिक स्थिति और शारीरिक सेहत दोनों पर असर पडता है। शराब पीने से शरीर मे बहुत सारी बिमारिया घर कर लेती है जैसे कैंसर, लिवर फेल इत्यादि। अंदरूनी शरीर मे कई अंग खराब हो जाते है। मुख्यतोर पर किडनी और पेट पर असर पडता है, पाचन तंत्र और दिमाग पर भी शराब का असर होता है। शराब पीने से सामाजिक और परिवारिक रिश्ते भी खराब होते है।

    हल

    कई सरकारी और गैरसरकारी संस्थाए नशा मुक्ति केंद्रो का संचालन करते है। शराब के दुष्प्रभावो के बारे मे हर पीढि के लोगो को बताना चाहिए जिससे वे शराब ना पीये। शरीर के खून को साफ करने से शराब से होने वाली बिमारिया नही होंगी।

    दहेज प्रथा

    शादी मे जब लड़की को उसके ससुुराल भेजते है तो उसके साथ दिए गए समान को दहेज कहते है। दहेज वह समान होता है जो लड़के वाले लड़की वालो से मांगते है। भारत मे यह प्रथा सदियो से चल रही है और आज भी चलन मे है। दहेज के तौर पर गाड़ी व जमीन जायदात और पैसे दिए जाते है।

    दहेज़ प्रथा

    कारण

    इक्कसवी सदी मे भी लोगो का मानना है कि यह एक परंपरा है जो बुजुर्गो के द्वारा चलाई गई थी। लोग अपनी शान के लिए दहेज मांगते है और न देने पर रिश्ता तोड़ने की धमकी देते है। लड़के वालो के लिए दहेज लेना आवश्यक माना जाता है वरना शादी सफल नही होगी।

    दुष्प्रभाव

    गरीब और निम्न स्तर के लोगो के लिए यह एक बड़ी समस्या है। गरीब परिवार पर अधिकतर दहेज़ के लिए दबाव बनाया जाता है। दहेज देने के लिए कारणवश घर वाले उधार लेने पर मजबूर होते है। ज्यादातर यह देखा गया है कि बेटियो की शादी के लिए माता पिता उधार लेते है। लड़के वालो की ओर से आने वाली नई नई फरमाइशो के कारण महंगे ब्याज दर पर पैसे लेने पड़ते है। परिवार की मनोदशा पर इस कुुरीति का बुरा प्रभाव पडता है।

    हल

    हमे बेटियो को बोझ नही समझना चाहिए। बेटी को शिक्षित कर उसे इस काबिल बनाना होगा कि वो अपने पैरो पर खुद खड़ी हो सके। शादी के दौरान लडके वालो की फिजुल की शर्ते नही माननी चाहिए। लड़के लड़की मे भेदभाव नही होना चाहिए। लडकी के घर वालो को यह ध्यान देना होगी कि दहेज देना गलत है और गैरकानूनी है।

    निरक्षरता

    निरक्षरता का मतलब है कि लिखना और पढ़ना नही आना। भारत मे ज्यादा जनसंख्या और गरीबी के कारण यह समस्या है। देश की आर्थिक व्यवस्था की कमजोरी की एक वजह निरक्षरता है। देश का युवा अगर शिक्षित हो जाए तो उस देश को प्रगतीशील देश बनने से कोई नही रोक सकता।

    निरक्षरता

    कारण

    माता पिता अगर पढे लिखे नही होते है तो वो अपने बच्चो को पढाई की महत्वता बताने मे असर्मथ होते है। बाल श्रम के कारण बच्चो को पूरा अवसर नही मिल पाता स्कूल जाने का यह भी एक वजह है। गरीबी भी निरक्षरता का एक अहम कारण हैं। स्कूलो मे ज्यादा फीस के कारण अभिभावक बच्चो को स्कूल नही भेज पाते।

    दुष्प्रभाव

    गरीबी बढती है और परिवार के रहने के ढंग मे गिरावट होती है। अच्छी नौकरिया नही मिल पाती हैं। पढ़े लिखे ना होने के कारण अपराधो मे वृद्धि होती है और आने वाली पीढि भी निरक्षर रहती है।

    हल

    निरक्षरता को शिक्षा के द्वारा खत्म किया जा सकता है। सरकार को स्कूलो मे गरीब बच्चो को शिक्षित करने के लिए बढावा देना चाहिए। झुग्गी झोपडियो मे जाकर बच्चो को और उनके माता पिता को किताबो से अवगत कराना होगा। गरीब बच्चो को उनके घर के पास मे ही शिक्षा मुहैया करानी होगी।

    गरीबी

    जिस स्थिति मे लोगो की मूल सुविधाए भी पूरी नही होती, उसे गरीबी कहते है। मूल सुविधाए जैसे दो वक्त का खाना ना होना, रहने के लिए घर नही होना आदि। सरकार ने गरीबी रेखा का कार्ड बना कर ऐसे तबके की मदद करने की कोशिश की है। इस कार्ड के अंदर उन्हें महीने मे तय सीमा तक राशन बहुत सस्ती दर पर मिलेगा।

    भारत में गरीबी

    कारण

    शिक्षा ना होने के कारण अच्छी नौकरी नही मिलती और यह गरीबी बढाता है। निरक्षरता और गरीबी का पहिया एक साथ चलता है और समाज मे गरीबी उत्पन्न कराता है। जातिवाद और पर्यावरण के कारण भी गरीबी होती है जैसे सूखा पड गया या फिर बाढ आ गई तो खेती नष्ट हो गई। नष्ट फसल के पैसे नही मिलते और ऐसे गरीबी फैलती है। जहा पर जनसंख्या ज्यादा होगी और अवसर कम होगे, वहां गरीबी पनपेगी।

    प्रभाव

    निचले तबके को अमीर लोगो पर निर्भर रहना पड़ता है। वे कुपोषण के शिकार होते है क्योकि उन्हें सही समय पर खाना नही मिलता। गरीब लोगो के शारीरिक विकास भी धीमा होता है।

    हल

    ज्यादा से ज्यादा नौकरीयो के अवसर देकर गरीबी से राहत मिल सकती है। सरकार को गरीब लोगो के आर्थिक विकास पर ध्यान देना चाहिए। बच्चो को शिक्षा के साथ खाना भी देना होगा जिससे उनका शरीर भी बढ़ सके।

    महिलाओ से भेदभाव

    आज भी भारतीय समाज मे महिलाओ को निचला दर्जा दिया जाता है और उन्हें कमजोर समझा जाता है। यह सोच वर्षो पहले से हमारे समाज मे है। ऐसी सोच पिछड़े इलाको मे ज्यादा देखने को मिलती है, जहा महिलाएं अशिक्षित है।

    महिला भेदभाव

    कारण

    तकियानुसी सोच के कारण यह रीति संभवताः भारत मे अभी भी जीवित है। सदियो से भारत के समाज मे महिलाओ को पुरूषो से कम आँका गया है। यही एक बड़ी वजह है जिसके चलते आज भी हमारे समाज मे यह सोच मौजूद है। परिवारो मे यह देखा गया है कि परिवार का मुखिया एक वरिष्ठ पुरूष होता है। परिवार के सभी महत्वपूर्ण और बडे निर्णय पुरूषो द्वारा लिए जाते है।

    दुष्प्रभाव

    महिलाओ को बहुत से कामो के लिए मना कर दिया जाता है। महिलाओ को सामान अवसर नही दिए जाते है। महिलाओ से यह उपेक्षा की जाती है कि उन्हें केवल घर मे काम करना होगा। महिलाओ को घर से बाहर काम करने की इजाजत कम मिलती है इस कारणवश वे अपने आप को सिद्ध नही कर पाती। समाज मे लोगो को वंश आगे चलाने के लिए बेटे चाहिए बेटिया नही, और इससे भ्रुण हत्या को बढावा मिलता है।

    हल

    महिलाओ को नौकरी प्रदान कर उन्हें सामान अवसर देने होंगे। महिलाओ की महत्वता को समाज तक पहुचाना होगा। महिलाओ को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है और उन्हें उनके हक के बारे मे जागृति करना होगा। महिलाओ की भागेदारी की कहानियो को प्रोत्साहन देना चाहिए।

    भीख मांगना

    भीख मांगने का तात्पर्य है कि जिन लोगो को पैसो कि जरूरत है परंतु उनके पास पैसे कमाने का साधन नही है। ऐसे लोग जगह जगह रह कर पैसे मांगते है। ऐसे लोगो को मूल रूप सुविधाए भी नही मिलती है।

    भीख मांगना

    कारण

    भारत मे भीख मांगने की समस्या सामाजिक स्तर पर देखी गई है। यह हमारे देश की एक अहम समस्या है। भीख मांगने के पीछे बहुत से कारण है जैसे कि गरीबी, निरक्षरता, विकलांगता, बिमारिया, मानसिक रोगी इत्यादि।

    प्रभाव

    जो लोग भीख मांगते है अकसर वे अपने बच्चो को भी इसके लिए मजबूर करते है। भीख मांगने वाले लोग पूरी तरह दूसरो पर निर्भर होते है। वे अपने लिए कोई नौकरी या काम नही ढूंढते है। ऐसे लोग समाज पर एक बोझ की तरह है।

    हल

    नौकरी प्रदान करके यह समस्या भी खत्म की जा सकती है। सरकार को इस विषय मे बहुत काम करने की जरूरत है। लोगो को आत्मनिर्भर बनाना होगा। हमे भीखारियो को समझाना होगा कि उन्हें अपने बच्चो को शिक्षित करने की जरूरत है। जिससे उनके बच्चो को अच्छी नौकरी मिल सके और उनकी गरीबी खत्म हो जाए।

    साफ सफाई

    हमारे देश मे साफ सफाई के नाम मे बहुत सारे अभियान तो चलते है, पर आज भी हमारे देश मे गंदगी की समस्या काफी बड़ी है। बिमारियो से दूर रहने के लिए साफ सफाई बेेहद जरूरी है। हम सभी को अपने शरीर की, घर की और आस पास की सफाई रखनी चाहिए। कूड़े को सही तरीके से फेकना चाहिए। खानपान की चीजे रखने के स्थान पर साफ़ सफाई पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

    साफ़ सफाई

    दुष्प्रभाव

    गंदगी के कारण कई तरह की बिमारिया उत्पन्न होती है। जो हमारे स्वास्थ के लिए बेहद हानिकारक है। बच्चो और बड़ों के मानसिक विकास मे भी यह बाधा उत्पन्न करता है।

    कारण

    लापरवाही और आलस्य दो इसकी मुख्य वजह है, जिसके रहते गंदगी होती है और हम बिमार होते हैं। लोग अपने लिए बिमारी के लिए खुद जिम्मेदार होते है। लोग अपने पर्यावरण का ध्यान न रखते हुए कूड़ा कही पर भी फेक देते है। कूड़ा कही भी फेकने के कारण बहुत सारे कीटो का जन्म होता है।

    हल

    हमे सही तरीके से कूड़े को फेकना चाहिए। चीजो का इस्तेमाल दोबारा करना चाहिए अगर संभव है तो। अपने आस पास की जगह की साफ सुधरा रखना चाहिए। खुले मे शौच नही जाना चाहिए।

    धर्म

    हर धर्म के मानने वालो मे आज कल विरोध पैदा हो गया है। जो हमारे देश के लिए बेहद खतरनाक है क्योकि भारत एक ऐसा देश है जहा हर धर्म के लोग शांति से और प्रेम सदभावना से रहते है। कई बार विरोधियों के बीच हिंसा जनक झडप हो जाती है।

    धर्म विवाद

    कारण

    हर धर्म के अपने कुछ अलग रीति रिवाज होते है और उन्हें मानने का उन्हें पूरा हक होता है। धर्मो के बीच मे मान्यताओं के फर्क के कारण भी लड़ाई होती है। अपने धर्म को पूरी तरह न जानने की वजह से और भेड चाल के कारण धर्म के नाम पर हिंसा फैलाई जाती है। लोगो को अफवाह मे रहकर भेड़ चाल की स्थित नही अपनानी चाहिए।

    दुष्प्रभाव

    विरोध के कारण कई बार हिंसा होती है और अपराध होते है। समाज मे इस कारण भेदभाव की भावना जन्म लेती है। डर और तनाव की स्थिति समाज मे पैदा हो जाती है। भारत जैसे सर्वधर्म देश के लिए यह एक अच्छा संकेत नही है। हिंसा के कारण देश का विकास रूकता है और सदभावना खत्म होती है।

    हल

    धर्म की पवित्र किताबो को पढ़ने वालो को यह समझना चाहिए कि धर्म मे कही नही लिखा कि हमे हिंसा करनी चाहिए। लोगो को प्रेम और सदभावना से रहना चाहिए। सभी को यह समझना चाहिए की हिंसा खतरनाक है और इससे किसी का भला नही होगा। लोगों को असली मुद्दे पर बात करनी चाहिए, ना कि धार्मिक भेदभाव जैसे मुद्दे पर।

    11 thoughts on “भारत की सामाजिक समस्याएँ और हल”
    1. thankuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu

    2. आपका लेख बहुत अच्छा लगा. सामाजिक कुरीतियाँ हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है. इसे मिटाना होगा.
      पूरा लेख पढ़िये- सामाजिक कुरीतियों पर निबंध

    3. I also want to join The wire team and serve the nation I have worked with Breakthrough as consultant on G.B.D.(Gender Biased Discrimination) Project as district coordinator Sonipat,Panipat and Rohtak and nowadays I am totally free.
      Regards.
      Dr.Ajay………
      Rhythm Rang Mandal India.

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