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    हबनटोटा बंदरगाह

    चीन ने गुरूवार को कहा कि भारत द्वारा श्रीलंका में निवेश पर हमारी सोच संकीर्ण नहीं है और इससे न हमें कोई दिक्कत है। श्रीलंका में 3.85 अरब डॉलर के निवेश की साझेदार कंपनी भारतीय है। इस प्रोजेक्ट के तहत हबनटोटा बंदरगाह के निकट एक आयल रेफ़ीनेरी का निर्माण किया जायेगा।

    श्रीलंका में आयल रिफाइनरी में निवेश क्या चीन के लिए चिंतित विषय है, इस बाबत चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “श्रीलंका में भारतीय निवेश पर हमारा रुख खुला हुआ है। इससे सम्बंधित जानकारी अभी मेरे पास नहीं है। लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि श्रीलंका और चीन के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग है। हबनटोटा बंदरगाह हमारे फलदायी सहयोग के एक अन्य उदहारण है।”

    उन्होंने कहा कि “श्रीलंका में चीनी निवेश पर हमारा रवैया खुला हुआ है। श्रीलंका के विकास में हम भी योगदान दे रहे हैं। जितना आप सोच रहे हैं चीन उतनी संकीर्ण सोच का नहीं है।”

    भारत के अकॉर्ड समूह और ओमान मंत्रालय ने संयुक्त रूप से एक उद्यम के जरिये श्रीलंका की आयल रिफाइनरी में 3.85 अरब डॉलर निवेश की घोषणा की है।

    बीते कुछ वर्षों में श्रीलंका में चीन ने काफी निवेश किया है और उभरता हुआ निवेशक है। चीन कई बड़ी परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। इसमें हबनटोटा बंदरगाह और कोलोंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट शामिल है। बीजिंग ने द्वीपीय राष्ट्र में 7 अरब डॉलर का निवेश करने को कहा है। बीजिंग की राज्य अधिकृत कंपनी श्रीलंका में विभिन्न इंफ्रास्ट्रचर और सड़क व रेलवे नेटवर्क के निर्माण में शामिल है।

    चीन की राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक साल 2017 में बीजिंग ने श्रीलंका में 1.36 अरब डॉलर का विदेशी निवेश किया है। श्रीलंका में सबसे अधिक निवेश चीन ने किया है और इसके बाद भारत और सिंगापुर इस सूची में है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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