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    भारत वायु प्रदूषण

    वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने जागतिक वायु प्रदुषण पर अपनी सालाना रिपोर्ट जिनेवा में प्रकशित की। इस रिपोर्ट में विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित 15 महानगरों में 14 भारतीय शहर हैं। कानपुर में वायु प्रदुषण का स्तर सबसे खराब हैं। कानपुर में प्रति घन मीटर(क्यूबिक मीटर) हवा में 173 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 स्तर के प्रदूषक घटक पाए गए हैं।

    रिपोर्ट तयार करने की प्रक्रिया में कुल 108 देशों के 4300 शहरों की वायु गुणवत्ता का अध्ययन किया गया। कई अफ्रीकी देशों ने वायु गुणवत्ता के जांच करने की अनुमति देने से इन्कार किया था। इस रिपोर्ट में कुल 181 भारतीय महानगरों की वायु गुणवत्ता जाँची गयी।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू.एच.ओ) ने हवा में प्रदूषक घटकों को दो वर्गों में विभाजित किया हैं। पीएम 10 और पीएम 2.5, मुख्य प्रदूषकों में सलफेट, नाइट्रेट, ब्लैक कार्बन जैसे आरोग्य को हानी पहुँचाने वाले पदार्थ हैं।

    फरीदाबाद, वाराणसी और गया इन शहरों को कानपुर के बाद क्रमशः दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान दिया गया हैं। शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में भारतीय महानगरों के अलावा कुवैती शहर अली सुबह-अल सालेम और चीन, मंगोलिया के भी कुछ शहर शामिल हैं।

    प्रदुषण और आरोग्य समस्याएं

    • विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्लू.एच.ओ) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के हर दस लोगों में से नौ लोगों को प्रदूषित हवा में सास लेनी पड़ती हैं। इसके कारन हर साल 70 लाख लोग अपनी जान गवाते हैं।
    • एशिया और अफ्रीकी देशों में प्रदुषण के कारन होने वाली मौतों में से 90 प्रतिशत मौते होती हैं। वायु प्रदुषण से होने वाली गंभीर समस्याओं में ह्रदय विकार, फेफड़ों का कैंसर(लंग कैंसर) भी शामिल हैं

    प्रदुषण और भारतीय शहर

    • देश की राजधानी दिल्ली विश्व का छटा सबसे प्रदूषित शहर हैं। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दिन प्रति दिन ख़राब होती जा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में प्रदुषण की स्थिती में 2010 से 2014 के दौरान सुधार देखा गया था लेकिन 2015 में हालात बिगड़ने लगे।
    • देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में प्रदुषण का स्तर बीजिंग के सामान हैं। लेकिन चीनी सरकार जिस तरह से प्रदुषण कम करने के प्रयासों में लगी हैं, उस तरह की गंभीरता भारतीयों में नहीं हैं। यह बात खेदजनक हैं।
    • जयपुर राजस्थान में सबसे अधिक प्रदूषित शहर हैं। इसके अलावा जोधपुर, अलवर, कोटा, उदयपुर भी प्रदुषण नियंत्रण में पीछे हैं।
    • सरकार के आखिरकार प्रदुषण नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम(नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) की घोषणा की। पर्यावरण और वन संवर्धन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने इस प्रदुषण के बढ़ते खतरे को मानते हुए इस कार्यक्रम की लोकसभा में घोषणा की।

    प्रदुषण नियंत्रण

    • देश में प्रदुषण को कम करने हेतु केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण परिषद्(सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) की स्थापना की गयी हैं, और यह बोर्ड के हर राज्यों में क्षेत्रीय मुख्यालय हैं
    • दिल्ली में हवा प्रदुषण की तुलना सामान्य तौर पर बीजिंग से की जाती हैं, लेकिन बीजिंग की वायु गुणवत्ता में चीनी सरकार के प्रयासों के चलते कमी आ रही हैं।
    • 2013 में शीर्ष 20 प्रदूषित शहरों में 14 चीनी महानगर थें और 2016 के रिपोर्ट में सिर्फ चार चीनी शहर थे। इससे चीन में प्रदुषण के प्रति लोगों में गंभीरता और चीनी सरकार की कटिबद्धता का पता चलता है।
    • 2013 में चीनी सरकार ने नेशनल एक्शन प्लान फॉर एयर पोल्यूशन कंट्रोल के अंतर्गत कई कदम उठाये है। डब्ल्यू.एच.ओ के अनुसार बीजिंग की वायु गुणवत्ता में 2013 से सुधार हो रहा है।

    डब्ल्यू.एच.ओ की यह रिपोर्ट भारतीयों और हमारी सरकारों के लिए एक खतरे की घंटी हैं, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। प्रदुषण से निपटने के लिए पूरी तरह से सरकार पर निर्भर ना रह कर, हम सामान्य नागरिक भी कदम उठा सकते हैं। अगर समय रहते सक्त कदम उठाये नहीं गए तो हमें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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