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    भारत जापान चीन

    भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भारत-जापान वार्षिक सम्मलेन में शरीक होने के लिए जापान की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और भारतीय प्रधानमन्त्री के मध्य सोमवार को अनौपचारिक वार्ता हुई थी। दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने द्विपक्षीय समझौते और साझा हित पर बातचीत की थी। इसमें इंडो-पैसिफिक और परमाणु आतंकवाद महत्वपूर्ण मुद्दा था।

    इस बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी और शिंजो आबे ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे। इसमें नौसेना सहयोग और हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट प्रमुख था।

    चीन दक्षिणी चीनी सागर पर अपना अधिकार मानता है साथ ही पूर्वी चीनी समुन्द्र में जापान के अधिकृत सेन्काकू द्वीप पर भी चीन अपना दावा ठोकता है। चीनी जहाज निरंतर सेन्काकू द्वीप में गश्त करते रहते हैं। चीन के अलावा दक्षिणी चीनी सागर पर वियतनाम, फ़िलीपीन्स, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान भी अपना दावा ठोकते हैं।

    भारतीय प्रधानमन्त्री से मुलाकात से पूर्व जापान के प्रधानमन्त्री शिंजो आबे चीन की यात्रा पर थे। चीन की यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकिंग से मुलाकात की थी। शिंजो आबे का चीन के दौरे का मकसद  क्षेत्रीय विवादों को सुलझाना और सेना का विस्तार करना था।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके समकक्षी शिंजो आबे ने रक्षा और विदेश मंत्रालयों के बीच 2+2 वार्ता के आयोजन पर रजामंदी दी है। अमेरिका के साथ भारत का 2+2 समझौता है जिसके तहत पहली वार्ता बीते माह नई दिल्ली में हुई थी। दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने मुंबई अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट के कार्य की समीक्षा की थी। यह रेल प्रोजेक्ट भारत और जापान की गहरी दोस्ती का प्रतीक है।

    दोनों राष्ट्रों के नेताओं ने भारतीय नौसेना और जापान की मेरीटाइम सेल्फ डिफेन्स फाॅर्स के बीच अधिक सहयोग के समझौते पर भी दस्तखत किये थे।

    इंडो-पैसिफिक इलाके पर जोर

    चीन की दक्षिण एशिया के इलाके में प्रभाविकता को कम कम करने के लिए भारत और जापान ने आर्थिक और सैन्य समझौतों पर सहमती जताई है।

    भारत और जापान ने साझा बयान में कहा कि दोनों नेता इंडो-पैसिफिक में संप्रभुता को कायम रखने वाले कानून ही लागू होंगे, स्वतंत्र नौकसंचालन और विमान उड़ाने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विवादों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। बिना किसी धमकी या बल के इन मसलो को सुलझाना चाहिए।

    जाहिर है इंडो-पैसिफिक वह इलाका है, जिसके साथ चीन की लम्बी समुद्री सीमा है। दक्षिणी चीन सागर भी इसका एक हिस्सा है।

    ऐसे में चीन इस पुरे इलाके पर अपना प्रभुत्व जताता है और छोटे देशों को धमकाता है।

    भारत और जापान का मानना है कि यह इलाका स्वतंत्र होना चाहिए और किसी एक देश का इसपर जोर नहीं होना चाहिए।

    भारत और जापान नें इसपर मिलकर अपनी सेनाओं के बीच साझेदारी की भी बात की है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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