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    भारत चीनी सेना

    भारत और चीन के मध्य डोकलाम तनातनी के बाद दोनों राष्ट्रों के रिश्तों में खटास आ गयी थी। डोकलाम विवाद के एक वर्ष बाद भारत विदेशी सैन्य अफसरों (एफएसए) के एक समूह को लेह लेकर जाएगा।

    भारत और चीन की सेना के मध्य विवाद की समाप्ति के बाद दोनों राष्ट्रों की सेनाओं के मध्य ‘हैंड इन हैंड’ यानी हाथों में हाथ अभ्यास इस वर्ष चीन में आयोजित होगा। इससे भारत चीन सम्बन्ध में कुछ सहजता आ सकती है। डोकलाम तनातनी के कारण वार्षिक होने वाला अभ्यास विगत वर्ष नहीं हुआ था।

    भारतीय सेना लेह में विदेशी अधिकारियों की यात्रा के लिए एक टूर का आयोजन कर रही है। यह विदेशी अधिकारी 22 देशों से भारत में स्थित दूतावास में नियुक्त हैं। यह टूर में सोमवार को अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों के अधिकारी शामिल होंगे। मंगलवार को विदेशी अफसर लद्दाख में बने मुख्यालय की सुरक्षा का मुआयना करेंगे। विदेशी अफसर नानक हिल मिलिट्री स्टेशन और ब्रिगेड हेडक्वाटर का भी निरीक्षण करेंगे। साथ ही वे ठन्डे वातावरण में सैन्य हथियारों की क्षमताओं की भी जांच करेंगे।

    सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस टूर का मकसद भारतीय सेना और सहयोगी राष्ट्रों की सेना के मध्य सामंजस्य बैठना है। चीन और पाकिस्तान की सेना इस टूर का भाग नहीं है। एक लम्बे अंतराल के बाद सेना ने लेह की यात्रा करवाई है। इससे पूर्व ये यात्रा भारत की तीनों सेना हर दो वर्ष के अंतराल में आयोजित करती रहती थी।

    इस सफर के दौरान विदेशी अफसरों को इलाके में जवानों की तैनाती का तरीका दिखाया जायेगा। साथ ही ये समूह पूर्वी लद्दाख की 135 किलोमीटर झील का दौरा भी करेगा। भारत और चीन दोनों ही इस झील पर अपना दावा ठोकते हैं।

    पिछले वर्ष 15 अगस्त को इस क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हो गया था। चीनी सैनिक भारत के अधिकृत क्षेत्र में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। डोकलाम संघर्ष सहित अन्य विवादों ने दोनों राष्ट्रों की सेनाओं में अविश्वास उत्पन्न कर दिया है। हालाँकि ‘हैंड इन हैंड’ अभ्यास संघर्षों के जख्मों को भरने में मददगार साबित होगा।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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