Sat. Dec 7th, 2024
    योगी आदित्यनाथ धर्मनिरपेक्षता

    अपने फैसलों से सुर्खियों में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। हाल ही में वह केरल में भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा शुरू की गई “जनसुरक्षा यात्रा” में शामिल हुए थे। वहाँ उन्होंने केरल की सत्ताधारी सीपीएम सरकार पर हमला बोला था और कहा था कि जल्द ही केरल का रंग लाल की जगह भगवा होगा। अब खबर आ रही है कि योगी आदित्यनाथ आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गुजरात में चल रही भाजपा की “गुजरात गौरव यात्रा” में नजर आएंगे। योगी आदित्यनाथ 13 अक्टूबर को “गुजरात गौरव यात्रा” में शामिल होने गुजरात पहुँचेंगे और 2 दिनों तक इस यात्रा में हिस्सा लेंगे।

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात की 149 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली “गुजरात गौरव यात्रा” की शुरुआत की थी। 15 अक्टूबर को इस यात्रा का समापन गाँधीनगर में होगा। अमित शाह ने लौह पुरुष सरदार पटेल के पैतृक निवास करमसद से गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की थी। इस यात्रा की पृष्ठभूमि नरेंद्र मोदी द्वारा 2002 में की गई “गुजरात गौरव यात्रा” के इर्द-गिर्द ही बुनी गई है। जिसके बाद उन्होंने गोधरा दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनावों में भरी बहुमत से जीत दर्ज की थी। उस वक्त देशभर में गुजरात दंगों में भूमिका को लेकर नरेंद्र मोदी की आलोचना हो रही थी वहीं आज गुजरात में भाजपा का परंपरागत वोटबैंक रहा पाटीदार समाज कांग्रेस से जा मिला है।

    भाजपा के तीसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं योगी आदित्यनाथ

    वर्ष 2002 के बाद पहली बार गुजरात गौरव यात्रा यात्रा आयोजित की जा रही है। कहीं ना कहीं इसकी वजह राज्य में भाजपा सरकार की घटती लोकप्रियता है। यात्रा की कमान गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल संभाल रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी हिंदुत्ववादी छवि के चलते गुजरात भाजपा के नेताओं ने पार्टी आलाकमान से उन्हें गुजरात गौरव यात्रा में शामिल करने की बात कही थी। गुजरात की तकरीबन 89 फीसदी आबादी हिन्दू है और ऐसे में योगी आदित्यनाथ का यात्रा में शामिल होना निश्चित तौर पर भाजपा को फायदा पहुँचाएगा। गुजरात भाजपा के एक नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद योगी आदित्यनाथ भाजपा के तीसरे सबसे लोकप्रिय नेता हैं और उनकी छवि का लाभ गुजरात भाजपा को मिलेगा।

    गुजरात बचाने में जुटे अमित शाह

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की गुजरात गौरव यात्रा की सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर भाजपा का चाणक्य अब कौन सा सियासी चक्रव्यूह रचने जा रहा है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात से दिल्ली जाने के बाद गुजरात भाजपा को अभी तक कोई सशक्त चेहरा नहीं मिल सका है जिसे आगे रखकर भाजपा चुनावी दंगल में उतर सके। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में चुनाव प्रचार कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात के सियासत की गहरी समझ है और पिछले 4 विधानससभा चुनावों से उनकी और नरेंद्र मोदी की जोड़ी भाजपा की जीत की कहानी लिखती आई है। उम्मीद है वह इसे एक बार फिर दोहराने में कामयाब होंगे।

    ग्रामीण विधानसभाओं को लक्ष्य बना रही है भाजपा

    अमित शाह द्वारा शुरू की गई गुजरात गौरव यात्रा से भाजपा ग्रामीण वोटरों को लुभाने में जुटी है। इन 15 दिनों के दौरान यह यात्रा 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा के 149 ग्रामीण सीटों से गुजरेगी। देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाले सरदार पटेल के पैतृक गृह से यात्रा की शुरुआत कर अमित शाह ने विरोधियों को यह सन्देश दे दिया है कि गुजरात को एक सूत्र में बाँधकर वह भाजपा के पक्ष में लाएंगे। इस यात्रा के माध्यम से भाजपा कांग्रेस सरकार द्वारा शासन के 60 सालों में गुजरात के साथ किए गए सौतेले व्यवहार को गुजरात की जनता के सामने लाएगी। इनमें सरदार पटेल की उपेक्षा और उन्हें भारत रत्न ना देना, मोरारजी देसाई की इंदिरा गाँधी द्वारा उपेक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों को लक्ष्य बनाकर शुरू की गई यह यात्रा निश्चित रूप से भाजपा को लाभ पहुँचाएगी।

    लोहे से लोहा काटने की कवायद

    मौजूदा हालातों में भाजपा के लिए गुजरात में सबसे बड़ी दिक्कत पाटीदार समाज की नाराजगी है। पाटीदार समाज गुजरात की 20 फीसदी मतदाता आबादी का नेतृत्व करता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात गौरव यात्रा के दौरान जिन दो चेहरों को आगे कर रहे हैं वह दोनों ही पाटीदार समाज से हैं। गुजरात सरकार के दो पूर्व मंत्रियों को इस यात्रा का प्रभारी बनाया गया है। इनके नाम कौशिक भाई पटेल और गोरधन झडफिया है। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के हाथ में यात्रा की कमान है। गुजरात के पाटीदार समाज की दो बिरादरी हैं, लेउवा और कड़वा। पाटीदार आन्दोलन के मुखिया हार्दिक पटेल कड़वा बिरादरी से हैं। कड़वा बिरादरी की कुल जनसंख्या पाटीदार समाज की कुल जनसंख्या का 40 फीसदी है।

    2012 के विधानसभा चुनावों में कड़वा बिरादरी के 82 फीसदी वोट भाजपा को मिले थे। लेउवा बिरादरी के 63 फीसदी वोटरों ने भाजपा को चुना था। 80 के दशक से ही पाटीदार समाज के 80 फीसदी वोटर भाजपा के पक्ष में मतदान करते आए हैं। इसी वजह से पाटीदार समाज को भाजपा का पारम्परिक वोटबैंक कहा जाता रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को 50 फीसदी मत मिले थे वहीँ कांग्रेस को तकरीबन 40 फीसदी मत मिले थे। पाटीदार समाज के वोटरों के मत प्रतिशत 20 है। इस लिहाजन अगर 80 फीसदी पाटीदार कांग्रेस के साथ हो जाए और मुस्लिम दलित एक होकर कांग्रेस का साथ दे दें तो भाजपा के लिए गुजरात बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

    नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी भाजपा

    गुजरात में भाजपा एक कुशल नेतृत्वकर्ता की कमी से जूझ रही है। बतौर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी अपने कार्यकाल में बहुत प्रभावी नहीं रहे हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात भाजपा नेतृत्व की कमी से जूझ रही है और वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कंधे इतने मजबूत नहीं हैं कि वह गुजरात में भाजपा की जिम्मेदारी उठा सकें। ऐसे में भाजपा के सामने यह मुश्किल आ रही है कि वह किसे मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करे। फिलहाल भाजपा ने स्पष्ट किया है कि नरेंद्र मोदी ही गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद विधायकों से राय-मशविरे के बाद मुख्यमंत्री चुना जाएगा। भाजपा गुजरात में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों वाली रणनीति अपना रही है और उम्मीद कर रही है कि वह अपनी सफलता दोहरा सके।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।