बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को डराने और धमकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
इन खबरों का हवाला देते हुए कि जांच एजेंसी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से खनन घोटाले में पूछताछ कर सकती है, बसपा नेता ने कहा कि आगामी आम चुनावों पर नजर गडाए विकास राजनितिक साजिश पर उतर आया है।
मायावती ने अखिलेश यादव को फोन किया, जिनकी पार्टी के साथ बसपा गठबंधन पर बातचीत कर रही हैं, और उन्हें बताया कि इस तरह की रणनीति कोई नई बात नहीं थी क्योंकि भाजपा हमेशा इस तरह की “गंदी राजनीति और चुनावी साजिशों” में लिप्त रही है।
उन्होंने कहा कि वह भी पूर्व में इसी तरह से पीड़ित हुई थी जब पिछली भाजपा सरकार ने उन पर सीबीआई का दवाब डाला था। मायावती ने अखिलेश को सलाह दी कि इस तरह की साजिशों से घबराया नहीं जाता बल्कि सर उठा कर सामना किया जाता है।
राजनितिक दुश्मन से अखिलेश यादव की दोस्त बनी मायावती ने कहा कि आम लोग भाजपा की गाँधी चालों को अच्छी तरह से समझ गए हैं और आगामी चुनाव में उसे सबक सिखायेंगे।
उन्होंने एक बयान में कहा कि भाजपा, चिढ़ रही थी क्योंकि सपा और बसपा गठबंधन करने के लिओये बातचीत कर रहे थे। मायावती ने कहा भाजपा समझ गई है कि गठबंधन होते हि 2014 की 71 सीटें 20 पर आ जायेगी और इसी डर से भाजपा ने सीबीआई का प्रयोग किया।
उन्होंने पूछा “अगर यह एक गंभीर और निष्पक्ष कार्रवाई थी, तो सीबीआई ने पहले ऐसा क्यों नहीं किया और क्यों कार्रवाई ने बीजेपी नेताओं की अनावश्यक प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है?” उसने पूछा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता अचानक सीबीआई के प्रवक्ता बन गए।”
मायावती ने कहा कि बहुत समय पहले जब बसपा ने उत्तर प्रदेश में 60 लोकसभा सीटें भाजपा को देने से इंकार कर दिया, तो उन्होंने ताज कॉरिडोर मामले में उन्हें फंसने की कोशिश की थी।