Fri. Apr 19th, 2024

    कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अनंत के. हेगड़े ने यह बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने 80 घंटों के कार्यकाल में केंद्र के 40,000 करोड़ रुपये वापस केंद्र को भेज दिए। उन्होंने कहा कि यह काम शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की संभावित सरकार को, विकास कार्यो के लिए भेजी गई इस राशि का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए किया गया।

    हेगड़े ने उत्तर कन्नड़ में रविवार रात कथित रूप से कहा, “एक मुख्यमंत्री ने केंद्र से लगभग 40,000 करोड़ रुपये पाए हैं। उन्हें (फडणवीस) पता था कि अगर कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की सरकार बनती है तो विकास के लिए भेजी गई इस राशि का दुरुपयोग किया जाएगा। इसलिए एक नाटक करने का निर्णय लिया गया। फडणवीस मुख्यमंत्री बने और 15 घंटों में उन्होंने 40,000 करोड़ रुपये वापस केंद्र को लौटा दिए।”

    उन्होंने कहा, “आप सब जानते हैं कि महाराष्ट्र में हमारे नेता 80 घंटों के लिए मुख्यमंत्री बने। इसके बाद फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह नाटक क्यों किया? क्या हमें नहीं पता था कि हमारे पास बहुमत नहीं है और फिर भी वे मुख्यमंत्री बने. हर कोई यही सवाल कर रहा है।”

    फडणवीस ने अपने साथी नेता के आरोपों को तत्काल बकवास करार देते हुए उन्हें 100 प्रतिशत निर्थक बताया।

    फडणवीस ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उन्होंने (हेगड़े) क्या कहा.. मुख्यमंत्री के तौर पर मैंने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया था। ऐसे सभी आरोप निराधार हैं।”

    उन्होंने कहा कि जहां तक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की बात है, महाराष्ट्र सरकार को केंद्र को एक भी रुपये नहीं देने हैं और न ही केंद्र से एक भी रुपया लेना है और भूमि अधिग्रहण में भी राज्य की भूमिका सीमित ही है।

    फडणवीस ने कहा, “राज्य-केंद्र संबंधों के बारे में अनजान लोग ऐसे भ्रामक बयान दे रहे हैं। मैंने इस मुद्दे पर जांच करने और राज्य की जनता के सामने सच लाने के लिए राज्य के वित्त विभाग से बात की है।”

    इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि 40,000 करोड़ रुपये जितनी बड़ी राशि को केंद्र को वापस ट्रांसफर करना संभव नहीं है।

    मलिक ने कहा, “हालांकि, अगर यह हुआ है तो कहीं न कहीं कुछ गलत हुआ है और राज्य के साथ बड़ा अन्याय हुआ है।”

    शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस रिपोर्ट को ‘महाराष्ट्र की पीठ पर छुरा घोंपना और विश्वासघात’ बताया।

    शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने हेगड़े के बयान को त्रिदलीय महा विकास अघाड़ी सरकार की ईमानदारी और निष्ठा पर गंभीर संदेह खड़े करने वाला बताते हुए उसकी निंदा की।

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