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    कन्हैया कुमार

    बिहार के बेगूसराय सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच गठबंधन की सम्भावना खत्म होती नजर आ रही है। भाकपा और राजद के बीच गठबंधन में कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी रोड़ा बनी हुई हैं।

    राज्यसभा सांसद और आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने कहा भाकपा और राजद में गठबंधन नहीं होगा क्योकि हमारी पार्टी तनवीर हसन के बेगूसराय में किये गए काम और लोकप्रियता को नजरंदाज नहीं कर सकती। राजद बहुत मजबूत ताकत रही हैं। 2014 में राजद को मोदी लहर के बावजूद चार लाख वोट मिले और तब से बेगूसराय हमनें नही छोड़ा। हमारे लिए तनवीर हसन को उम्मीदवारी से हटाना असम्भव है। हमारा काडर मजबूत हैं और वह तनवीर हसन की ही मांग कर रहे हैं और इसमें हम कुछ नही कर सकते। यह सब हमारे लोगों के लिए हैं इसलिए अन्य उम्मीदवार की संभावना ही नहीं हैं।

    2014 के लोकसभा चुनाव मेंं तनवीर हसन महज 50,000 वोटों से बीजेपी के भोला सिंह से हारकर दूसरें स्थान पर रहे थे। वही भाकपा के राजेंद्र सिंह 1.92 लाख वोटों से तीसरे स्थान पर थे।

    राजद के सूत्रों का कहना कि यहाँ कई त्तथ्य हैं जैसें पुराना चेहरा, अविवादित छवि और अल्पसंख्यक होना जोकि हसन के हक में हैं और इसके लिए पार्टी गठबंधन को नकारते हुए अपने फैसले पर कायम हैं। सूत्रों की माने तो भाकपा के एक वर्ग के नेताओं में कन्हैया कुमार नामित और गठबंधन पर समझोते को लेकर अंसतोष था। राजद्रोह मामले के समय कन्हैया के करीबी रहे लेकिन बाद में जेएनयू में राजद के छात्रसंघ की स्थापना में शामिल होने वाले जयंत जिज्ञासु ने कहा कि यह कन्हैया के अहंकार और अज्ञानता का कारण है जो कि गठबंधन नही हो रहा हैं।

    राजद द्वारा कन्हैया को अपना उम्मीदवार न बनाने के बाद भाकपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया। साथ ही इसके विपरित बीजेपी ने अपने उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा हैं।

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