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    bio medical waste management in hindi

    बायो- मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों (जैसे कि अस्पताल, प्रयोगशाला, प्रतिरक्षण कार्य, ब्लड बैंक आदि) में इंसानी और जानवर के शारीरिक सम्बन्धी बेकार वस्तु (waste) और इलाज के लिए उपयोग किए उपकरण आते हैं।

    हमारे देश में लगभग 484 TPD बायो-मेडिकल वेस्ट उत्पन्न होता है जिसमे से लगभग 477 TPD संयंत्रित होता है और बाकि ऐसे ही पर्यावरण में फेंक दिया जाता है जोकि काफी जोखिम साबित हो सकता है।

    जब इस बायो-मेडिकल वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से निपटाया जाता है, तब इसका स्वास्थ्य कर्मियों और वातावरण पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। इससे कोई इन्फेक्शन फैलने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

    अस्पताल के कचरों में से 85% खतरनाक नहीं होते और शेष 15% से जानवरों और इंसानों में कई प्रकार की बीमारियां फ़ैल सकती हैं। इसलिए इन बायो-मेडिकल वस्तुओं के पुनर्चक्रण (recycle) पर जोर दिया जाता है जिससे प्रतिरोधी सूक्ष्मजीवों का निर्माण होगा।

    विषय-सूचि

    पुर्नचक्रण की प्रक्रिया (Recycling Process by Hospitals)

    बायो-मेडिकल वेस्ट संयंत्र प्लांट और निपटान सुविधाओं के सहायता से सभी अस्पतालों को इन वस्तुओं का ध्यान से निपटारा करना होता है।

    अगर किसी अस्पताल में प्रति महीना 1000 से अधिक लोगों का उपचार होता है तो उस अस्पताल को कानून के हिसाब से बायो-मेडिकल वेस्ट को विभिन्न श्रेणियों के अनुसार वर्गीकृत करके निपटारा करना होता है।

    नियम का उल्लंघन

    अगर गंदगी में शारीरिक द्रव्य (bodily fluids) मौजूद हैं तो उनको जला देना जरुरी है, लेकिन ज्यादातर अस्पताल ऐसा नहीं करते। कई बार इन वस्तुओं को सीधे समुद्रों में दाल दिया जाता है जो वापस बहकर तटीय इलाकों में पहुंच जाते हैं।

    कई डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारियों को इन वस्तुओं से कैसे निपटना है, यह नहीं पता। कई प्रकार के मेडिकल सम्बन्धी कचरों के अलग अलग रंग के बैग आते हैं। जैसे कि सुई, खून से सने  हुए बैंडेज आदि को लाल रंग के बैग में डाल कर जला देना होता है।

    2016 का कानून (Bio-Medical Waste Management Rule, 2016 in Hindi)

    2016 का यह कानून 1998 के कानून का संशोधन है। ये नए नियम स्वच्छ भारत अभियान को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं।

    इस कानून में रक्तदान शिविर, टीकाकरण शिविर, सर्जिकल शिविर और अन्य सभी प्रकार के स्वास्थ्य शिविर को शामिल किया गया है। इस नियम के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं:-

    • जिन बायो-मेडिकल चीजों से भरे बैग का निपटारा होना है, उनके लिए बार कोड प्रणाली लागु किया जाये।
    • सभी स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाये और उनका समय समय पर रोगक्षम (immunization) हो।
    • क्लोरीन सहित प्लास्टिक बैग, दस्ताने, ब्लड बैग आदि हर दो साल में बदले जाएँ।
    • डायोक्सिन आदि के उत्सर्जन की एक सीमा तय की जाये।
    • प्रयोगशाला, सूक्ष्मजीवी सम्बन्धी वस्तु, खून के नमूने, खून के बैग आदि को विसंक्रमित (sterilization) करके सयंत्रित करना।
    • हर क्षेत्र में एक प्रमुख बायो-मेडिकल वेस्ट निपटारन केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा व्यवस्था करनी चाहिए।
    • इस काम के लिए क़ानूनी प्रक्रियाओं को आसान बनाना चाहिए।
    • बायो-मेडिकल वेस्ट को चार श्रेणियों में बांटा जाये ताकि इनको आसानी से निपटाया जा सके।
    • बायो-मेडिकल चीजों का नियमित रूप से उपचार हो और इसकी रिपोर्ट सरकार को दी जाए।
    • जहां बायो-मेडिकल वेस्ट उपचार केंद्र है, उसके कई किमी के अंदर कोई आवासीय काम्प्लेक्स नहीं होना चाहिए।

    आप अपने सवाल और सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में व्यक्त कर सकते हैं।

    2 thoughts on “बायो-मेडिकल कचरा प्रबंधन क्या है?”
    1. इसके उल्लंघन की सजा क्या है व क्या कार्यवाही हो सकती है उन नियमो की प्रति
      email [email protected] पर भिजवाने का कष्ट करें

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