कई दन्तकथाओं में तथा फिल्मों में प्यार के कांसेप्ट को बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया जाता है और इसे दुनिया की सबसे खुबसूरत चीज़ बताई जाती है। हालांकि कुछ जगहों पर धोखे और बिछड़ने की दास्तान या फिर प्यार में धोखा मिलने का बदला लेने की कहानियाँ भी आम हैं।
पर क्या हाल होता है जब आप किसी से बहुत प्यार करते हैं लेकिन न उसके साथ रह सकते हैं और नाही किसी और के पास जा सकते हैं। और नाही आप उससे किसी भी प्रकार का बदला ले सकते हैं।
फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप जो हर बार एक नई कहानी और पर्दे पर कुछ अलग, कुछ ऐसा लेकर आने के लिए जाने जाते हैं जो दर्शकों को अन्दर से झकझोर देता है। पर अबकी अनुराग कश्यप इस फिल्म ने निर्माता नहीं हैं बल्कि इस फिल्म में वह बतौर अभिनेता काम कर रहे हैं।
शार्ट फिल्म ‘फूल फॉर लव’ को निर्देशित किया है सतरूपा सान्याल ने तथा इस फिल्म में अनुराग कश्यप और रिताभारी चक्रवर्ती मुख्य भूमिकाओं में हैं।
फिल्म एक ऐसे प्रेमी जोड़े की कहानी है जो कभी साथ नहीं रह सकता है। बिट्टू सालों तक अपने पति से दूर रहती है और अपनी ज़िन्दगी में बिल्कुल अकेली है। लेकिन जब भी वह किसी और के नजदीक जाना चाहती है न जाने कहाँ से उसका पति वापस आ जाता है और इस वजह से वह ऐसा कर भी नहीं पाती है।
अचानक से एलेन के वापस आ जाने से पहले तो बिट्टू उसपर गुस्सा होती है पर बाद में उसका गुस्सा गहरी वेदना में बदल जाता है।
एलेन यह मानता है कि वह बिट्टू के लिए ही इतने दिनों तक उससे दूर रहता है ताकि उसे आराम की ज़िन्दगी दे सके और वह ऐसे जोखिम भरे काम करता है इसलिए बिट्टू को फ़ोन तक नहीं कर पाता क्योंकि वह नहीं चाहता कि बिट्टू किसी भी परेशानी में पड़ जाए।
यह फिल्म एक सस्पेंस थ्रिलर लव स्टोरी है। फिल्म के अंत में आपको एक ट्विस्ट देखने को मिलेगा।
अभिनय की बात करें तो बिट्टू के किरदार में रिताभारी चक्रवर्ती जिन्होंने फिल्म की कहानी भी लिखी है, ने शानदार अभिनय किया है। बड़ी ही सहजता से वह दर्शक की हमदर्दी हासिल कर लेती हैं तथा अपने किरदार पर विश्वास दिलाने में सफल रही हैं।
यदि अनुराग कश्यप की बात करें तो तमाम फिल्मों में उन्होंने कई बार छोटे-छोटे किरदार निभाए हैं और हर बार पर्दे पर उन्हें देखकर अच्छा लगता है। अनुराग ज्यादातर डार्क करैक्टर करना पसंद करते हैं और इस फिल्म में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है।
फिल्म के निर्देशन की बात करें तो सतरूपा सान्याल ने अपना काम बखूबी निभाया है पर अनुराग कश्यप कीई स्क्रीन पर उपस्थिति से दर्शक कई बार भ्रमित हो सकते हैं कि यह अनुराग कश्यप की फिल्म है। लेकिन यह बात भी फिल्म के पक्ष में ही जाती है।
यह फिल्म प्यार के एक और पहलु को सामने रखती है जो लगभग हम सबकी कहानी है। आम आदमी को न तो परीकथाओं के प्यार में विश्वास होता है और नाही सबको प्यार में धोखा मिलता है।
लेकिन प्यार के साथ जो दिन प्रतिदिन का फ्रस्ट्रेशन और दुःख आता है उससे कहीं न कहीं हम सब वाकिफ हैं। अपने प्रेमी के साथ जितना समय हम चाहते हैं उतना न बिता पाने का दुःख, हमारी ज़िन्दगी जैसे हम चाहते हैं वैसी न बना पाने का दुःख।
कई बार प्रेमी जोड़ों को इस वजह से दूर रहना पड़ता है कि वह एक-दुसरे के लिए पैसे कमा सकें और एक अच्छी ज़िन्दगी बिता सकें पर धीरे-धीरे पैसे इतने जरूरी हो जाते हैं या फिर कह लें कि हम उस चीज़ में इतना फंसते चले जाते हैं कि अपने लिए और अपनों के लिए समय निकलना ही भूल जाते हैं।
यह फिल्म हमें बताती है कि प्रेम का एक पहलु जितना खुबसूरत है उतना ही बदसूरत और डरावना इसका दूसरा पहलु है और दोनों करीब-करीब एक साथ ही आते हैं।
इसके साथ ही फिल्म एक और पक्ष भी उजागर करती है जो मनुष्य की बायोलॉजिकल नीड से सम्बंधित है। अपने पार्टनर से सालों तक दूर रहने पर तथा जब यह भी पता न हो कि वो लौटेगा भी या नहीं, दुसरे की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है। लेकिन फिर भी हम कई प्रकार की मानसिक उलझनों से जकड़ें होते हैं।
शरीर और मन की इस उधेड़बुन को भी फिल्म में अच्छे से पिरोया गया है।
यह फिल्म निश्चित तौर पर देखने लायक है और दर्शकों के कुछ नया देखने की क्रेविंग को फुलफिल करती है। फिल्म शुरू से अंत तक बांध कर रखती है और ख़त्म होने के बाद भी सोचने के लिए मजबूर करती है और यह किसी भी स्टोरीटेलर की सफलता मानी जाएगी।
टिपण्णी – स्टोरीटेलर ने फिल्म के अंत में ट्विस्ट तो डालने कि कोशिश की है पर यह वही घिसा-पिटा ट्विस्ट है जो आजतक होता आया है। जो कथित रूप से हर असफल प्यार का अंजाम है। यदि यह ट्विस्ट नहीं भी होता तो फिल्म पर कोई फर्क नहीं पड़ता या फिर ऐसा भी हो सकता था कि फिल्म और भी ज्यादा अच्छी होती और दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती।
फिल्म यहाँ देखें:
यह भी पढ़ें: शेम रिव्यु: फुल हिंदी फ़िल्म का अनुभव कराती है भावनाओं को कुरेदती यह शॉर्ट फ़िल्म