Sat. Apr 20th, 2024

    ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फिलिप की मौत हो गई है। ड्यूक ऑफ एडिनबरा का टाइटल पाने वाले प्रिंस फिलिप 99 साल के थे। ब्रिटेन के शाही परिवार ने अपने बयान में बताया कि प्रिंस फिलिप का देहांत विंडसर कैसल में हुआ। लंदन स्थित बकिंघम पैलेस ने यह जानकारी दी। दस जून को प्रिंस फिलिप का 100 वां जन्मदिन होता। प्रिंस फिलिप का जन्म 10 जून 1921 को कोर्फू के ग्रीक द्वीप पर हुआ था।

    2017 से ख़राब थी सेहत

    उनका और महारानी एलिजाबेथ का करीब 73 साल का साथ रहा। पिछले कुछ सालों से ड्यूक ऑफ एडिनबरा की सेहत खराब थी। उन्होंने 2017 में शाही कर्तव्यों से दूरी बना ली थी। अस्पताल में भर्ती कराए जाने के समय बकिंघम पैलेस ने अपने बयान में कहा था कि ड्यूक को उनके डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल भेजा जा रहा है। इसके करीब एक हफ्ते बाद पैलेस ने कहा था कि ड्यूक ‘संक्रमण’ से लड़ रहे हैं और अस्पताल में रहेंगे।

    शोक में डूबा ब्रिटेन

    ब्रिटेन की ऐतिहासिक इमारतों में उनके सम्मान में राष्ट्र ध्वज झुका दिए गए और राष्ट्रव्यापी शोक की घोषणा कर दी गई। बीबीसी ने अपने नियमित कार्यक्रम का प्रसारण रोक कर राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द क्वीन’ बजाया।

    बकिंघम पैलेस ने बयान जारी कर कहा, ‘बहुत दुख के साथ महारानी ने अपने पति, हिज रॉयल हाईनेस द प्रिंस फिलिप, ड्यूक ऑफ एडिनबरा के निधन की घोषणा की है। प्रिंस फिलिप ने विंडसर कैसेल में शुक्रवार सुबह अंतिम सांस ली।’ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रिंस फिलिप के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि ‘उन्होंने अनगिनत युवाओं के जीवन को प्रेरित किया है।’

    माउंटबैटन के भतीजे थे प्रिंस फिलिप

    प्रिंस फिलिप का संबंध ग्रीक और डेनिश परिवारों से था। फिलिप भारत के आखिरी ब्रिटिश वाइसराय लॉर्ड लुइस माउंटबैटन के भतीजे थे। माउंटबैटन के समय ही भारत आजाद हुआ था।

    प्रिंस फिलिप की मां प्रिंसेस ऐलिस ऑफ बैटनबर्ग थीं। वो खुद एक जर्मन प्रिंसेस की वंशज थीं. फिलिप क्वीन विक्टोरिया के ग्रेट-ग्रैंडचाइल्ड भी थे।

    प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रिंस फिलिप के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ”प्रिंस फिलिप के निधन पर मेरे विचार ब्रिटिश लोगों और शाही परिवार के साथ हैं। उनका सैन्य में विशिष्ट करियर था और कई सामुदायिक सेवा पहलों में वे सबसे आगे थे. उनकी आत्मा को शांति मिले।”

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *