प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर पर सुनवाई टालने के लिए कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दवाब डालने के आरोपों के बाद कांग्रेस की तरफ से पलटवार किया गया।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि वो इस मामले में कांग्रेस की तरफ से नहीं बल्कि बाबरी मस्जिद के पक्षकार की तरफ से पेश हुए थे। प्रधानमंत्री को पूरी बात की जानकारी नहीं है और वो अधूरी बात लेकर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा कि वो जनवरी 2018 से नवम्बर 2018 के बीच अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट में नहीं आये हैं और जब कोर्ट में सुनवाई की तारीख आई तो कोर्ट ने ये कहते हुए सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी कि ये मामला उसकी प्राथमिकता सूची में नहीं है।
गौरतलब है कि अलवर में एक रैली को सम्बोधित करते हुए आरोप लगाया था कि कांग्रेस के एक राज्यसभा सांसद (कपिल सिब्बल) ने कोर्ट को कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई 2019 लोकसभा चुनाव के बाद की जाए।
सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री की हिम्मत नहीं है न्यायपालिका के खिलाफ कुछ भी कहने की इसलिए वो ये मामला चुनाव के वक़्त उठा रहे हैं ताकि इस मुद्दे पर राजनीतिक लाभ ले सकें।
पिछले साल कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड का पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव तक टाल देनी चाहिए क्योंकि अब ये मुद्दा राजनितिक हो चूका है। सिब्बल ने कहा था कि भाजपा अपने घोषणापत्र पर अमल करने के लिए मामले की जल्दी सुनवाई चाहती है ताकि इसका राजनितिक पैदा उठाया जा सके। इसलिए मौजूदा माहौल को देखते हुए कोर्ट सुनवाई 2019 लोकसभा चुनावों के बाद करनी चाहिए।