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    प्रकाश राज: मैं राजनीती में प्रवेश इसलिए कर रहा हूँ ताकी अपने आस-पास हो रही चीजों पर सवाल उठा सकूँ

    अभिनेता प्रकाश राज जो इन लोक सभा चुनाव से बेंगलुरु निर्वाचित क्षेत्र से राजनीती में कदम रख रहे हैं, उनका ये उद्देश्य है कि वे बेंगलुरु के हर घर में जाकर मुलाकात करे। चुनावी अभियान शुरू कर चुके राज का कहना है कि उन्होंने राजनीती में कदम, सवाल-जवाब करने के लिए किया है।

    उन्होंने स्वीकार किया कि उनका अभी तक तो चुनावी राजनीती में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है जबकि उन्हें 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से टिकट दिया गया था। राज ने कहा-“मैं आवाज़ बनना चाहता था और जो भी मेरे आस-पास हो रहा है, उसपर सवाल करना चाहता था। मगर कोई जवाब नहीं मिला। मैं भारत के नागरिक और स्वतंत्र होने के नाते और बिना आलाकमान के ये चुनाव लड़ रहा हूँ।”

    बेंगलुरु को चुनने पर उन्होंने कहा कि ये एक जैविक निर्णय है। उनके मुताबिक, “ये एक छोटा भारत है जिसमे अलग अलग भाषा और धर्म के लोग रहते हैं। मैं यहाँ पैदा हुआ था। मैं यहाँ सेंट माइकल प्राइमरी स्कूल में पढ़ा था और फिर बाद में सेंट जोसफ कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से पढाई की। मैं रविन्द्र कलाक्षेत्र से थिएटर की ट्रेनिंग भी लेता था।”

    धर्मनिरपेक्ष मंच

    हालांकि राज ने कांग्रेस और भाजपा को समान लताड़ लगाई है, उन्होंने कांग्रेस सहित सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टी से समर्थन माँगा था। उन्होंने कहा-“मुझे लगता है कि कांग्रेस को मेरा समर्थन करना चाहिए क्योंकि वे आज तक बेंगलुरु से जीते नहीं है और जीतेंगे भी नहीं।”

    उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी, कमल हसन और केसीआर से समर्थन पहले ही मिल चुका है।

    जब उनसे अगली सरकार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा-“निश्चित रूप से भाजपा तो नहीं। ये एक बहुत ही अच्छा संकेत है।” जब उनसे कहा गया कि उन्होंने अंतरिम बजट में इतनी रियायतों की घोषणा की है तो राज ने कहा-“क्या उन्हें दो महीनों में लागू करना मुमकिन है? वे पिछले चार साल से क्या कर रहे थे? हर साल किसानों को 6,000 रूपये देने की घोषणा उन्हें रिश्वत देने के लिए की गयी है।”

    शासन और सांप्रदायिक राजनीती

    उन्होंने कहा-“मुझे ट्विटर पर इसाई बुलाया गया क्योंकि किसी ने मेरी पादरी से आशीर्वाद लेने की तस्वीर पोस्ट कर दी। मैंने स्वामी जी, मुल्ला और सिख गुरु के मुझे आशीर्वाद देने की तसवीरें ट्वीट बैक की। हमें हर धर्म का सम्मान करना चाहिए। कोई यहाँ अछूत नहीं है। आस्था व्यक्तिगत होनी चाहिए। चूँकि पेट्रोल और डीजल इस्लामिक देश से आते हैं, क्या लोग बैलगाड़ी का इस्तेमाल करते हैं? क्या आप बिजली का अविष्कार करने वाले के धर्म पर सवाल करते हो?”

    नज़रंदाज़ किया हुआ बेंगलुरु 

    राज ने कहा कि शहर को नज़रंदाज़ किया जा रहा है। उनके मुताबिक, “स्थानीय ट्रेन परियोजना, मेट्रो के मुकाबले सस्ती है मगर उसे प्राथमिकता नहीं दी गयी? यातायात और झील बुरी स्थिति में हैं। फूटपाथ कहा हैं? स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को अनदेखा कर दिया गया। क्यों चुने हुए प्रतिनिधि, बेंगलुरु के लिए फैसला लेते हुए, नागरिक समाज की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं?”

     

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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