Wed. Nov 6th, 2024
    period the end of sentence oscar

    रीमा दास की फ़िल्म विलेज रॉकस्टार्स ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो गई है। भारत की फ़िल्म ‘विलेज रॉकस्टार’ ने  इस साल राष्ट्रिय पुरस्कार समारोह में 4 पुरस्कार जीते थे जिनमें बेस्ट फीचर फ़िल्म, बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट, बेस्ट लोकेशन साउंड रिकार्डिस्ट और बेस्ट एडिटिंग पुरस्कार शामिल थे।

    हालांकि डॉक्युमेंट्री शार्ट सब्जेक्ट (Documentary Short Subject ) वर्ग में एक फ़िल्म ऐसी शामिल हुई है जो भारत से ताल्लुक रखती है। इरानी अमेरिकन फ़िल्म निर्माता रायका ज़ेह्ताब्ची की फ़िल्म ‘पीरियड: एंड ऑफ़ सेंटेंस’ जिसमें एक औरतों का समूह दिल्ली के पास के एक गाँव का है और माहवारी से सम्बंधित साफ-सफाई को लेकर औरतों को जागरूक करता है, टॉप 10 में शामिल हुई है।

    फ़िल्म की प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं। यह फ़िल्म अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘पैडमैन’ से प्रभावित है। बेस्ट एनीमेशन शार्ट फ़िल्म ‘बर्ड कर्मा’ में भी सेमी क्लासिकल भारतीय संगीत का प्रयोग किया गया है। इस वर्ग में 10 एनीमेशन शार्ट फ़िल्में चुनी गयीं हैं।

    मोशन पिक्चर और कला विज्ञान अकादमी (The Academy of Motion Picture Arts and Sciences) ने सोमवार को सबसे अच्छी विदेशी फ़िल्मों की सूची ज़ारी की है। रीमा दास की फ़िल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ भारत के तरफ से नामांकित की गई थी जो इस सूची में जगह नहीं बना पाई है।

    बर्ड्स ऑफ़ पैसेज (कोलंबिया), द गिल्टी (डेनमार्क), नेवर लुक अवे (जर्मनी), शॉपलिफ्टर(जापान), आयका(कज़ख्स्थान), कार्पेनौम (लेबनान), रोमा (मेक्सिको), कोल्ड वार( पोलैंड) बर्निंग(साउथ कोरिया) जैसी फ़िल्में चयनित की गई हैं।

    91वें अकादमी पुरस्कार के लिए दुनियाभर से 87 फ़िल्में नामांकित की गई थीं। भारत ने इस वर्ग में कभी कोई पुरस्कार नहीं जीते हैं। अब तक इस पुरस्कार के लिए केवल तीन भारतीय फ़िल्में नामांकित की गई हैं। मदर इंडिया (1957), सलाम बॉम्बे( 1988) और लगान (2001).

    ‘विलेज रॉकस्टार’ को भारत की ओर से ऑस्कर के लिए चयनित करने के बाद फ़िल्म फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के सदस्य एस वी राजेन्द्र सिंह बाबु ने भारतीय फ़िल्मों के ऑस्कर से बाहर होने के तीन करण बताए थे। उन्होंने कहा था कि, “बहुत सारी भारतीय फ़िल्में वहां पहुचती हैं पर उनके नियमों और दृष्टीकोण की बदौलत यह कामयाब नहीं हो पाती हैं।

    हमारी फ़िल्में योग्य हैं। जो भी फ़िल्म यहाँ से चयनित की जाती है उसे ऑस्कर में अच्छे से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। और उसके लिए बहुत से पैसों की आवश्यकता होती है।

    जब एक फ़िल्म वहां जाती है तो कम से कम हमें 2 करोड़ रूपये फ़िल्म का प्रचार करने के लिए चाहिए होते हैं। वहां और भी कई नियम हैं जिन्हें हम पूरा नहीं कर पाते। पैसे की भी काफी कमी पड़ जाती है जिसके कारण यह सब नहीं हो पाता है।”

    यह भी पढ़ें: आखिर मिल ही गए सारा अली खान और कार्तिक आर्यन, रणवीर सिंह ने मिलाए दो दिल, देखें विडियो

    By साक्षी सिंह

    Writer, Theatre Artist and Bellydancer

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *