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पाकिस्तान में कुषोपित बच्चों की मृत्यु

पाकिस्तान में खाद्य सामग्री की कोई कमी नहीं है इसके बावजूद बच्चे कुपाशों से ग्रस्त है। विश्व में पाकिस्तान का शिशु मृत्य दर सबसे अधिक है और वहां कुपोषण में इजाफा हो रहा है। पाकिस्तान में नवजात बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम होता है, जबकि सामान्य तौर पर बच्चे का वजन इससे तीन गुना अधिक होता है।

बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख दिलीप कुमार ने बताया कि “प्रतिदिन 150 से 200 मरीज इलाज के लिए आते हैं और हर पांच में एक कुपोषण का शिकार होता है। अस्पताल के वार्ड में नौ कुपोषित बच्चे एक ग्लास के डिब्बे में बंद रो रहे हैं और के माँ-पिता हताश बैठे हैं। 25 वर्षीय माता ने कहा कि उनकी बच्ची का वजन निरंतर कम होता जा रहा है जबकि उन्होंने कई डॉक्टर से परामर्श लिया है।”

द इंटरनेशनल फ़ूड पालिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने आंकलन के मुताबिक पाकिस्तान में हर पांच में में एक यानी लगभग 20 करोड़ लोग कुपोषण से ग्रस्त हैं। जबकि पाकिस्तान में खाद्य सामग्री की भरमार है।

जानकारों के मुताबिक यह समाजिक-आर्थिक समस्या है, क्योंकि खाद्य सामग्री मौजूद है  इसका मतलब यह नहीं कि लोगों की पंहुच उस तक है। पाकिस्तान में खाद्य सुरक्षा के चार स्तम्भ है, उपलब्धता, पंहुच, उपयोग और स्थिरता। कराची यूनिवर्सिटी में वरिष्ठ रिसर्च इकोनॉमिस्ट अम्ब्रेन फातिमा ने कहा कि “थारपारकर में इन चारो स्थम्भो की कमी है।”

पाकिस्तानी दिग्गज अर्थशास्त्री कैसर बंगाली ने कहा कि “गेंहू उत्पादन में पाकिस्तान काफी आगे हैं लेकिन इसको अधिकतर निर्यात किया जाता है। पाकिस्तान की वित्तीय राजधानी कराची है लेकिन अर्थशास्त्री के मुताबिक ऐसे हालात गरीबी और विनाश के उदाहरण है। सर्वे के दौरान हम ऐसे बच्चों से मिले जिन्होंने कभी सेब नहीं खाया था, जब हमने उसे दिया तो वह सेब खाने को उत्सुक था ताकि जान सके कि सेब वाकई खाने योग्य है या नहीं।”

साल 2017 के सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान की 40 फीसद जनता बहुआयामी गरीबी से जूझ रही है। इसका मतलब उनके पास सिर्फ पैसो की कमी नहीं है बल्कि वे बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम है और यह सब खाद्य सामग्री तक उनकी पंहुच को प्रभावित करता है।

फ़ूड एंड एग्रीकलचर आर्गेनाइजेशन के मुताबिक समस्त पाकिस्तान में अस्त व्यस्त ढांचों ने भोजन तक की पंहुच को सीमित और बाजार की कीमतों को प्रभावित कर दिया है। थापरकार जिला पाकिस्तान की मीडिया की सुर्ख़ियों में रहता है क्योंकि यहां बच्चों की मृत्यु दर काफी अधिक है। राजनेता इसका इल्जाम सूखे पर लगाते हैं। पाकिस्तान में 38 प्रतिशत शिशु ही पहले छह माह मां का दूध पीते हैं।

इन आंकड़ों में कमी की जिम्मेदार स्थानीय परंपरा है, मसलन माताओं पर कार्य की अधिक जिम्मेदारी और मिल्क उद्योग के प्रभुत वाला बाज़ार है। कई लोग अपने नवजात शिशुओं को चाय और हर्ब्स देते हैं जो बच्चों की वृद्धि को रोक देता है। नवजात बच्चे को सख्त भोजन और गेंहू नहीं खिलाना चाहिए। कुपोषित माताओं के कारण ही बच्चों की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।

आज ही पाकिस्तान आब्जर्वर नें खबर छापी, जिसके मुताबिक पाकिस्तान के सिंध इलाके के थारपारकर जिले में 3 बच्चों की कुपोषण से मौत हो गयी है।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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