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    नीति सलाहकार निकाय सीयूटीएस इंटरनेशनल (कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी) ने मांग की है कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को आईटी की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने इसके साथ ही इस बिल को सार्वजनिक टिप्पणियों और पर्याप्त जांच के लिए जारी करने की मांग भी की है।

    एनजीओ का कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपवाद एक नियम न बनें, इसके न्यायिक परीक्षण की भी आवश्यकता है।

    यह विधेयक केंद्र सरकार द्वारा साक्ष्य-आधारित नीतियों के बेहतर लक्ष्यीकरण को सक्षम करने के लिए निजी डेटा या गैर व्यक्तिगत डेटा का इस्तेमाल करने का अधिकार देता है।

    सीयूटीएस इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप एस. मेहता ने कहा, “विधेयक के तहत गैर-व्यक्तिगत डेटा को शामिल करने की आवश्यकता नहीं है। यह पूरी तरह से एक अलग मुद्दा है और वर्तमान में एक विशेषज्ञ समिति द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है। विधेयक में गैर-व्यक्तिगत आंकड़ों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।”

    यह विधेयक संसद में पेश होने से पहले ही सार्वजनिक हो गया, जब सांसदों को विधेयक के बारे में जानने व समझने के लिए उन्हें भेजा गया था।

    मेहता ने कहा कि विधेयक 2018 में न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण समिति द्वारा तैयार किए गए मसौदे से कई पहलुओं में भिन्न है। उन्होंने संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा और महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत में निजी डेटा की प्रतियां (जो न तो संवेदनशील है और न ही महत्वपूर्ण है) को संग्रहीत करने की आवश्यकता नहीं है।

    उन्होंने कहा, “हमने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीमा पार डेटा प्रवाह पर अनुचित प्रतिबंधों से उपभोक्ता कल्याण और भारत से डिजिटल सेवाओं के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और हम खुश हैं कि प्रावधानों को नरम कर दिया गया है।”

    उपभोक्ताओं की वकालत करने वाली सीयूटीएस का कहना कि उन्होंने एक सर्वेक्षण शुरू किया है और यह पाया गया है कि विभिन्न यूजर्स अलग-अलग जानकारी/डेटा को अलग-अलग रूप से देखते हैं। एनजीओ ने कहा कि इस प्रकार व्यक्तिगत डेटा और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को परिभाषित करते समय यूजर्स के ²ष्टिकोण पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

    मेहता ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पासवर्ड को संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा की सूची से हटा दिया गया है, जबकि व्यक्तिगत डेटा की परिभाषा का विस्तार एक स्वागत योग्य कदम है।”

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